इस्लामाबाद : भारत के खिलाफ राजनीतिक मोर्चाबंदी करने के पाकिस्तान के प्रयासों को मंगलवार को उस समय करारा झटका लगा जब पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान ने संयुक्त सत्र का बहिष्कार करने की घोषणा करते हुए कहा कि उसमें भाग लेने का मतलब प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के नेतृत्व को ‘‘समर्थन’ देना होगा.
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर भारत द्वारा लक्षित हमले किए जाने के बाद से भारत के साथ चल रहे तनाव पर चर्चा करने के लिए शरीफ ने पिछले सप्ताह दोनों सदन का संयुक्त सत्र बुलाया था. पार्टी की बैठक के बाद इमरान ने कहा कि सत्र में भाग लेने का मतलब शरीफ के नेतृत्व को समर्थन देना होगा जिन्हें वे कथित भ्रष्टाचार को लेकर सत्ता से हटाने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पर हमारा रुख स्पष्ट है. बुधवार के सत्र में भाग लेने का मतलब होगा उन्हें समर्थन देना लेकिन पनामा पेपर लीक मामले में वे अपना नैतिक अधिकार खो चुके हैं. इमरान ने कहा कि पेशावर में स्कूल पर हुए हमले के बाद आतंकवाद को खत्म करने की घोषित राष्ट्रीय कार्य योजना को लागू करने में भी वे नाकाम रहे हैं. हालिया तनाव में भारत को मजबूती से जवाब नहीं देने के लिए भी उन्होंने शरीफ को निशाने पर लिया.
उन्होंने पूछा, ‘‘उरी हमले के बाद हुए हंगामों के वक्त वक्त नवाज शरीफ कहां थे? उन्होंने कहा, ‘‘वे लंदन के गुच्ची में खरीददारी करने में लगे हुए थे, जबकि उन्हें उस वक्त पाकिस्तान में रहकर नेतृत्व करना चाहिए था.’ इमरान ने फिर इस बात को दोहराया कि पनामा पेपर लीक मामले में उनके परिवार का नाम आने के बाद वे इस मुल्क के प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी वैधता खो चुके हैं.