न्यूयार्क: संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र को संबोधित करने के लिए भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज न्यूयार्क में हैं. उड़ी हमले के बाद उनका यह संबोधन है इसलिए सभी की नजरें उनके संबोधन पर होगी. हमले के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में आतंकी बुरहान वानी को नेता करार दिया था और कश्मीर का राग अलापा था. जानकारों की माने तो सुषमा स्वराज अपने संबोधन के माध्यम से पाकिस्तान को करारा जवाब देंगी.
ऐसा माना जा रहा है कि अपने संबोधन में सुषमा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा कश्मीर पर आक्षेपों का एक चुभ जाने वाला जवाब देने वाली हैं. सुषमा शनिवार दोपहर यहां पहुंची हैं और सोमवार सुबह (भारतीय समयानुसार शाम 7 बजे ) वह संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र में भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज न्यूयार्क पहुंचीं.’
शरीफ ने महासभा में अपने संबोधन के दौरान ज्यादा ध्यान कश्मीर पर ही केंद्रित रखा था. ऐसे में सुषमा से उम्मीद की जा रही है कि वह शरीफ के उस भाषण का कडा जवाब देंगी. शरीफ के भाषण पर भारत ने जवाब के अधिकार का इस्तेमाल किया और पाकिस्तान को ‘आतंकवाद की शरणस्थली’ तथा ऐसा ‘आतंकी देश’ करार दिया, जो आतंकवाद का इस्तेमाल सरकारी नीति के तौर पर करते हुए ‘युद्ध अपराधों’ को अंजाम देता है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में भारत के प्रमुख फोकस को रेखांकित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने कहा था कि आतंकवाद भारत के साथ-साथ विश्वभर के देशों के लिए ‘प्राथमिक चिंता’ का विषय है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन और शांति रक्षा जैसी अन्य प्राथमिकताओं को भी सूचीबद्ध किया और इन्हें महासभा के मौजूदा सत्र में भारत की प्राथमिकता बताया.
स्वरुप ने 23 सितंबर को यहां संवाददाताओं से कहा कि ‘‘पूरा विश्व और पूरा देश’ सुषमा स्वराज का संबोधन सुनने का इंतजार कर रहा है. वह 71वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारत का ‘विजन दस्तावेज’ पेश करने वाली हैं. उन्होंने कहा था, ‘‘हम सभी उसका (संबोधन का) इंतजार कर रहे हैं.’ हालांकि उन्होंने सुषमा के संबोधन में शामिल बातों पर विस्तृत जानकारी नहीं दी लेकिन यह कहा कि ‘‘पूरा विश्व और पूरा देश यह सुनने का इंतजार कर रहा है कि विदेश मंत्री क्या कहने वाली हैं? लेकिन मुझे लगता है कि मोटे तौर पर जिन मुद्दों को अकबरुद्दीन ने रेखांकित किया है, वह निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के इस सबसे अहम मंच पर हमारे प्रतिनिधित्व का हिस्सा बनने वाले हैं.’ स्वरुप ने कहा कि आप ‘‘आतंकवाद के मुद्दे को भारत द्वारा लगातार केंद्र में रखे जाने की उम्मीद कर सकते हैं, जो इस समय निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा पर मंडराने वाला एकमात्र सबसे बडा खतरा है.’
जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर शरीफ की ओर से लगाए गए बडे आक्षेपों के बाद अपने जवाब के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव ई. गंभीर ने कहा था, ‘‘ मानवाधिकारों का सबसे बडा उल्लंघन आतंकवाद है.’ उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद का इस्तेमाल जब सरकारी नीति के तौर पर किया जाता है, तो यह युद्ध अपराध होता है. मेरा देश और हमारे अन्य पडोसी पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को प्रायोजित करने वाली दीर्घकालिक नीति का सामना कर रहे हैं. इसके परिणाम हमारे क्षेत्र के पार तक फैले हुए हैं.’ उन्होंने कहा था कि भारत पाकिस्तान को एक ‘आतंकी देश’ के रुप में देखता है, जो अपने पडोसियों के खिलाफ आतंकियों के माध्यम से छद्म युद्ध छेडने के क्रम में आतंकी समूहों को प्रशिक्षण, वित्त पोषण और सहयोग देने के लिए अरबों डॉलर जुटाता है. इसका अधिकतर हिस्सा अंतरराष्ट्रीय मदद से आता है.