वाशिंगटन : चीन अब भी अमेरिका के खिलाफ साइबर जासूसी करता है. यह दावा अमेरिकी जासूसी प्रमुखों ने किया है. गुरुवार को उन्होंने कहा कि चीन की सरकार ने अमेरिका और अमेरिकी कंपनियों व संगठनों के खिलाफ साइबर जासूसी अभियान जारी रखा है, जबकि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 2015 में इन प्रयासों को रोकने का समझौता किया था.
अमेरिकी खुफिया प्रमुखों ने सीनेट की एक सुनवाई के दौरान एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘ चीन अब भी अमेरिकी सरकार और हमारे सहयोगियों व अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ साइबर जासूसी करता है.” आपको मता दें कि पिछले दिनों चीन ने पानी के नीचे चलने वाले अमेरिकी ड्रोन को अपने कब्जे में ले लिया था जिसके बाद जमकर दोनों देशों के बीच बहस हुई थी. चीन ने अमेरिका के ऊपर जासूसी करने का आरोप लगाया था हालांकि बाद में चीन ने ड्रोन वापस कर दिया था.
यह विवाद करीब छह दिनों तक चला था. इस घटना के कारण अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के बीच बडा विवाद उत्पन्न हो गया था. ट्रंप ने इस पर चीन के खिलाफ कडा रुख अपनाया जिसके बाद चीनी मंत्रालय के एक संक्षिप्त बयान में विवरण दिए बिना कहा कि चीनी और अमेरिकी पक्षों में मित्रवत चर्चा के बाद अमेरिकी ड्रोन को लौटाने का काम 20 दिसंबर को दोपहर बाद दक्षिण चीन सागर के संबंधित जलक्षेत्र में आसानी से पूरा कर लिया गया.
दक्षिण चीन सागर (एससीएस) में एक अमेरिकी सर्वेक्षण वाहन द्वारा परिचालित ड्रोन को चीन की नौसेना के एक पोत ने जब्त कर लिया था. इसने अमेरिकी पोत से आग्रह के बावजूद इसे लौटाने से मनाकर दिया था.