डेंटल ओरल हाइजीन मेंटेंन करना मां का ही फर्ज

एक आम बात है कि जब तक बच्चे के दांत सड़ नहीं जाते, लोग उन्हें लेकर डॉक्टर के पास नहीं ले जाते. सही वक्त पर इलाज नहीं करवाते. दांतों के बारे में उनका व्यवहार बड़ा कैजुअल होता है. जब एक दांत सड़ता है, उसमें इंफेक्शन होता है, तो उसकी वजह से दूसरे दांत में भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 5, 2014 10:50 AM

एक आम बात है कि जब तक बच्चे के दांत सड़ नहीं जाते, लोग उन्हें लेकर डॉक्टर के पास नहीं ले जाते. सही वक्त पर इलाज नहीं करवाते. दांतों के बारे में उनका व्यवहार बड़ा कैजुअल होता है. जब एक दांत सड़ता है, उसमें इंफेक्शन होता है, तो उसकी वजह से दूसरे दांत में भी इंफेक्शन होने की आशंका रहती है, लेकिन लोग ध्यान नहीं देते.

अगली सुबह नीला पायल के साथ शांतनु और पराग को लेकर डॉक्टर माथुर के पास गयी. शांतनु का चेकअप करने के बाद उन्होंने कहा कि कभी-कभी ऐसा होता है कि बच्चे के दांत देर से निकलते हैं. इसमें परेशान होने की बात नहीं, लेकिन पेरेंट्स को इस बात का ध्यान रखते हुए बच्चे का प्रॉपर चेकअप करवाते रहना चाहिए. कायदे से बच्चा होने के एक महीने बाद ही उसे लेकर डेंटिस्ट के पास जाना चाहिए. डेंटल ओरल हाईजीन मेंटेंन करना मां का ही फर्ज है. पायल ने कहा डॉक्टर साहब कभी जरूरत ही नहीं पड़ी, क्योंकि सब बच्चों के दांत समय पर ही निकले और आप जानते ही हैं कि सफाई के मामले में मां सभी का बहुत ध्यान रखती हैं. डॉ. माथुर ने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा हूं कि बच्चे की साफ-सफाई न रखने की वजह से दांत नहीं निकल रहे हैं. मैं केवल यह कह रहा हूं कि माता-पिता दांतों के मामले में कभी सीरियस नहीं होते.

आपकी बात नहीं कर रहा. एक आम बात है जब तक बच्चे के दांत सड़ नहीं जाते, लोग उन्हें लेकर डॉक्टर के पास नहीं ले जाते. सही वक्त पर इलाज नहीं करवाते. दांतों के बारे में उनका व्यवहार बड़ा कैजुअल होता है. खुद के दांतों में भी जब तक ज्यादा परेशानी नहीं होती, वो डॉक्टर के पास जाते ही नहीं. यह जानते हुए भी कि कैविटी है, दांत बिलकुल खोखला है वो उसे ना तो निकलवाते और ना ही डॉक्टर से मिलते हैं. जब एक दांत सड़ता है, उसमें इंफेक्शन होता है, तो उसकी वजह से दूसरे दांत में भी इंफेक्शन होने की आशंका रहती है, लेकिन लोग ध्यान नहीं देते. ठीक से दांत साफ नहीं करते. भोजन करने के बाद कुल्ला नहीं करते. रात को ब्रश करके नहीं सोते और न ही यह आदत बच्चों में डालते. मैं तो आपके घर का डॉक्टर हूं फिर भी आपकी तरफ से लापरवाही हुई.

आप अकेली नहीं हैं लापरवाही करने वाली. दांतों के मामले में अक्सर ऐसा ही होता है. आपको पता है ना कि छठे-सातवें महीने से बच्चे के दांत निकलना शुरू हो जाते हैं और जब नहीं निकले तो आपको शांतनु को लेकर मेरे पास आना चाहिए था. इसीलिए डॉक्टर यह सलाह देते हैं कि सुबह उठने के बाद और बच्चे को दूध पिलाने के बाद उंगली में गॉज पीस लपेटकर बच्चे के मसूड़ों पर हल्के हाथ से मसाज करते हुए उन्हें साफ करना चाहिए. इससे मुंह भी साफ होता है और मसूड़ों की मालिश भी होती है जिससे बच्चों के दांत निकलने में आसानी होती है. तभी पायल ने पूछा कि डॉक्टर साहब सुना है कि बच्चे के मसूड़ों पर केले का छिलका रगड़ने से दांत जल्दी आते हैं.

डॉक्टर माथुर ने कहा- देखिए पायल जी, यह सब देसी और घरेलू नुसखे हैं. मैं इसके बारे में कुछ नहीं कह सकता और ये तब की बातें हैं जब डाक्टर को दिखाने के लिए शहर जाना पड़ता था. आजकल डॉक्टर के पास जाना इतना मुश्किल नहीं.

इसलिए डॉक्टर से राय जरूर लेनी चाहिए. अमूमन सामने के दांत जिसे सेंट्रल इनसाइजर कहते हैं वो छह-सात महीने से निकलने शुरू हो जाते हैं. फिर लैटरल इनसाइजर, कैनाइन, फस्र्ट मोलर और फिर सेकेंड मोलर निकलते हैं. यह सारे दांत छठे महीने से शुरू होकर 33वें महीने तक निकलते हैं. मतलब किसी भी बच्चे के तीन साल का पूरा होने से पहले सारे दांत निकल जाने चाहिए. पीछे के दांत दूध के दांत नहीं होते. इसलिए वो नहीं टूटते. इसी तरह दूध के दांत टूटने का भी समय होता है. अमूमन छह से सात साल के बीच बच्चे के दूध के दांत टूटने शुरु होते हैं और दांत टूटने की यह प्रक्रि या 12 साल तक चलती है.

इसमें थोड़ा समय आगे-पीछे हो जाता है जिसे लेकर घबराना नहीं चाहिए. साथ ही दांत टूटने के बाद बच्चे को समझाना चाहिए कि दूटे दांत की जगह पर ज्यादा जीभ ना लगाये या बार-बार वहां हाथ ना लगाये, क्योंकि बार-बार वहां छेड़छाड़ करने से दांत टेढ़े-मेढ़े या आगे पीछे हो सकते हैं. फिर पायल ने कहा कि डॉक्टर साहब पराग के दांतों में स्टेन क्यों है. तो उन्होंने बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान टेट्रासाइक्लीन ग्रुप की दवाएं खाने से बच्चों के दांतों में स्टेन आ जाते हैं. इसलिए गर्भवती महिलाओं को इस ग्रुप की दवाएं नहीं खानी चाहिए. यहां तक बच्चे के जन्म के बाद भी कुछ समय तक इस ग्रुप की दवाओं को नहीं खाना चाहिए. सबसे बड़ी बात है बच्चे को मां के करीब ही रखा जाये, क्योंकि बच्चे को मां से दूर रखने पर उसके सारे विकास देर से होंगे.

वीना श्रीवास्तव

लेखिका व कवयित्री

इ-मेल: veena.rajshiv@gmail.com

Next Article

Exit mobile version