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छोटी सेडान कारों का बाजार

भारत को छोटी कारों का ग्लोबल हब बनाने के लिए भारत सरकार ने जिस तरीके की कोशिश की थी, उससे छोटी कारों को फायदा तो मिला ही, लेकिन छोटी सेडान कारों को कहीं ज्यादा फायदा मिला. आज शायद ही कोई कार कंपनी हो, जो इस सेगमेंट में मौजूद न हो. जानिये इस सेगमेंट की कुछ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2014 10:13 AM

भारत को छोटी कारों का ग्लोबल हब बनाने के लिए भारत सरकार ने जिस तरीके की कोशिश की थी, उससे छोटी कारों को फायदा तो मिला ही, लेकिन छोटी सेडान कारों को कहीं ज्यादा फायदा मिला. आज शायद ही कोई कार कंपनी हो, जो इस सेगमेंट में मौजूद न हो. जानिये इस सेगमेंट की कुछ नयी कारों के बारे में.

पहली बार जब हमने टाटा की इंडिगो सीएस को देखा था, तो बहुत शक की निगाह से देखा था. आखिर क्यों और कैसे किया है टाटा मोटर्स ने इस कार के साथ वो सब कुछ, जो सामने देखने को मिल रहा था. उस वक्त ये अंदाजा लगाना मुश्किल था कि जिस कार को हम सामने देख रहे हैं, वो सिर्फ एक शुरुआत है. भारत में एक बिल्कुल नये सेगमेंट की शुरुआत. टाटा मोटर्स ने सबसे तेजी से और सबसे पहले इस सेगमेंट को पहचाना था. 4 मीटर से छोटी सेडान कारों वाला सेगमेंट. भारत को छोटी कारों का ग्लोबल हब बनाने के लिए भारत सरकार ने जिस तरीके की कोशिश की थी, नये पैमाने सेट किये थे, उससे छोटी कारों को फायदा तो मिला ही, लेकिन छोटी सेडान कारों को कहीं ज्यादा. भारतीय ग्राहक आमतौर पर बड़ी फैमिली वाले होते हैं और न हुए, तो भी एक्स्ट्रा स्पेस को हमेशा तरजीह देते हैं. इसीलिए आज की तारीख में हम कॉम्पैक्ट सेडान या 4 मीटर से छोटी सेडान कारों को फलता-फूलता देख रहे हैं. आज शायद ही कोई कार कंपनी हो, जो इस सेगमेंट में मौजूद न हो. और जो नहीं है, वो आ रही है. इंडिगो सीएस के बाद हमने देखी मारुति की बेस्टसेलर डिजायर और अब तहलका मचा रही होंडा की अमेज. कई और कंपनियों ने अपनी कारों को कांटा-छांटा और छोटा बनाया. एक्साइज में छूट लेकर कारों को सस्ता बेचा. अब ये सेगमेंट और बड़ा होने जा रहा है. मंद कार बाजार में भी इस सेगमेंट ने जोरदार बिक्री देखी है. अमेज ने होंडा का बाजार दुगना कर दिया, वहीं मंदी के माहौल में डिजायर ने मारुति को मजबूती दी.

ऑटो एक्स्पो 2014 इस सेगमेंट के लिहाज से काफी अहम रहा. यहां पर तीन खास छोटी सेडान कारें दिखाई पड़ीं. एक तो थी ह्युंडै की एक्सेंट. दूसरी टाटा मोटर्स की जेस्ट और तीसरी फोर्ड की फीगो कॉन्सेप्ट. यही नहीं, श्कोडा ने भी ऐलान किया अपनी छोटी सेडान से जुड़ी योजना के बारे में. यानी जो ग्राहक एक-दो साल बाद छोटी सेडान कार खरीदने की सोच रहे हैं, उनके पास तो विकल्प ही विकल्प होंगे. इस लिस्ट में सबसे ऊपर हो सकती है ह्युडै एक्सेंट. कंपनी ने अपनी पुरानी सुपरहिट कार ऐक्सेंट के नाम के साथ एक नयी छोटी कार दिखाई. अूूील्ल3 की जगह अब ये होगी उील्ल3. इस कार को देखकर लग रहा है कि ह्युंडै ग्राहकों के लिए जोरदार पैसा वसूल पैकेज लाने जा रही है. कार लगभग नयी ग्रैंट आई10 की तरह ही लगेगी. पिछली सीट में होंडा अमेज जितनी जगह नहीं, लेकिन बूट स्पेस के बारे में कंपनी दावा कर रही है कि सबसे ज्यादा होगी अपने सेगमेंट में. यह ह्युंडै की कार है, तो कॉम्पटिटिव कीमत की ही उम्मीद है. पेट्रोल और डीजल दोनों विकल्पों में आयेगी. हो सकता है मार्च में आ जाए.

फिर बात करें टाटा की जेस्ट की, तो इस कार ने मुङो अपने नयेपन और डिजाइन से काफी प्रभावित किया. इस कार को देखकर लगा कि इतने सालों से टाटा मोटर्स की कारों में जिस तरीके के नयेपन और क्लास की उम्मीद की जा रही थी, वो इस कार में दिखी है. बाहर हो या अंदर की बनावट, मौजूदा इंडिका या इंडिगो से कहीं बेहतर, आकर्षक और स्टाइलिश है. हालांकि लुक के मामले में जो विकास जेस्ट में दिख रहा है, वो ड्राइव में होगा कि नहीं इसको देखने के लिए इंतजार करना पड़ेगा टेस्ट ड्राइव का. इस कार को इसी साल भारत में लॉन्च होते हुए हम देख सकते हैं. हालांकि डिजाइन और स्टाइल को देख कर लगा कि ये मौजूदा टाटा कारों की तरह पैसावसूल फोकस के साथ नहीं आयेगी. कहने का मतलब ये कि यह कार महंगी हो सकती है. कंपनी ने कहा है कि जेस्ट और बोल्ट (जो जेस्ट के साथ प्रदर्शित हैचबैक कार है) के साथ विस्टा और इंडिगो बनते रहेंगे. मतलब ये कि दोनों कारें मौजूदा कारों से ऊपर आयेंगी.

