अमेरिकी राजदूत के अरुणाचल प्रदेश दौरे का चीन ने किया विरोध

बीजिंग : भारत में अमेरिकी राजदूत की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर आपत्ति जताते हुए चीन ने आज कहा कि चीन-भारत सीमा विवाद में वाशिंगटन का कोई भी हस्तक्षेप इस विषय को और जटिल बना देगा तथा सीमा पर कड़े परिश्रम से प्राप्त शांति को बाधित करेगा. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत बताकर उस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2016 5:53 PM

बीजिंग : भारत में अमेरिकी राजदूत की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर आपत्ति जताते हुए चीन ने आज कहा कि चीन-भारत सीमा विवाद में वाशिंगटन का कोई भी हस्तक्षेप इस विषय को और जटिल बना देगा तथा सीमा पर कड़े परिश्रम से प्राप्त शांति को बाधित करेगा. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत बताकर उस पर अपना दावा करता है.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने अमेरिका को भारत-चीन सीमा विवाद में हस्तक्षेप करने से दूरी बनाने की सलाह देते हुए यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन पुरजोर तरीके से यात्रा के खिलाफ है. अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू के निमंत्रण पर अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा 22 अक्तूबर को वहां गये थे . रिचर्ड की उस यात्रा का उल्लेख करते हुए लू ने कहा कि अमेरिकी राजदूत ने एक विवादित क्षेत्र का दौरा किया है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस बात का संज्ञान लिया है कि अमेरिका के वरिष्ठ राजनयिक अधिकारी ने जिस जगह का दौरा किया है वह चीन और भारत के बीच विवादित क्षेत्र है. हम इस यात्रा के पूरी तरह खिलाफ हैं.’ चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है और इस इलाके में भारतीय नेताओं, विदेशी अधिकारियों तथा दलाई लामा की यात्रा का नियमित विरोध करता है.
लू ने समाधान निकालने के लिए दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की अगुवाई वाली विशेष प्रतिनिधियों की प्रणाली का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘चीन-भारत सीमा के पूर्वी क्षेत्र को लेकर चीन की स्थिति बहुत स्पष्ट है और एक जैसी है. दोनों देश बातचीत और परामर्श के माध्यम से क्षेत्रीय विवादों को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं.’ दोनों पक्षों ने 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों की 19वें दौर की वार्ता की थी. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत कहता है वहीं भारत का मानना है कि अकसाई चीन को लेकर विवाद है जिस पर चीन ने 1962 की जंग में कब्जा कर लिया था.
लू ने कहा, ‘‘किसी भी तीसरे पक्ष को जिम्मेदारी की भावना के साथ शांति, सुलह और अमन के लिए चीन और भारत के प्रयासों का सम्मान करना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि अमेरिका का व्यवहार चीन और भारत के प्रयासों के प्रतिकूल है. लू के मुताबिक, ‘‘हमारा मानना है कि दो बड़े देशों के रूप में भारत और चीन इस मुद्दे से उचित तरीके से निपटने के लिए और दोनों देशों की जनता के बुनियादी हितों की सुरक्षा के लिहाज से पर्याप्त समझदार हैं.’

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