बांग्लादेश ने पाकिस्तान को दिखायी आंख कहा- आतंक को बढावा देने वाले देश को किया जाए अलग-थलग
ढाका/कोलकाता : आतंकवाद से निपटने के मुद्दे पर भारत को बांग्लादेश के सहयोग का आश्वासन देते हुए उसके गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने कहा है कि पाकिस्तान को ‘‘आतंकियों को पनाह देने और आतंकी कृत्यों को बढावा देने के लिए’ अलग-थलग कर दिया जाना चाहिए. खान ने यह भी कहा कि भारत के साथ तीस्ता […]
ढाका/कोलकाता : आतंकवाद से निपटने के मुद्दे पर भारत को बांग्लादेश के सहयोग का आश्वासन देते हुए उसके गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने कहा है कि पाकिस्तान को ‘‘आतंकियों को पनाह देने और आतंकी कृत्यों को बढावा देने के लिए’ अलग-थलग कर दिया जाना चाहिए. खान ने यह भी कहा कि भारत के साथ तीस्ता जल बंटवारा संधि में होने वाली देरी विपक्षी दलों और जमात जैसे चरमपंथी संगठनों को बांग्लादेश में भारत-विरोधी भावनाएं भडकाने का मौका दे रही है.
खान ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘पाकिस्तान ने हमेशा से आतंकवादियों को पनाह और समर्थन दिया है. हमें लगता है कि जो भी आतंकवाद को बढावा देता है, उसे हतोत्साहित और अलग-थलग किया जाना चाहिए. हमें ऐसे हमलों को हतोत्साहित करने के लिए और उनकी निंदा करने के लिए हर संभव कदम उठाना चाहिए. इस तरह के आतंकी हमले किसी भी देश के खिलाफ नहीं होने चाहिए.’ सीमापार के आतंकवाद से सबसे ज्यादा पीडित देशों में से एक देश होने की भारत की पीडा को साझा करते हुए खान ने कहा कि बांग्लादेश आतंकवाद के खिलाफ लडाई में भारत के साथ खडा है.
भारत और बांग्लादेश दोनों में ही होने वाले आतंकी हमलों की जडे पाकिस्तान में होने के मुद्दे पर खान ने कहा, ‘‘आतंकवाद के मुद्दे पर भारत और बांग्लादेश दोनों का ही एक ही नजरिया है. बीते कुछ समय में, हमने इस बात पर गौर किया है कि किस तरह से विभिन्न आतंकी हमलों में पाकिस्तान की संलिप्तता सबके सामने आ गई है. इस पर (संलिप्तता पर) रोक लगाई जानी जरुरी है.’ उरी हमले में 18 भारतीय जवानों के शहीद हो जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत बढ गया था. तब भारत ने दक्षेस सम्मेलन में हिस्सा न लेने की घोषणा करते हुए ‘सीमा-पार’ से किए जाने वाले हमलों को इसकी वजह बताया था.
अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने भी नवंबर में इस्लामाबाद में होने वाले दक्षेस सम्मेलन से खुद को अलग कर लिया था. इन देशों ने परोक्ष तौर पर पाकिस्तान पर आरोप लगाया था कि उसने एक ऐसा माहौल बना दिया है, जो सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए ठीक नहीं है. इसका नतीजा इसके रद्द होने के रुप में सामने आया. तीस्ता जल बंटवारा संधि पर बने गतिरोध के मुद्दे पर खान ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह समझौता भविष्य में हकीकत बनेगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध इस एक संधि पर निर्भर नहीं करते.
उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी संधि दोनों देशों के आपसी हितों के आधार पर की जाती है. किसी संधि को इसके पक्षकार देश के हितों को नजरअंदाज करके नहीं किया जा सकता. हमारा मानना है कि तीस्ता संधि भविष्य में होगी. जिस तरह से द्विपक्षीय संबंध आगे बढ रहे हैं, उसे लेकर हमें उम्मीद है कि तीस्ता संधि आज नहीं तो कल तो होगी ही.’ खान ने कहा कि भारत-बांग्लादेश संबंध सिर्फ तीस्ता संधि पर निर्भर नहीं करते. उन्होंने कहा कि विपक्षी और चरमपंथी बल बांग्लादेश में भारत-विरोधी भावनाओं को भडकाने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘द्विपक्षीय संबंध इस संधि पर निर्भर नहीं करेंगे. यह सच है कि बांग्लादेश कुछ समस्याओं का सामना कर रहा है. दोनों ही देशों के लिए जल जरुरी है.’ वर्ष 1971 में हुए बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत द्वारा निभाई गई भूमिका को याद करते हुए आवामी लीग के वरिष्ठ सांसद और एक मुक्ति योद्धा खान को लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले साल की यात्रा और जमीनी सीमा समझौते पर हस्ताक्षर से द्विपक्षीय संबंध मजबूत हुए हैं.
आतंकवाद से निपटने के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान की प्रणाली की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत के साथ लगातार खुफिया जानकारी साझा कर रहे हैं और भारत भी ऐसा कर रहा है. भारतीय खुफिया एजेंसियों की ओर से हमें जो कुछ भी जानकारी मिली है, हमने उसपर कडी कार्रवाई की है. एनआईए और बांग्लादेशी एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं. आतंकवाद के मुद्दे पर हमारी नीति ‘‘बिल्कुल बर्दाश्त न करने’ की है और हम आतंकी गतिविधियों के लिए अपने क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं होने देंगे.’ उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने पहले ही बांग्लादेश में उस ट्रांजिट प्वाइंट को सील कर दिया है, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान भारत में नकली नोट पहुंचाने के लिए किया करता था.
म्यांमा में हिंसा से बचने के लिए पिछले दो माह में सीमा पार करके बांग्लादेश में आए रोहिंग्या मुस्लिमों के मुद्दे पर खान ने उनके लिए पूरी तरह सीमाएं खोल देने के प्रति ‘‘वादा न करने’ वाला रुख अपनाए रखा. उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह कोई समाधान है कि जब भी उनपर हमला होगा या वे मारे जाएंगे तो हम अपनी सीमाएं खोल देंगे? इसे (जनसंहार को) एक सतत प्रक्रिया के तहत व्यवस्थागत तरीके से अंजाम दिया जा रहा है. इसके खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय राय बननी चाहिए। लेकिन जो भी लोग आ रहे हैं, हम उन्हें आश्रय और भोजन दे रहे हैं. असल में, म्यांमा ने अपनी सीमाओं के भीतर खुद एक आंतरिक घेरा बनाया है ताकि इन्हें बांग्लादेश में घुसने से रोका जा सके.’