अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा की छात्र इकाई को आतंकी संगठन घोषित किया

वाशिंगटन : लश्कर-ए-तैयबा पर नकेल कसते हुए अमेरिका ने आज पाकिस्तान आधारित इस आतंकी समूह की छात्र इकाई ‘अल-मुहम्मदिया स्टूडेंट्स’ को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया और इसके दो शीर्ष नेताओं पर प्रतिबंध लगाया. लश्कर-ए-तैयबा को अमेरिका ने 2001 में आतंकी संगठन घोषित किया था.अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि पहली बार आतंकवादी संगठन घोषित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 28, 2016 10:48 PM

वाशिंगटन : लश्कर-ए-तैयबा पर नकेल कसते हुए अमेरिका ने आज पाकिस्तान आधारित इस आतंकी समूह की छात्र इकाई ‘अल-मुहम्मदिया स्टूडेंट्स’ को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया और इसके दो शीर्ष नेताओं पर प्रतिबंध लगाया.

लश्कर-ए-तैयबा को अमेरिका ने 2001 में आतंकी संगठन घोषित किया था.अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि पहली बार आतंकवादी संगठन घोषित होने के बाद लश्कर ने अपना नाम बदलना शुरु कर दिया और मुखौटा संगठन बनाये ताकि प्रतिबंधों से बचा जा सके.
उसने कहा, ‘‘इस संदर्भ में अल-मुहम्मदिया स्टूडेंट्स (एएमएस) लश्कर-ए-तैयबा की छात्र इकाई है.” साल 2009 में अस्तित्व में आया एएमएस लश्कर-ए-तैयबा से संबंधित है और उसने भर्ती से संबंधित पाठ्यक्रमों और युवाओं के लिए दूसरी गतिविधियों को लेकर लश्कर के शीर्ष नेताओं के साथ मिलकर काम किया है.साथ ही, अमेरिकी वित्त विभाग ने लश्कर-ए-तैयबा के दो शीर्ष नेताओं मुहम्मद सरवर और शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया. ये दोनों पाकिस्तान में रहते हैं.
विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय के कार्यवाहक निदेशक जॉन ई स्मिथ ने कहा, ‘‘लश्कर-ए-तैयबा के ये दोनों नेता आतंकी समूह की गतिविधियों को मदद करने के लिए धन की उगाही करते हैं और धन को आगे पहुंचाते हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘आज की कार्यवाही का मकसद सिर्फ उनकी गतिविधियों को उजागर करना नहीं, बल्कि लश्कर-ए-तैयबा के वित्तीय नेटवर्क और क्षमता को बाधित करना है.”अमेरिकी वित्त विभाग ने कहा कि सरवर पिछले 10 वर्षों से लाहौर में लश्कर का वरिष्ठ अधिकारी बना हुआ है और उसने समूह में कई भूमिकाएं निभाई हैं. फिलहाल वह लाहौर में लश्कर का अमीर है. वह इस पद पर जनवरी, 2015 से आसीन है.
लाहौर में लश्कर में अमीर के तौर पर सरवर लश्कर के धन संग्रह कार्यक्रमों में सीधे तौर पर शामिल रहा है और लश्कर की तरफ से धन एकत्र करने एवं धन आगे तक पहुंचाने के लिए पाकिस्तान में औपचारिक वित्तीय व्यवस्था का इस्तेमाल करता है.मिसाल के तौर पर, 2009 में चंदा एकत्र करने के लिए वह व्यापारियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ लश्कर के परिसरों तक पहुंचा था.दूसरी तरफ, महमूद कराची में लश्कर-ए-तैयबा का वरिष्ठ सदस्य बना हुआ है. वह 2007 से इस समूह के साथ जुडा हुआ है.

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