धूर्तों ने पुलिस को शादी की घोड़ी बना दिया!
धरती सूरज के चारो ओर घूमती है क्योंकि दिन और रात का होना, ऋतुओं का बदलना सभी सूरज की वजह से होता है. कुछ ऐसा ही हाल हमारे समाज का भी है. जहां से समाज की हर गतिविधियां संचालित होती हैं. लोग उसी के ईद-गिर्द घूमते हैं. लोग उसी को फॉलो करते हैं या करने […]
धरती सूरज के चारो ओर घूमती है क्योंकि दिन और रात का होना, ऋतुओं का बदलना सभी सूरज की वजह से होता है. कुछ ऐसा ही हाल हमारे समाज का भी है. जहां से समाज की हर गतिविधियां संचालित होती हैं. लोग उसी के ईद-गिर्द घूमते हैं. लोग उसी को फॉलो करते हैं या करने की कोशिश करते हैं. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि मेरे पास सब कुछ है. मुझे कोई काम करने की जरूरत नहीं है. फिर भी मैं काम करता हूं क्योंकि समाज में जिस मार्ग पर बड़े चलते हैं उसी मार्ग का अन्य लोग भी अनुसरण करते हैं. मैं इसलिए काम करता हूं कि लोग यह समझें कि बिना काम किये कुछ नहीं मिलता. कुछ पाने के लिए काम करना जरूरी है.
इसी तरह हम कह सकते हैं कि अगर राजा चोर होगा तो प्रजा से आप ईमानदारी की उम्मीद नहीं कर सकते हैं क्योंकि प्रजा की गतिविधियों के संचालन में राजा का मुख्य रोल होता है. नेपोलियन ने भी कहा था कि फौज खराब नहीं होती है, कमांडर खराब होता है. यानी अगर राजा खराब होगा, समाज का नेतृत्व करने वाला व्यक्ति सक्षम नहीं होगा तो उस समाज में अच्छाइयां नहीं होंगी या कम होंगी.
आज समाज में अच्छे नेतृत्व का अभाव है. हर जगह अली बाबा के चालीस चोर ही हैं जिन्होंने भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बना दिया है. देश के नेतृत्व ने व्यवस्था को डिजायन करके भ्रष्ट बनाया है. क्योंकि वह नहीं चाहता कि उसकी गलतियां सामने आएं. इसलिए आमलोगों को सुविधा देकर खरीदा जाता है. और बिके हुए लोग अपने मालिक की खामियां-गलतियों को नहीं उजागर करने का हौसला नहीं रखते हैं. आज भारत विश्व मंच पर आर्थिक, नैतिक, शिक्षा आदि स्तर पर कमजोर है.
कमजोर क्या है, कह सकते हैं कि उसकी इज्जत ही नहीं है. दूसरे देश में जमा काले धन को डंडे की चोट पर अपने यहां वापस ला रहे हैं. हमलोग समझौता कर रहे हैं. काले धन को वापस लाने की बात तो दूर, सरकार उनके नाम तक नहीं बता रही है. एक समय स्त्रियां अपने पति का नाम नहीं लेती थीं. क्या काले धन वाले सरकार के पति है? साफ शब्दों में कहे तो काले धन वाले सरकार में शामिल हैं और उनकी हैसियत सरकार गिराने और बनवाने की है. लोकतंत्र का अपहरण कर लिया गया है और लूट तंत्र स्थापित कर दिया गया है. देश में भारी निराशा का माहौल है. कभी-कभी लगता है कि जेलों में जो लोग हैं उनसे ज्यादा खूंखार बाहर बैठे हैं. लेकिन व्यवस्था का लीवर उनके हाथ में है और उसे वे अपने हाथ में रखने के लिए किसी भी स्तर तक जाने को तैयार हैं. कोई भी अनैतिक काम करने को तैयार हैं.
लेकिन यह चलेगा नहीं. देश के जनमानस में भारी उथल-पुथल हो रहा है. जनता को ऐसे लोगों की चतुराई समझ में आ गयी है इसलिए लोगों ने ऐसों को खारिज करने का मन बना लिया है. जनता को पता चल गया है कि बड़े धूर्त लोगों की स्थानीय मंडली ही स्थानीय स्तर पर क्राइम करती है. और उनलोगों ने पुलिस को शादी की घोड़ी बना दिया है. यह मतदाताओं का दायित्व है कि वह अपने मत का इस्तेमाल समाज की बेहतरी के लिए करे और किसी भ्रष्ट को नहीं चुनें. किसी को यह नहीं समझना चाहिए कि वह डेमोक्रेसी को खरीद सकता है.
।। डीएन गौतम ।।
(अवकाश प्राप्त पुलिस महानिदेशक, बिहार)
जनता जागेगी, तभी रुकेगा अपराध
कलह और द्वेष से हो रहीं हत्याएं कुंठित और बीमार मन की अभिव्यक्ति तो नहीं? दुष्कर्म और उसके बाद बर्बर तरीके से महिलाओं-बच्चियों की हत्या के वाकये हमारी परंपरा में महिला सम्मान के बिल्कुल उलट हैं. ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या हम दिमागी तौर पर अपराध वृत्ति के शिकार तो नहीं हो रहे हैं? सामाजिक मूल्यों के क्षरण को इन घटनाओं के पीछे की खास वजह क्यों नहीं माना जाये? समाज विज्ञानी मानते हैं कि सिविल सोसायटी मजबूत हो, तो ऐसी घटनाओं पर एक हद तक अंकुश लग सकता है.
भाई-भाई के बीच हत्या और सामूहिक दुष्कर्म की पाश्विक प्रवृतियां मनुष्यता की मर्यादा को क्या तार-तार नहीं कर रही हैं. प्रभात खबर ने राज्य में हाल के दिनों में घटीं आपराधिक घटनाओं को नजर में रखते हुए अपने-अपने क्षेत्र के कुछ चुनिंदा लोगों से बातचीत कर यह जानने की कोशिश की कि क्या हमारा समाज मानसिक रूप से अपराधी हो गया है. इस मुद्दे पर पढि़ये बिहार और झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव वीएस दुबे, गांधीवादी चिंतक रजी अहमद, पूर्व डीजीपी डीएन गौतम और चर्चित कवि आलोक धन्वा का नजरिया.