उरी जैसा आतंकवादी हमला तनाव बढ़ाता है : अमेरिका

वाशिंगटन : अमेरिका ने कहा है कि उरी स्थित भारतीय सेना के कैंप जैसा आतंकवादी हमला तनाव बढ़ाता है और उसने पाकिस्तान से मांग की है कि वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी समूहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के साथ-साथ उनकी वैधता खत्म करे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कल यहां संवाददाताओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2016 12:37 PM

वाशिंगटन : अमेरिका ने कहा है कि उरी स्थित भारतीय सेना के कैंप जैसा आतंकवादी हमला तनाव बढ़ाता है और उसने पाकिस्तान से मांग की है कि वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी समूहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के साथ-साथ उनकी वैधता खत्म करे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कल यहां संवाददाताओं से कहा, ‘नि:संदेह उसके (उरी) जैसा (आतंकवादी) हमला तनाव को बढ़ाता है. स्पष्ट रूप से इस तरह का हमला भय पैदा करने वाला है.’ किर्बी को एक महिला संवाददाता ने बीच में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि उसका सवाल 18 सितंबर के उरी हमले को लेकर भारत की जवाबी कार्रवाई के बारे में था.

अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और उनकी भारतीय समकक्ष सुषमा स्वराज के बीच इस हफ्ते के शुरुआत में टेलीफोन पर हुई बातचीत का जिक्र करते हुए संवाददाता ने पूछा, ‘लेकिन वह भारतीय जवाबी कार्रवाई है. क्या उस तरह के तनाव बढ़ने के खिलाफ विदेश मंत्री केरी चेतावनी दे रहे थे?’ किर्बी ने झट से स्पष्ट किया कि वह उरी के आतंकवादी हमले का जिक्र कर रहे थे. प्रवक्ता ने कहा, ‘ओह, मैंने सोचा कि आप उरी हमले के बारे में बात कर रहे हैं.’

27 सितंबर को केरी ने सुषमा से बातचीत की थी. तकनीकी कारणों से यह संवाद दो अलग-अलग कॉल में किया गया था. उन्होंने कहा, ‘मैं आपको इसकी पुष्टि कर सकता हूं कि इस हफ्ते 27 तारीख को अमेरिकी विदेश मंत्री ने भारतीय विदेश मंत्री सुषमा से बातचीत की थी और 18 सितंबर के उरी हमले की फिर से कड़ी निंदा की थी.’ सवालों का जवाब देते हुए किर्बी ने दोनों देशों के बीच तनाव को खत्म करने का आह्वान भी किया.

उन्होंने बताया, ‘हमने उन रिपोर्टों (भारतीय सर्जिकल हमला) को देखा है. हम स्थित पर कड़ी नजर रखे हुए है. मुझे लगता है कि आप समझ सकते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि तनाव को कम करने के लिए निरंतर संवाद होना महत्वपूर्ण है.’ किर्बी ने बताया, ‘हमने इस क्षेत्र में आतंकवाद से हो रहे खतरे के बारे में बार-बार चिंता जाहिर की है और हम सभी जानते हैं कि आतंकवाद की कोई सीमा रेखा (बार्डर) नहीं होती है.’

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