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अब याद आया आम आदमी

यूपीए सरकार के खिलाफ लोगों में आक्रोश है. अंतरिम बजट के जरिये आक्रोश कम करने की कोशिश की गयी है. लेकिन, आम आदमी बेवकूफ नहीं है. सरकार को उसकी याद बहुत देर से आयी.वित्त मंत्री पी चिदंबरम का अंतरिम बजट पूरी तरह चुनावी बजट है. चुनाव को देखते हुए 10 साल बाद कांग्रेस और चिदंबरम […]

यूपीए सरकार के खिलाफ लोगों में आक्रोश है. अंतरिम बजट के जरिये आक्रोश कम करने की कोशिश की गयी है. लेकिन, आम आदमी बेवकूफ नहीं है. सरकार को उसकी याद बहुत देर से आयी.वित्त मंत्री पी चिदंबरम का अंतरिम बजट पूरी तरह चुनावी बजट है. चुनाव को देखते हुए 10 साल बाद कांग्रेस और चिदंबरम को आम आदमी की याद आयी है. वरना आर्थिक विकास की चकाचौंध में इन्हें सकल घरेलू उत्पाद, विदेशी निवेश की ही चिंता थी.

आज छात्र, महिला, फौजी, अल्पसंख्यक, अनूसूचित जाति और जनजाति के हितों की चिंता हुई है. पिछले 10 सालों में महंगाई के कारण खाद्यान्न की कीमतों में बढ़ोतरी से

जब आम आदमी कराह रहा था, यूपीए सरकार ने इनकी सुध नहीं ली. अंतरिम बजट के जरिये लोगों के आक्रोश को कम करने की कोशिश की गयी है. लेकिन, आम आदमी जानता है कि सरकार ने अंतरिम बजट में क्या किया है. आज वित्त मंत्री को अमर्त्य सेन, सुनील खिलनानी जैसे अर्थशास्त्रियों की याद आ रही है.

दरअसल, कांग्रेस के अंदर एक धड़ा, जो समाजवादी विचारधारा से प्रभावित है, का सरकार पर जबरदस्त दबाव था. इस धड़े का मानना है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी चिदंबरम भले ही अच्छे अर्थशास्त्री हैं, उनकी अर्थनीति पूरी तरह फेल है. रोजगार के अवसर नहीं बढ़ने के चलते युवाओं में गुस्सा है. इसलिए कांग्रेस को पूंजीवाद की बजाय समाजवाद की याद आयी है.

चिदंबरम ने वित्तीय घाटा कम करने के लिए योजनागत खर्च में कटौती की है. इसका असर आनेवाले समय में पड़ेगा.

बजट भाषण में वित्त मंत्री ने ग्रामीण विकास, मानव संसाधन, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, महिला एवं बाल विकास, पेयजल एवं स्वच्छता, पंचायती राज, गरीबी उन्मूलन, शहरी विकास, अल्पसंख्यक मामले और अनुसूचित जाति और जनजाति मंत्रालय को दी जानेवाली रकम बढ़ाने का जिक्र किया. इसका मकसद चुनावों में इस वर्ग का समर्थन हासिल करने से है.

लेकिन, पिछले 10 साल में कितना काम हुआ और सरकार को इसका कितना फायदा मिलेगा, यह चुनाव के बाद पता चल जायेगा. यह वोट ऑन एकाउंट है. अब आम आदमी चुनाव में अपने वोट से यूपीए सरकार का भविष्य तय करेगा. वित्त मंत्री ने कहा कि मुद्रास्फीति कम हुई है. आंकड़ों के लिहाज से भले मुद्रास्फीति कम हुई है, खाद्य पदार्थो की कीमतों में कमी नहीं आयी है. भले ही इसकी बढ़ोतरी पहले की तुलना में घटी है, लेकिन लोगों को इससे कोई फायदा नहीं हुआ है.

2014 के चुनाव में आम आदमी, किसान, मजदूर, युवा इसका जबाव देंगे. लोगों को सिर्फ घोषणाओं से नहीं, जमीनी स्तर पर हुए काम ही प्रभावित कर सकते हैं. मौजूदा सरकार के पास दावे करने को बहुत कुछ हैं, लेकिन वास्तविकता में इसका लाभ बड़े तबके को नहीं मिल पाया है. ऐसे में अंतरिम बजट की घोषणाओं से सरकार और कांग्रेस पार्टी को चुनावी लाभ मिलने की संभावना बेहद कम है.

(बातचीत : विनय तिवारी)

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