कार्टून के हैं सभी दीवाने

समय के साथ-साथ कार्टून किरदारों के स्वरूप में भी बदलाव आया है और साथ ही बच्चों के पसंदीदा कार्टून किरदार भी बदलते रहे हैं. बच्चे ही नहीं, बड़े भी इन कार्टून किरदारों के मुरीद हैं. यही वजह है कि बीते एक दशक में कई नये कार्टून चैनल्स आ चुके हैं. कार्टून चैनल्स पर आ रहे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 15, 2014 11:05 AM

समय के साथ-साथ कार्टून किरदारों के स्वरूप में भी बदलाव आया है और साथ ही बच्चों के पसंदीदा कार्टून किरदार भी बदलते रहे हैं. बच्चे ही नहीं, बड़े भी इन कार्टून किरदारों के मुरीद हैं. यही वजह है कि बीते एक दशक में कई नये कार्टून चैनल्स आ चुके हैं. कार्टून चैनल्स पर आ रहे शो बेन 10, डोरेमोन, सिनचेन, पावर रेंजर्स, छोटा भीम, निंजा हथौड़ी आदि किरदार बच्चों को खूब लुभा रहे हैं. इन किरदारों की दिलचस्प जानकारी से भरा है
कुलदीप तोमर का आलेख.

समय बदला. रहन-सहन बदला. तकनीकी और विज्ञान ने देखने का नजरिया भी बदल डाला. लोगों की लाइफ स्टाइल में इन बदलावों का आसानी से देखा जा सकता है. बात करें बच्चों की तो उनपर भी इन बदलावों का असर पड़ा है. बच्चे पहले जहां बाहरी खेल-कूद पर ज्यादा ध्यान देते थे, आज नित्य नये आ रहे गैजेट के दीवाने हो गये हैं. टीवी में कार्टून देखना, मोबाइल और कंप्यूटर पर गेम खेलना उनका फेवरेट टाइमपास है. टीवी चैनल्स भी इस बात को बखूबी जानते हैं.

यही कारण है कि कार्टून चैनल्स की संख्या में भी इजाफा हुआ है. सभी चैनल अपने नन्हें दर्शकों को रिझाने के लिए नये आइडिया और कहानी पर काम कर रहे हैं. पहले जहां ज्यादातर कैरेक्टर विदेशों के होते थे, वहीं अब भारतीय दर्शकों को ध्यान में रखकर भी स्टोरी और कैरेक्टर डिजाइन किये जाते हैं. बच्चों की पसंद के हिसाब से उनकी आवाज की डबिंग और मिमिक्री की जाती है.

बेन 10 और उसकी घड़ी
अमेरिकन कार्टून किरदार बेन 10 का पूरा नाम ‘बेन टेनीशॉन’ है. यह भारत समेत दुनियाभर में काफी चर्चित है. बच्चों को इसके फ्यूचरिस्टक कारनामे काफी पसंद हैं. इसके फैन फॉलोइंग का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बेन 10 थीम के खिलौने और बच्चों के यूज की अन्य सामाग्रियों की बिक्री एक अरब से ज्यादा है. बेन 10 और उसकी घड़ी के मुरीद सभी बच्चे हैं. यह घड़ी बेन 10 को अद्भुत ताकतें देती हैं, जिससे वह नित नये करतब दिखाता है.

बेन 10 को पहली बार 27 दिसंबर, 2005 को छोटे पर्दे पर दिखाया गया. 15 अप्रैल, 2008 से बेन 10 रेगुलर प्रसारित किया जाने लगा. तब से आज तक इसके प्रशंसकों में लगातार वृद्धि हुई है. अभी तक बेन 10 की चार सीरीज प्रसारित हो चुकी हैं.