फोर्ड ने भी ऐलान कर दिया है इस सेगमेंट में अपने इरादों के बारे में. फीगो कॉन्सेप्ट को देखकर लग रहा है कि फोर्ड कितनी गंभीर है इस सेगमेंट के लिए. नये डिजाइन डीएनए के साथ फीगो कॉन्सेप्ट उन ग्राहकों के लिए विकल्प होगा, जो केवल पैसा वसूल कॉम्पैक्ट सेडान नहीं चाहते. कंपनी ने इसे बहुत ही स्टाइलिश बनाया है. इसमें फीचर्स भी काफी लोड करने के मूड में है कंपनी. हालांकि इसे लॉन्च होने में फिलहाल वक्त है.

तो इस साल गाड़ियों के मेले में ये गाड़ियां धमाल मचा गयीं. जल्द ये सभी बाजार में होंगी और सड़कों पर भी.और आम ग्राहकों के लिए विकल्प बढ़ेगा और कंफ्यूजन भी.

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इंडियन बाइक सौ साल बाद
कौन सी बाइक ?

इंडियन बाइक.

कितने की ?

साढ़े छब्बीस से तैंतीस लाख रुपये तक.

कौन सी इंडियन बाइक कंपनी ऐसी महंगी बाइक लायी है?

इंडियन नाम है, लेकिन कंपनी अमेरिकन है.

इस तरह के सवालों में उलझी बातचीत कई बार दुहराई गयी. तब, जब कुछ लोगों ने मुङो इस मोटरसाइकिल की शूटिंग करते हाइवे पर देखा. खैर यह दिलचस्प बाइक रही और इसकी सवारी भी. वैसे इसकी कहानी भी कम दिलचस्प नहीं.

इंडियन चीफ सौ साल पुरानी कंपनी है. दरअसल, एक वक्त था जब इंडियन चीफ का जलवा था. शुरुआती दस साल में कंपनी ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया. 1911 में जब ऑयल ऑफ मैन की नामी रेस में पहले तीन स्थान पर कब्जा किया. और आनेवाले पंद्रह-बीस साल इस कंपनी के नाम रहे. जहां इसकी बाइक स्काउट काफी नामी रही. लेकिन 1953 में जाकर कंपनी का दीवाला निकल गया और फिर ये वापसी नहीं कर पायी. हालांकि कोशिशें चालू रहीं इसे वापस जिंदा करने की. नतीजा दिखा 2011 में जब पोलारिस कंपनी ने इंडियन को खरीदा, फिर से तैयार करना शुरू किया और तीन मोटरसाइकिलों को लॉन्च भी कर दिया. इंडियन चीफ क्लासिक, इंडियन चीफ विंटेज और चीफटन.ये तीनों भारत में भी लॉन्च हो गयी हैं. लेकिन इस अमेरिकी विरासत के लिए पैसे भी काफी मांगे जा रहे हैं. क्लासिक जहां साढ़े छब्बीस लाख रुपये में सबसे सस्ती इंडियन है, वहीं 33 लाख रुपये में चीफटन सबसे महंगी. ये कीमत रेंज किसी भी मोटरसाइकिल के लिए भारत में तो महंगी ही मानी जायेगी. हालांकि कंपनी अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी मोटरसाइकिलों के साथ अच्छा प्रदर्शन कर रही है.

इनमें से एक को चलाने का मौका मिला मुङो और मैं उसे लेकर छोटे सफर पर निकला भी. लगभग पौने चार सौ किलो वजनवाली मोटरसाइकिल इतने स्मूद तरीके से चलेगी इसका अंदाजा इसे चलाने का बाद ही लग सकता है. इसमें लगे 1811 सीसी के इंजन से निकलने वाला टॉर्क इतना जोरदार होता है कि खुली सड़कों पर आप बस लंबी राइड पर जाना चाहेंगे. इसमें एबीएस जैसे फीचर्स तो हैं ही, क्रूज कंट्रोल भी है. कारों की तरह आप इसकी स्पीड को सेट करके आराम से लंबी राइड कर सकते हैं. ढेर सारा क्रोम इसे काफी ठोस और स्टाइलिश लुक देता है. इसकी आवाज भी दमदार लगेगी और जापनी बाइक्स से बिल्कुल अलग. आनेवाले वक्त में हम इसे भी हार्ली की तरह कुछ सस्ती बाइक्स लाते देख सकते हैं.

इंडियन के बंद होने और रीलॉन्च होने के बीच जो वक्त गुजरा है, उसमें मोटरसाइकिलों की दुनिया बहुत बदल चुकी है. इसलिए इंडियन को अपनी पहचान वापस पाने के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी. इंडियन खुद को पहली अमेरिकन बाइक कहती है. जाहिर है कि इस दावे के निशाने पर हार्ली है, जिसने दुनिया भर में अमेरिकन बाइक के तौर पर नाम कमाया है. ऐसे में इंडियन को सबसे पहले उसी को चैलेंज करना था अगर उसे इस सेगमेंट में वापसी करनी है. कंपनी कह भी रही है अपने प्रचार में कि अब लोगों के पास विकल्प आ गया है. हालांकि भारत में ये बात कितनी सच होगी पता नहीं, क्योंकि इसकी कीमत काफी ज्यादा है यहां के मार्केट के हिसाब से.

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