फेसबुक बना रहा है फेक न्यूज को खत्म करने का मास्टर प्लान

न्यूयोर्क : फेसबुक पर आपने कई खबरें देखी होगी जिसके गलत होने की जानकारी आपको बाद में मिली होगी. कई ऐसी खबरें जिसकी सत्यता पर आपको पहले से शक होता होगा. इस तरह की खबरों को लेकर फेसबुक अब ठोस कदम उठाने जा रहा है. फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इससे निपटने के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2016 4:20 PM

न्यूयोर्क : फेसबुक पर आपने कई खबरें देखी होगी जिसके गलत होने की जानकारी आपको बाद में मिली होगी. कई ऐसी खबरें जिसकी सत्यता पर आपको पहले से शक होता होगा. इस तरह की खबरों को लेकर फेसबुक अब ठोस कदम उठाने जा रहा है. फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इससे निपटने के लिए कोई ठोस टेक्निकल हल की तलाश शुरू कर दी है.

उनका मानना है कि उनकी कंपनी ने कुछ हद तक इसे कम किया है लेकिन इस पर अभी और काम होना बाकी है. फेक न्यूज न सिर्फ भारत में बल्कि अमेरिकी चुनाव में भी कई ऐसी खबरें शेयर की गयी जिसका खासा असर चुनाव पर पड़ा. डोनाल्ड ट्रंप को लेकर कई ऐसी खबरें शेयर की गयी जो बात में गलत साबित हुई. इन गलत खबरों के कारण फेसबुक पिछले दिनों खूब चर्चा में रहा.

इस मामले पर सफाई देते हुए कंपनी के सीईओ मार्क जुकबर्ग ने कहा, हम खबरें नहीं बनाते. हमारी साइट पर लोग जिस बारे में ज्यादा बातें करते हैं हमारीसाइटउसे ही दिखाती है. अपनी तरफ से हम इसमे कुछ जोड़ या घटा नहीं सकते. सोशल मीडिया का इन दिनों खूब इस्तेमाल हो रहा है. अमेरिकी चुनाव में भी सोशल मीडिया चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा थी. फेसबुक के लाइव फीचर्स का खूब इस्तेमाल होता है. ऐसे मे इस माध्यम को अफवाह फैलाने और छूटी खबरें जो देखने में सच्ची लगे उन्हें फैलाने का भी चलन जोरों पर है. फेसबुक अब इन गलत खबरों पर रोक लगाने की कोशिश करेगा. इसके लिए फेसबुक प्रयास कर रहा है.
अमेरिका के राष्ट्रपति बराम ओबामा ने फेसबुक पर आरोप लगाया था कि वो डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में खबरें फैला रहे हैं. इन आरोपों के बाद फेसबुक पर लगातार सवाल खड़े किये जा रहे थे. इन आलोचनाओं के बाद फेसबुक ने इसका कोई हल ढूंढने का निश्चय किया है. ‘हम गलत खबर को गंभीरता से ले लेते हैं. हम इस समस्या पर लंबे समय से काम करते आए हैं. हमने कुछ सफलता भी हासिल कर ली है अभी इस पर काम चल रहा है और ठोस काम होना बाकी है. सोशल मीडिया पर गलत खबरों का प्रचार न सिर्फ अमेरिका में बल्कि दूसरे देशों में भी चिंता का विषय रहा है.

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