गैजेट गुरु डोरेमोन
यह एक जापानी मंगा सीरीज का किरदार है, जिसे फूजीको फुजीयो ने बनाया है. दिसंबर, 1969 में इसे पहली बार प्रसारित किया गया. पहली सीरीज में 1344 कहानियां संग्रहित की गई थीं. सीरीज में डोरेमोन बिल्ली की शक्ल का 22 वीं सदी का रोबोट है, जो अपने मित्र नोबिता की मदद अपने नये गैजेट्स से करता रहता है. डोरेमोन के अधिकांश कार्यक्रम हास्य से परिपूर्ण हैं और बच्चे उसे काफी पसंद भी करते हैं. डोरेमोन नोबिता और उनके दोस्तों को हमेशा अच्छी सीख देने की कोशिश करता है. नोबिता एक आलसी कैरेक्टर है जो अपना काम डोरेमोन के गैजेट की मदद से करने में लगा रहता है. डोरेमोन उसकी मदद तो करता है, पर नोबिता को उसके गलत उपयोग से रोकने की कोशिश करता है. डोरेमोन के भी कई खिलौने और टीशर्ट बाजार में उपलब्ध हैं, जो उसके पॉपुलरिटी का परिचायक है.

सिंचैन की बेवकू फियां
80 के दशक में जापान में शुरू होनेवाले सिंचैन की सीरीज को भारत में भी खासा पंसद किया जा रहा है. सिंचैन को भी भारतीय बच्चे काफी पसंद करते हैं. बच्चे उसकी आवाज की नकल करते अक्सर दिख जाते हैं. वह काफी शरारती भी है. उसका नटखट स्वभाव और रोजमर्रा की गलतियां बच्चों का खूब मनोरंजन करती हैं. हालांकि, सिंचैन के कुछ संवाद को पैरेंट्स अच्छा नहीं मानते. इसलिए बच्चों को उसकी बुरी आदतों का अनुकरण नहीं करना चाहिए. वह सिर्फ मनोंरंजन के लिए दिया जाता है.

पावर रेंजर्स का एक्शन
अमेरिकन कार्टून किरदार पावर रेंजर्स भी भारतीय बच्चों की जान है. 28 अगस्त, 1993 को पहली बार पर्दे पर आई ‘माइटी मार्फिन पावर रेंजर्स’. अब तक इस कार्यक्रम की 17 सीरीज अलग-अलग विषयों पर प्रसारित हो चुकी हैं. पावर रेंजर्स का एक्शन और ग्राफिकल प्रजेंटेशन काफी लाजवाब है. बच्चों को इसके फाइट एक्शन और बैकग्राउंड साउंड ने दीवाना बना रखा है.

अच्छी सीख भी देता है कार्टून
कार्टून कैरेक्टर न सिर्फ बच्चों का मनोरंजन करता है, बल्कि बहुत सी अच्छी आदतें भी सिखाता है.

हेल्प करने की भावना : कुछ कार्टून किरदार बच्चों को हैल्पिंग नेचर अपनाने की सीख देते हैं. इनमें छोटा भीम, डोरेमोन आदी प्रमुख हैं. बहुत से कार्टून बड़ों का सम्मान करना, घर के काम में हाथ बटाना सीखाते हैं.

काटरून्स का निगेटिव इंपैक्ट : कार्टून कैरेक्टर के कुछ निगेटिव इंपैक्ट भी हैं. बच्चे अक्सर इन्हें देखने के चक्कर में अपना होमवर्क नहीं करते. कुछ टीवी से चिपक कर खाना खाते हैं, जिससे उनके आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इन कैरेक्टर्स की बदमाशियों का अनुकरण करना भी बुरा है. घर में किसी बात को ले कर जिद करना आदि भी निगेटिव है, पर इसे उतनी गंभीरता से भी नहीं लिया जा सकता, क्योंकि बाल काल की नटखट नादानियां ही बड़ों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. इन्हें अच्छी आदतों से कम किया जा सकता है.

टॉम एंड जेरी की भागम-भाग
चूहे-बिल्ली का खेल हमेशा ही मनोरंजक है. उनकी भाग-दौड़ पर आधारित यह कार्टून काफी दिनों से बच्चों की पहली पंसद है. यही वजह है कि इसकी पुरानी कहानियां भी कभी बोर नहीं करतीं. टॉम एक घरेलू बिल्ली है और जेरी एक चूहा. कार्यक्रम में इन दोनों के बीच प्रतिस्पर्धा बनी रहती है. यह कार्टून किरदार पिछले सात दशकों से मनोरंजन का साधन बना हुआ है. इस कार्टून किरदार को विलियम्स हिन्ना और जोसेफ बारबरा ने 1940 में बनाया था. टॉम एंड जेरी को प्रेम का परिचायक भी माना जाता है, क्योंकि एक के बिना दूसरे की कल्पना नहीं की जाती.

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