चीन को साधने के लिए भारत के करीब आ सकता है ट्रंप प्रशासन

वाशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के विजयी होने के बाद से अमेरिका के लिए चीन की नीति पर संशय बरकरार है. विशेषज्ञों के मुताबिक चीन पर नकेल कसने के लिए ट्रंप की सरकार भारत से नजदीकी बढ़ा सकती है. ट्रंप के जीत के बाद भारत में अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने भारत के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2016 8:49 PM

वाशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के विजयी होने के बाद से अमेरिका के लिए चीन की नीति पर संशय बरकरार है. विशेषज्ञों के मुताबिक चीन पर नकेल कसने के लिए ट्रंप की सरकार भारत से नजदीकी बढ़ा सकती है. ट्रंप के जीत के बाद भारत में अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने भारत के पूर्वोतर राज्यों का दौरा किया था. अमेरिकी राजदूत के इस दौरे पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी थी.

उधर चीन नीति को लेकर ओबामा प्रशासन के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से असहमत होने के संकेत मिल रहे हैं. ओबामा प्रशासन ने कहा है कि वह लंबे समय से जारी एक चीन नीति पर अपना समर्थन दोहराने के लिए चीनी अधिकारियों के संपर्क में है. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि इस तरह की नीति का प्रभाव क्षेत्र में स्थिरता पर पड़ सकता है. इसका प्रभाव सिर्फ अमेरिका, चीन पर नहीं बल्कि ताइवान पर भी पडेगा. जब उनसे ट्रंप और ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के बीच फोन पर हुई बातचीत के बारे में पूछा गया तब अर्नेस्ट ने कहा, ‘‘यह निश्चित करना मुश्किल है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति का वास्तव में क्या उद्देश्य था.
अर्नेस्ट ने कहा, ‘‘अगर नवनिर्वाचित राष्ट्रपति की टीम का उद्देश्य अलग है तो मैं इसकी व्याख्या करने का काम उन पर छोड़ दूंगा.’ उन्होंने कहा, ‘‘नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति और उनके प्रचार प्रबंधक से इस बारे में पूछे जाने पर यह संकेत मिला है कि वह शिष्टाचारवश किया गया फोन था या नवनिर्वाचित राष्ट्रपति शिष्टाचारवश किये गये फोन का सिर्फ जवाब दे रहे थे। लेकिन वाशिंगटन पोस्ट ने आज एक अलग ही खबर दी है जिसके अनुसार ट्रंप के कुछ सहायोगियों ने संकेत दिया है कि फोन पर बात करने की योजना लंबे समय की थी और यह व्यापक सामरिक प्रयास का हिस्सा है.’
अर्नेस्ट ने कहा, ‘‘यह अभी अस्पष्ट है कि वास्तव में यह रणनीतिक क्या है और इसका उद्देश्य क्या है और यह भी अस्पष्ट है कि इससे अमेरिका, चीन या ताइवान को वास्तव में क्या संभावित लाभ मिल सकता है.’ ट्रंप ने ताइवान की राष्ट्रपति के साथ पिछले सप्ताह फोन पर बात की थी और यह 1979 के बाद से ताइवान और अमेरिका के किसी शीर्ष नेता के बीच हुई पहली बातचीत थी. इसके बाद ट्रंप ने अपने कई ट्वीट में मुद्रा नीति में कथित जोडतोड करने और दक्षिण चीन सागर में सैन्य शक्ति का निर्माण करने को लेकर चीन पर निशाना साधा था. ट्रंप के शीर्ष सहयोगियों ने कहा था कि फोन पर बात शिष्टाचारवश की गई थी. अर्नेस्ट ने कहा, ‘‘मुझे राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में अधिकारियों का उनके चीनी समकक्षों के साथ दो बार फोन पर हुई बातचीत के बारे में जानकारी है.’

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