चीनी अखबार का आरोप, BRICS में भारत ने पाकिस्‍तान को अकेला कर दिया

बीजिंग : चीन के सरकारी मीडिया ने गोवा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को लेकर खबर प्रकाशित की है जिसमें उसने कहा है कि भारत ने इस सम्मेलन में पाकिस्तान की छवि ‘‘क्षेत्रीय परित्यक्त’ देश की बनाकर उसे ‘‘हाशिए पर डाल दिया’ है. इस सम्मेलन में भारत ने खुद को ‘‘एक पाक साफ’ देश के तौर पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 19, 2016 12:45 PM

बीजिंग : चीन के सरकारी मीडिया ने गोवा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को लेकर खबर प्रकाशित की है जिसमें उसने कहा है कि भारत ने इस सम्मेलन में पाकिस्तान की छवि ‘‘क्षेत्रीय परित्यक्त’ देश की बनाकर उसे ‘‘हाशिए पर डाल दिया’ है. इस सम्मेलन में भारत ने खुद को ‘‘एक पाक साफ’ देश के तौर पर पेश करते हुए एनएसजी की सदस्यता और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए अपनी दावेदारी मजबूत की है.

सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में कहा गया, ‘‘भारत-पाक तनाव की असहज पृष्ठभूमि को देखते हुए भारत द्वारा बिम्सटेक का समावेश अपने आप में कहीं अधिक भू-रणनीतिक निहितार्थ लिए हुए है.’

अखबार ने कहा, ‘‘भारत ने पाकिस्तान के अलावा सभी देशों को आमंत्रित करके दरअसल पाकिस्तान को एक क्षेत्रीय परित्यक्त बना दिया.’ उरी हमले के बाद इस्लामाबाद में होने वाले दक्षेस सम्मेलन में शिरकत न करने के भारत के फैसले का उल्लेख करते हुए अखबार ने कहा, ‘‘दक्षेस सम्मेलन के रद्द हो जाने के बाद भारत को क्षेत्रीय समूह पर इस्लामाबाद का कोई भी प्रभाव पडने देने से रोकने का एक दुर्लभ अवसर मिला क्योंकि यही समूह जल्दी ही पाकिस्तान की अनुपस्थिति में गोवा में एकत्र हो रहा था.’

लेख में कहा गया कि गोवा शिखर सम्मेलन के दौरान बिम्सटेक भारत के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सफल रहा.

लेख में कहा गया, ‘‘गोवा सम्मेलन और इससे पहले हुए सम्मेलनों में एक बडा अंतर यह है कि नई दिल्ली ने बिम्सटेक को ब्रिक्स की बैठक के साथ आयोजित किया.’ अखबार ने कहा कि क्षेत्रीय देशों- बांग्लादेश, श्रीलंका, थाइलैंड, म्यांमा, नेपाल और भूटान- को ब्रिक्स की उभरती बडी अर्थव्यवस्थाओं के साथ लाकर भारत ने निष्क्रिय संगठन में वैधता और अस्तित्व की जान फूंक दी है.

इसमें कहा गया, ‘‘ब्रिक्स के बाकी सदस्य भारत-पाक तनाव में किसी भी पक्ष का समर्थन खुले तौर पर नहीं करेंगे लेकिन भारत ने सम्मेलनों के लिए एजेंडा तय कर देने की शक्तियों का लाभ लेते हुए पाकिस्तान के सामने अपने रुख को एक तरह से सुरक्षित कर लिया है.’ इसमें कहा गया, ‘‘हालांकि दक्षेस के प्रभावी विकल्प के तौर पर बिम्सटेक से जुडी संभावना धुंधली ही है. प्रभावशाली भारत को संतुलित और नियंत्रित रखने वाले पाकिस्तान की गैरमौजूदगी वाला यह उपमहाद्वीपीय समूह छोटे देशों के बीच संदेह और डर बढा सकता है.’ इसमें कहा गया कि इस सम्मेलन ने एनएसजी में सदस्यता और सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट हासिल करने की भारत की दावेदारी को बल देने में भी उसकी मदद की है. चीन ने एनएसजी में भारत की सदस्यता की दावेदारी को बीच में रोक दिया था.

लेख में कहा गया, ‘‘सम्मेलन के दौरान भारत ने खुद को उस ब्लॉक के एक पाक-साफ स्थान के तौर पर पेश किया, जिसके अन्य सदस्य किसी न किसी स्तर पर आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. वैश्विक तौर पर मंदी की स्थिति के बावजूद वर्ष 2015 में 7.5 प्रतिशत की विकास दर के साथ भारत ने चीन को विश्व की सबसे तेजी से विकसित होती बडी अर्थव्यवस्था के स्थान से हटा दिया है.’ इसमें कहा गया कि भारत आर्थिक मामलों में विश्वास के साथ बात करता है. उसके साथी देशों द्वारा झेली गई विफलताओं की तुलना में भारत की हालिया आर्थिक उपलब्धियां कहीं ज्यादा चमकदार दिखाई पडती हैं.’ इसमें कहा गया, ‘‘हालांकि भारत के घरेलू सुधारों ने भूमि अधिग्रहण और श्रम नियमन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सीमित प्रगति ही की है, भारत के विकास से जुडी संभावनाओं से मिले नए विश्वास से लैस महत्वाकांक्षी :प्रधानमंत्री: मोदी ने स्पष्ट तौर पर देश को अति सक्रिय बना दिया है.’ अखबार में कहा गया कि ब्रिक्स सम्मेलन मौजूदा वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय शासन में सुधार लाने के प्रयासों का समन्वय करने के लिहाज से एक शानदार मंच रहा है.

इसमें कहा गया, ‘‘यह प्रभाव नव विकास बैंक :एनडीबी: और आकस्मिक वित्त व्यवस्था :सीआरए: ने मौजूदा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था पर दबाव बनाया है और भारत को प्रासंगिक सुधारों की मांग करने में ठोस लाभ दिलाया है.’ इसमें कहा गया कि उदाहरण के तौर पर गोवा घोषणापत्र विकसित यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं से अपील करता है कि वे आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड की दो अध्यक्षताएं छोड दे. अपने हालिया तीव्र विकास और भारी संभावनाओं के चलते इन अध्यक्षताओं पर दावा करने के लिहाज से भारत प्रभावी स्थिति में हो सकता है.

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