देश की पहली मोनोरेल सेवा मुंबई में दो फरवरी से शुरू हो गयी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मोनोरेल सेवा का उद्घाटन किया. अब यह आम जनों के लिए शुरू हो गयी हैं, तो जानते हैं इसकी खासियत.
करीब 3,000 करोड़ रुपए की लागत से बननेवाली मोनोरेल परियोजना को दो चरणों में बांटा गया है. पहले चरण में 8.9 किलोमीटर लंबा वाडला-चेंबूर खंड का निर्माण किया गया. यह आम लोगों के लिए उपलब्ध हो चुकी है.
एमएमआरडीए चलायेगी मोनोरेल
मोनोरेल परियोजना इंजीनियरिंग कंपनी ‘लार्सन एंड टब्रो’ और मलेशिया की कंपनी ‘स्कोमी इंजीनियरिंग’ मिलकर कर रही है. इसके परिचालन और देखरेख का जिम्मा मुंबई मेट्रोपोलिटन रिजन डेवलपमेंट अथोरिटी (एमएमआरडीए) को मिला है. साथ ही यह यात्रियों को मिलनेवाली सुविधाओं का भी ध्यान रखेगी.
मोनोरेल के कोच
पहले चरण में छ: ट्रेनें दी गयी हैं. सभी कोच एयरकंडीशंड हैं. हर ट्रेन में चार कोच लगे हैं. कोच में 18 लोगों के बैठने और 124 लोगों के खड़े होने की जगह है. एक ट्रेन में लगभग 568 पैसेजर्स ट्रैवल कर सकते हैं. भविष्य में छ: कोचों के साथ इसकी क्षमता 852 यात्रियों की हो जायेगी.
मोनोरेल की रफ्तार
मुंबई मोनोरेल की अधिकतम रफ्तार 80 किमी प्रति घंटा है. छोटी दूरियों पर रुकने के कारण इसकी औसत स्पीड 65 किमी प्रति घंटा हो जाती है.
सुविधाएं होंगी अंतरराष्ट्रीय
मोनोरेल की तुलना दिल्ली मेट्रो से की जा रही है. ऐसे में इसकी सुविधाओं पर सबकी नजर रहेगी. फिलहाल इसमें एस्कलेटर, लिफ्ट, एसी कोच और फीडर बस जैसी सुविधायें दी गयी हैं. आनेवाले समय में इसमें और भी सुविधायें जुड़ेंगी.
दुनिया में मोनोरेल
चीन, जापान, सिंगापोर, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, यूरोप और अमेरिका आदी देशों में मोनोरेल पहले से चल रही है. दुनिया की सबसे तेज मोनोरेल की स्पीड 581 किमी प्रति घंटे की है.