बीजिंग : भारत और चीन में आज सहमति बनी की वे अपनी सीमाओं को ‘‘शांत एवं सुरक्षित” रखेंगे. भारत के सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने अपनी चार दिवसीय चीन यात्रा के पहले दिन आज अपने समकक्ष सहित चीनी सेना के शीर्ष अधिकारियों से बातचीत की जिसमें यह सहमति बनी है.
गौरतलब है कि चीन की सेना द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अकसर आक्रमकता दिखाए जाने के बीच दोनों सेनाएं आपस में बातचीत कर रही हैं. अपनी चार दिवसीय यात्रा की शुरुआत करते हुए जनरल सुहाग ने चीनी थलसेना के प्रमुख जनरल ली जुचेन से भेंट की. चीनी थलसेना में पिछले तीन वर्षों में आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं.
जनरल ली ने बेयी बिल्डिंग में गार्ड ऑफ ऑनर के साथ सुहाग का स्वागत किया. बाद में दोनोंं अधिकारियों के बीच हुई वार्ता में परस्पर दिलचस्पी के विभिन्न मुद्दोंं पर चर्चा की गयी. भारतीय दूतावास की ओर से जारी बयान के अनुसार, दोनों ने फिलहाल पुणे में चल रहे छठे भारत-चीन संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास ‘हैंड इन हैंड’ 2016 की प्रशंसा करते हुए दोनों सेनाओं के बीच भविष्य में रक्षा आदान-प्रदान बढ़ाने पर सहमत हुए.
बाद में सुहाग ले चीनी वायुसेना के प्रमुख जनरल शु क्वीलिआंग से भी भेंट की. शु चीनी सेना के उच्च कमान, सेन्ट्रल मिलिटरी कमिशन के उपाध्यक्ष हैं. बयान के अनुसार, बैठक के दौरान सुहाग और शु ने ‘‘रक्षा आदान-प्रदान की गति को बनाए रखने तथा सीमाओं को शांत और सुरक्षित बनाए रखनेे की अपनी इच्छा को दोहराया.” जनरल शु ने भारत आने का जनरल सुहाग का न्योता भी स्वीकार किया.
सुहाग ने ली को भी भारत आने का न्योता दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार करते हुए जल्दी आने की आशा जतायी. बयान के मुताबिक, सेना प्रमुख के साथ प्रतिनिधिमंडल में भारतीय सेना में प्रमुख पदों पर आरुढ चार शीर्ष अधिकारी भी शामिल हैं. सुहाग शिआन और नानजिंग भी जाएंगे, जहां वह प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठानों का दौरा करेंगे तथा ईस्टर्न थियेटर कमांड के कमांडर जनरल लियू युजुन से बातचीत भी करेंगे.
आशा की जा रही है कि अपनी यात्रा के दौरान जनरल दलबीर सिंह सुहाग विभिन्न मुद्दों के साथ-साथ दोनोंं देशों के मालिकाना दावों वाले क्षेत्रों में आक्रामक गश्त के दौरान सैन्य टुकडियों द्वारा किए जाने वाले उल्लंघनों से निपटने संबंधी प्रक्रिया के प्रभावितों पर भी चर्चा करेंगे.
चीनी सैन्य टुकडियों द्वारा हाल के दिनों में लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में ऐसे विभिन्न उल्लंघनों के कारण दोनों पक्षों के बीच काफी तना-तनी की स्थिति रही. रक्षा मंत्रियों सहित दोनोंं देशों के शीर्ष अधिकारियों की लगातार यात्राओं से दोनों सेनाओं के बीच संबंधों में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान-संबंधी मुद्दों के कारण संबंध अभी भी बहुत पुख्ता नहीं हैं.
जनरल सुहाग का चीन दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर (सीपीईसी), परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता और संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्म्द प्रमुख मसूद अजहर पर प्रतिबंध के भारत के प्रस्ताव को चीन द्वारा अवरुद्ध किए जाने के कारण दोनों देशों के संबंधों में कुछ खिंचाव है.
तमाम मुद्दोंं के बावजूद दोनोंं पक्षों के अधिकारियों का कहना है कि दोनोंं पक्ष उच्चतम स्तर पर बातचीत लगातार बनाए हुए हैं और 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति तथा स्थिरता कायम रख रहे हैं. जमीनी स्तर के मुद्दों को सुलझाने के लिए सीमा रक्षा सहयोग समझौता (बीडीसीए) के तहत लगातार बातचीत के अलावा दोनों पक्षों ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए 19 दौर की वार्ता की है.
चीन के रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, सुहाग के साथ बैठक के दौरान शू ने कहा कि चीन-भारत मित्रता का लंबा इतिहास है और चीनी पक्ष भारत के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्व देता है. शू ने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में फिलहाल विकास गति अच्छी है, दोनों सेनाओं को दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमति को लागू करना चाहिए.
सुहाग चीन के सर्वोच्च सैन्य अधिकारी सीएमसी के उपाध्यक्ष जनरल फान चांगलोंग के न्यौते पर चीन गए हैं. उनकी यह यात्रा किसी भारतीय सेना प्रमुख की दो वर्षों में पहली चीन यात्रा है.