वाशिंगटन : अमेरिका की दशकों पुरानी राजनयिक नीति को तोड़ते हुए इसके नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ताइवान की राष्ट्रपति त्साइ इंग-वेन से बात की और कई मुद्दों पर उनके साथ चर्चा की. यह कदम चीन को आक्रोशित कर सकता है.
ट्रंप के सत्ता हस्तांतरण दल ने फोन पर हुई बातचीत जानकारी देते हुए हुए एक रीडआउट में कल कहा, ‘‘नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन से बात की जिन्होंने उन्हें :ट्रंप को: बधाई दी.’ इसके अनुसार, ‘‘चर्चा के दौरान उन्होंने करीबी अर्थव्यवस्था, राजनीतिक और अमेरिका एवं ताइवान के बीच मौजूद सुरक्षा संबंधों का उल्लेख किया.’ ताइवान की राष्ट्रपति के साथ ट्रंप की कल हुई ये बातचीत अपना कार्यकाल संभालने से पहले एशियाई देशों के नेताओं के साथ उनकी फोन पर बातचीत की श्रृंखला का ही हिस्सा हैं.
इसके अनुसार, ‘‘नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने इस साल केशुरू में ताइवान की राष्ट्रपति बनने पर साई को बधाई दी.’
ट्रंप ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से भी बात की और उनकी ऐतिहासिक जीत पर उन्हें बधाई दी.
राष्ट्रपति के सत्ता हस्तांतरण दल ने बताया, ‘‘उन्होंने दोनों देशों के सम्मुख आतंकवाद के गंभीर खतरों पर चर्चा की और इन बढते खतरों से मुकाबले के लिए एकसाथ काम करने का संकल्प लिया.’ इसके अलावा ट्रंंप ने फिलिपीन के राष्ट्रपति रोद्रिगो रोवा दुतेर्ते से भी फोन पर बात की जिन्होंने ट्रंप को राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर बधाई दी. अपनी बातचीत में उन्होंने मित्रता के लंबे इतिहास और दोनों देशों के बीच सहयोग का उल्लेख किया और साझा हितों एवं चिंताओं के मामलों पर लगातार करीब से काम करने पर सहमत हुए.
सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने भी ट्रंप की उल्लेखनीय चुनावी जीत पर उन्हें बधाई दी.
इसके अनुसार, ‘‘दोनों नेताओं ने बेहतर आर्थिक, राजनीतिक के लंबे इतिहास और अमेरिका एवं सिंगापुर के बीच सुरक्षा संबंधों पर चर्चा की.’ ‘न्यूयार्क टाइम्स’ ने कहा कि ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल के शुरू होने से पहले उनका यह कदम ‘‘लगभग चार दशक से चल रही अमेरिका की राजनयिक गतिविधियों को आश्चर्यजनकरूप से तोड़ने वाला है जो चीन के साथ तल्खी बढा सकता है.’
यह पहला मौका है जब 1979 के बाद से अमेरिका के किसी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति या राष्ट्रपति ने ताइवान के नेता से बात की है.
‘वाशिंगटन पोस्ट’ नेे इस कदम को चीन के साथ ट्रंप प्रशासन के रिश्ते में जटिलता पैदा करने वाला बताते हुए इसे ‘‘राजनयिक प्राटोकॉल का उल्लंघन’ बताया है.
‘सीएनएन’ ने कहा, ‘‘ये टेलीफोन कॉल निश्चितरूप से चीन को आक्रोशित करने वाले हैं क्योंकि चीन ताइवान को एक विश्वासघाती प्रांत मानता है. ट्रंप ने यह संकल्प लिया था कि वह दुनिया के बाकी देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों में अप्रत्याशित तब्दीली लाएंगे और यह उनके इसी संकल्प का अहम संकेत है.’