बीजिंग : चीन ने बाल सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की भेंट पर आज कड़ा एतराज जताया और कहा कि भारत को द्विपक्षीय संबंधो में किसी भी व्यवधान को टालने के लिए चीन के ‘मूल हितों’ का सम्मान करना चाहिए.चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग सुआंग ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘हाल ही में चीन के दृढ अनुरोध और कड़े विरोध के बावजूद भारतीय पक्ष ने 14 वें दलाईलामा के राष्ट्रपति भवन में जाने की व्यवस्था पर जोर दिया जहां उन्होंने एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और राष्ट्रपति मुखर्जी से मुलाकात की.’ उन्होंने कहा, ‘‘चीनी पक्ष इससे बिल्कुल असंतुष्ट है एवं दृढता से उसके विरोध में है.’
उसने 10 दिसंबर को नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के ‘चिल्ड्रेन फाउंडेशन’ द्वारा आयोजित ‘बच्चों के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता एवं नेता’ विषयक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में दलाईलामा की उपस्थिति के बारे में सवाल किया गया था. गेंग ने कहा, ‘‘दलाईलामा राजनीतिक निर्वासन में हैं और वह धर्म की आड़ में तिब्बत को चीन से अलग करने की कोशिश में चीन-विरोधी गतिविधियों में लगे हैं. ‘ उन्होंने कहा, ‘‘हम चीन-भारत संबंधों में किसी भी व्यवधान को टालने के लिए भारतीय पक्ष से दलाई लामा गुट की चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति को ध्यान में रखने, चीन के मूल हितों एवं बड़ी चिंताओं का पूर्ण सम्मान करने तथा इस घटना से उत्पन्न नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए प्रभावी उपाय करने की अपील करते हैं. ‘ चीन दलाईलामा से दुनिया के नेताओं की मुलाकात का नियमित रुप से विरोध करता रहता है. यह दूसरी बार है कि चीन ने हाल के महीनों में भारत में दलाईलामा की गतिविधियों पर आपत्ति की है. उसने इस साल अक्तूबर में भारत द्वारा उन्हें अरुणाचल की यात्रा की अनुमति देने पर एतराज किया था