मुर्सी को सुनाई गई 20 साल की सजा, अदालत ने की पुष्टि

काहिरा : मिस्र की एक अदालत ने 2012 में प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़काने के जुर्म में मोहम्मद मुर्सी को सुनाई गई 20 साल जेल की सजा की आज पुष्टि की. पूर्व राष्ट्रपति मुर्सी के खिलाफ किसी मुकदमे में यह पहला अंतिम फैसला है. आठ अन्य आरोपियों को इस मामले में 20 साल तक की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2016 8:46 PM

काहिरा : मिस्र की एक अदालत ने 2012 में प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़काने के जुर्म में मोहम्मद मुर्सी को सुनाई गई 20 साल जेल की सजा की आज पुष्टि की. पूर्व राष्ट्रपति मुर्सी के खिलाफ किसी मुकदमे में यह पहला अंतिम फैसला है. आठ अन्य आरोपियों को इस मामले में 20 साल तक की जेल की सजा सुनाई गई. उनकी अपीलें भी खारिज कर दी गईं. अप्रैल 2015 में काहिरा की एक अदालत ने दिसंबर 2012 में इत्तिहादिया प्रेजिडेंशियल पैलेस के बाहर धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा भड़काने के जुर्म में मुर्सी को 20 साल जेल की सजा सुनाई थी. उस वक्त मुर्सी सत्ता में थे.

मोहम्‍मद मुर्सी पर है हिंसा भड़काने का आरोप

तत्कालीन विपक्षी प्रदर्शनकारी मुर्सी के एक आदेश का शांतिपूर्ण विरोध करने के लिए पैलेस के सामने जमा हुए थे. आदेश में मुर्सी ने कहा था कि राष्ट्रपति न्यायिक निगरानी के दायरे से बाहर रहेगा. पैलेस के बाहर झड़प हो गई थी और 33 साल के एक पत्रकार सहित 10 लोग मारे गये थे. मुर्सी और अन्य आरोपियों पर प्रदर्शनकारियों को मारने, हथियार रखने और हिंसा भड़काने के लिए मुकदमा चलाया गया था. मुर्सी के पूर्व सैन्य उप-प्रमुख असद अल-शिखा, राष्ट्रपति कार्यालय के पूर्व प्रमुख अहमद अब्दुल अट्टी, मुस्लिम ब्रदरहुड के अग्रणी सदस्य मोहम्मद अल-बेलतागी, इस्लामी उपदेशक वागडी गॉनिम और अब प्रतिबंधित कर दिये गये मुस्लिम ब्रदरहुड की जस्टिस एंड फ्रीडम पार्टी के उप-प्रमुख ऐसाम अल-एरियन भी आरोपियों में शामिल थे.

जासूसी, 2011 में 25 जनवरी को हुई ‘क्रांति’ के दौरान जेल से भागने और न्यायपालिका का अपमान करने सहित कई अन्य आरोपों में चल रहे मुकदमों का सामना कर रहे मुर्सी अभी जेल में हैं. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि अब उस मुकदमे को नहीं मानते जिसका सामना उन्हें करना पड़ रहा है. देश में हुए पहले लोकतांत्रिक चुनावों के बाद जून 2012 में मिस्र के राष्ट्रपति बने मुर्सी को एक साल के कार्यकाल के बाद ही एक सैन्य तख्तापलट में सत्ता से बाहर कर दिया गया था. मुर्सी के शासन के खिलाफ बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद यह तख्तापलट हुआ था.

मोहम्‍मद बाड़ी की अपील मंजूर

एक अन्य मामले में मिस्र की एक अदालत ने मुस्लिम ब्रदरहुड के सर्वोच्च मार्गदर्शक मोहम्मद बाड़ी और अन्य आरोपियों की अपील मंजूर कर ली. पिछले साल गीजा में इस्तेकामा मस्जिद के पास हिंसक गतिविधियों, जिनमें नौ लोग मारे गए थे, में हिस्सा लेने के जुर्म में सुनाई गई उम्रकैद की सजा के खिलाफ इन आरोपियों ने अपील की थी. इन आरोपियों पर हत्या, हत्या की कोशिश, अधिकारियों को रोकने और एक प्रतिबंधित संगठन का सदस्य होने जैसे आरोप थे. अदालत ने सभी आरोपियों पर फिर से मुकदमा चलाने के आदेश दिए हैं.

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