ज्ञान की भूख ने बनाया सफल
सत्या नाडेला युवाओं के नये ड्रीम आइकॉन बन गये हैं. महज 47 साल की उम्र में विश्व की सबसे बड़ी आइटी कंपनी के सीइओ बनने का गौरव हासिल किया. आखिर क्या है उनकी सफलता का राज जानते हैं इस आलेख से. सफलता का कोइ शॉटकट नहीं होता. सीखने की चाह और मंजिल पाने के लिए […]
सत्या नाडेला युवाओं के नये ड्रीम आइकॉन बन गये हैं. महज 47 साल की उम्र में विश्व की सबसे बड़ी आइटी कंपनी के सीइओ बनने का गौरव हासिल किया. आखिर क्या है उनकी सफलता का राज जानते हैं इस आलेख से. सफलता का कोइ शॉटकट नहीं होता. सीखने की चाह और मंजिल पाने के लिए नित्य के किये गये प्रयास ही सफलता की एकमात्र कुंजी है.
हैदराबाद में बीता बचपन : बचपन से ही नाडेला पढ़ाई में अच्छे थे. उन्होंने हैदराबाद पब्लिक स्कूल से प्राथमिक शिक्षा ली. यहीं पर उन्हें कहानी और क्रिकेट से पहला प्यार हुआ जो आज तक बरकरार है.
माइक्रोसॉफ्ट के तीसरे सीइओ : माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स और स्टीव बालमर के बाद सत्या नाडेला इस कंपनी के तीसरे सीइओ बने हैं.
किताबों और म्यूजिक के शौकीन : सत्या नाडेला किताबों और म्यूजिक के काफी शौकीन हैं. ज्ञान के वे इतने भूखे हैं कि किताबें खरीदना और ऑनलाइन कोर्सो को ज्वाइन करना उनकी आदत में शुमार हो गया है.
काम में निष्ठावान : सत्या नाडेला 1992 में माइक्रोसॉफ्ट से जुड़े. इस बीच उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां बखूबी निभायीं. क्लाउड कंप्यूटिंग में उनका विशेष योगदान रहा. उनकी कर्मनिष्ठा को देख कर ही उन्हें माइक्रोसॉफ्ट के मुखिया के पद से नवाजा गया.
पिता की भूमिका में भी हिट : नाडेला अपने प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में अंतर करना जानते हैं. इसी वजह से वे परिवार और काम में सामंजस्य बिठा पायें हैं. वे घर और अपने तीन बच्चों के लिए पूरा समय निकालते हैं. उनको कहानी और लोरियां भी सुनाते हैं.
सहज नायक की भूमिका : कंपनी के सीइओ बनने के बाद भी नाडेला बड़ी सहजता और सादगी से रहते हैं. अपने सहकर्मियों से इमेल द्वारा बात करना. उनकी परेशानियों के बारे में पूछना और उसका हल निकालना, साथ ही कंपनी के बेहतर भविष्य के सुझाव मांगना उनकी कार्यशैली का हिस्सा है.
प्रस्तुति : अजय कुमार सिंह