वाशिंगटन : अमेरिकी कांग्रेस ने एक अहम कदम उठाते हुए कहा है कि पाकिस्तान को 40 करोड़ डॉलर की मदद तब तक नहीं दी जा सकती जब तक कि रक्षा मंत्री इस बात को प्रमाणित नहीं करते कि इस्लामाबाद अमेरिकी हितों पर निशाना साधने के आरोपी हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ ‘स्पष्ट’ कदम उठा रहा है. सीनेट ने कल सात के मुकाबले 92 मतों से 2017 राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार अधिनियम (एनडीएए) पारित किया जो गठबंधन सहायता कोष (सीएसएफ) के 90 करोड़ डॉलर में से 40 करोड़ डॉलर पाने के योग्य होने के लिए पाकिस्तान पर चार शर्तें लगाता है.
पिछले सप्ताह अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने एनडीएए 2017 को (34 के मुकाबले 375 मतों से) पारित किया था. यह अधिनियम अब व्हाइट हाउस जाएगा ताकि राष्ट्रपति बराक ओबामा के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन सके. एनडीएए 2017 के अनुसार रक्षा मंत्री को कांग्रेस को यह प्रमाणित करना होगा कि पाकिस्तान ऐसे सैन्य अभियान चला रहा है जो पाकिस्तान में हक्कानी नेटवर्क की पनाहगाहों एवं स्वतंत्रता को बाधित करने के लिए अहम योगदान दे रहे हैं और पाकिस्तान ने इस समूह को अपने देश का इस्तेमाल करने से रोकने की अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिए कदम उठाये हैं.
रक्षा मंत्री को यह भी प्रमाणित करना होगा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा के पास हक्कानी नेटवर्क जैसे संगठनों के आतंकवादियों की गतिविधियों को बाधित करने के लिए अफगानिस्तान के साथ सक्रिय समन्वय कर रहा है और पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क के शीर्ष नेताओं एवं इसके मध्यम स्तर के आतंकवादियों को गिरफ्तार करने एवं उनके खिलाफ अभियोग चलाने में प्रगति की है.
अमेरिका के रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने इस साल पाकिस्तान को इसी प्रकार का प्रमाणीकरण देने से इनकार कर दिया था जिसके परिणामस्वरुप इस्लामाबाद को सीएसएफ के तहत 30 करोड डॉलर की राशि नहीं दी गयी थी. हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों के खिलाफ हमलों एवं अपहरण की कई घटनाओं को अंजाम दिया है. यह संगठन अफगानिस्तान में भारतीय हितों पर भी कई घातक हमलों के लिए जिम्मेदार है.
इन हमलों में काबुल में भारतीय दूतावास पर वर्ष 2008 में किया गया हमला शामिल है जिसमें 58 लोग मारे गये थे. सीनेट सशस्त्र सेवा समिति के अध्यक्ष एवं सीनेटर जॉन मैकेन ने कहा कि एनडीएए 2017 ‘अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को प्रत्यक्ष समर्थन देने वाली गतिविधियों के लिए पाकिस्तान को सुरक्षा सहायता पर पुन: ध्यान केंद्रित करता है और आर्थिक मदद के एक बडे हिस्से के संबंध में रक्षा मंत्री की ओर से इस प्रमाणीकरण की शर्त लगाता है कि पाकिस्तान अपनी सरजमीं में हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ स्पष्ट कदम उठा रहा है.’