क्‍या हैं चीन-पाकिस्‍तान आर्थिक गलियारे पर रूस के U-Turn के मायने?

नयी दिल्‍ली : रूस सदियों से भारत का एक अच्छा मित्र रहा है. चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) पर पहले कोई दिलचस्‍पी नहीं रखनेवाले रूस नेअबउसकासमर्थन कर चौका दिया है. रूस ने न सिर्फ उसके मजबूत समर्थन का दावा किया हैबल्कि उसने इस कॉरिडोर के साथ अपने एक प्रोजेक्‍ट यूराशियन इकोनॉमिक यूनियन प्रोजेक्‍ट को लिंक करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 19, 2016 1:34 PM

नयी दिल्‍ली : रूस सदियों से भारत का एक अच्छा मित्र रहा है. चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) पर पहले कोई दिलचस्‍पी नहीं रखनेवाले रूस नेअबउसकासमर्थन कर चौका दिया है. रूस ने न सिर्फ उसके मजबूत समर्थन का दावा किया हैबल्कि उसने इस कॉरिडोर के साथ अपने एक प्रोजेक्‍ट यूराशियन इकोनॉमिक यूनियन प्रोजेक्‍ट को लिंक करने की बात भी की है. इससे भारत को नुकसान हो सकता है. भारत और रूस के आर्थिक,सामरिकव सांस्कृतिक संबंध काफी पुराने हैं. रक्षा क्षेत्र में भी रूस और भारत के काफी मजबूत समझौते हुए हैं. रूस के राष्ट्रपति पुतिन जब पिछले दिनों भारत आये थे तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस से अपने रिश्तों को याद करते हुए कहा था कि दो नये दोस्तों से एक पुराना दोस्ता बेहतर होता है.

सीपीईसीके निर्माण से चीन और पाकिस्‍तान के रिश्‍ते मजबूत होंगे और रूस की परियोजना के इससे लिंक होने से पाकिस्‍तान और भी मजबूत होगा. ऐसे में भारत का आतंकवादी के समर्थक राष्‍ट्र के रूप में उसे दुनिया से अलग-थलग करने का प्रयास विफल हो सकता है. पूर्व में भी रूस और पाकिस्‍तान के बीच सीपीईसी को लेकर गुप्‍त बातचीत की जानकारी मीडिया में आई थी. तब भारत ने रूस के समक्ष आपत्ति जतायी थी, और रूस ने भारत का आश्‍वस्‍त किया था.

सीपीईसी भविष्‍य में पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान में स्थित ग्वादर और चीन के जिनजियांग को जोड़ने का काम करेगा. भारत के लिए चिंता की बात यह भी है कि यह कॉरिडोर पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके से भी गुजरता है, जिस पर भारत अपना दावा करता आ रहा है. इस मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी सीधे तौर पर चीन के राष्‍ट्रपति के समक्ष आपत्ति जता चुके हैं.

भारत और रूस के बीच हैं पुराने संबंध

इसी साल गोवा में आयोजित ब्रिक्‍स सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्‍ट्रपति ब्‍लादिमीर पुतिन काफी गर्मजोशी से मिले थे. मुलाकात के दौरान खासतौर से रक्षा, सामरिक और आर्थिक मुद्दों पर बात हुई. पुतिन ने नरेंद्र मोदी को ठोस रणनीतिक साझेदारी जारी रखने का भरोसा भी दिलाया था. इसी साल पाकिस्‍तान ने रूस के साथ मिलकर संयुक्‍त सैन्‍य अभ्‍यास भी किया था जिसपर भारत कड़ी आपत्ति जता चुका है, लेकिन पुतिन ने इससे भारत और रूस के संबंधों पर असर नहीं पड़ने का भरोसा भी दिलाया था. रूस के साथ विभिन्‍न देशों के संबंध में वरीयता सूची में भारत टॉप पर है. चरमपंथ को लेकर रूस और भारत का संयुक्त नजरिया और चिंताएं समान हैं. रूस और भारत का संबंध ब्रिक्स की नींव है और दोनों ही देश इस बात को समझते हैं.

भारत-रूस समझौते

गोवा में ब्रिक्स सम्‍मेलन से पहले भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय बातचीत के बाद 16 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये. समझौतों के अनुसार भारत को कोमोव मिलिट्री हेलीकॉप्टर मिलेगा. साथ ही एस-400 सिस्टम भी भारत को रूस ही देगा. रक्षा संबंध को मजबूत करते हुए भारत और रूस ने लगभग 43,000 करोड़ रुपये की लागत के तीन बड़े रक्षा सौदों पर 15 अक्टूबर 2016 को हस्ताक्षर किये. दोनों देशों के बीच गैस पाइपलाइन पर स्टडी, न्यूक्लियन एनर्जी, आंध्र प्रदेश और हरियाणा में स्मार्ट सिटी, शिक्षा, रेल की स्पीड बढ़ाने समेत कई क्षेत्रों में अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये हैं.

भारत और रूस के बीच एयर डिफेंस समझौते पर भी हस्ताक्षर हुआ. एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 ट्राइअम्फ लंबी रेंज की क्षमता वाले होते हैं. इन मिसाइलों में अपनी तरफ आ रहे दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और यहां तक कि ड्रोनों को 400 किलोमीटर तक के दायरे में मार गिराने की क्षमता है. इसके साथ ही एक अरब डॉलर के निवेश फंड की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. आंध्र प्रदेश, हरियाणा में स्मार्ट सिटी के विकास तथा ऐसे शहरों में ट्रांसपोर्ट लॉजिस्टिक के विकास के लिए भी समझौते किये गये. दोनों देश जहां रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं वहीं रूस भारत को मेक इन इंडिया में मदद करने पर भी सहमत है.

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