कौशलेंद्र रमण
आज आपको दो बहनों रजनी और प्रिया के बारे में बताते हैं. रजनी उम्र में प्रिया से डेढ़ साल बड़ी है. स्कूल में प्रिया से एक क्लास आगे. वह शुरू से पढ़ने में तेज है. अपनी दिनचर्या भी व्यवस्थित रखती है. क्लास में वह हमेशा टॉप फाइव में रही. वहीं, प्रिया को पढ़ने में कमजोर तो नहीं कहा जा सकता है, लेकिन रजनी से पीछे है. साइंस और मैथ्स से उसे डर लगता है.
दसवीं के इम्तिहान में रजनी को दस सीजीपीए आये. वह मेडिकल की तैयारी में जुट गयी. घर में एक दिन प्रिया ने कहा – मुझे मैथ्स और साइंस ज्यादा समझ में नहीं आता है. मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैट्रिक के बाद मैं क्या करूंगी. प्रिया की बात सुन कर उसके पिता एक दिन उसके क्लास टीचर से मिलने पहुंचे. टीचर ने बताया कि अंगरेजी, सोशल साइंस, हिंदी में उसके नंबर अच्छे आते हैं. क्लास में भी बहुत अच्छा करती है. लेकिन, मैथ्स और साइंस में कमजोर है. इसका प्रभाव दूसरे विषयों पर भी पड़ता है. शिक्षक ने प्रिया के पिता को सुझाव दिया कि दसवीं के बाद वह उसे साइंस पढ़ने का दबाव नहीं डालें.
स्कूल से लौटते समय वह सोच रहे था कि कैसे प्रिया को समझाया जाये कि आर्ट्स पढ़ कर भी करियर बनाया जा सकता है. घर पहुंच कर देखा तो प्रिया सीएनबीसी पर चंदा कोचर का इंटरव्यू देख रही थी. यह देख कर पिता ने कहा – चंदा कोचर साइंस की विद्यार्थी नहीं थीं, लेकिन किसी डॉक्टर या इंजीनियर से कम सफल नहीं हैं. इसके बाद उन्होंने प्रिया से कहा- यह जरूरी नहीं कि रजनी की रुचि साइंस में है, तो तुम्हारी भी हो.
कुछ विषय जरूर होगा, जिसमें तुम उससे ज्यादा अच्छा कर सकती हो. जिस विषय में तुम अच्छा कर सकती हो, उसी में तुम्हारा करियर बन सकता है. पिता की बात प्रिया को सही लगी. उसे इतिहास पसंद है. मन ही मन उसने इतिहास पढ़ने का मन बनाया. इसके बाद वह करियर की चिंता छोड़ दसवीं की तैयारी में जुट गयी.
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