आतंकवाद से लड़ने के लिए 39 इस्लामिक देश हुए साथ, राहील शरीफ बने सैन्य गठबंधन के चीफ

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में हाल में सेवानिवृत्त हुए सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ आतंकवाद से निपटने के लिए सऊदी अरब के नेतृत्व में गठित 39 राष्ट्रों के इस्लामी सैन्य गठबंधन के प्रमुख होंगे. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने आज यह जानकारी दी. आसिफ ने जियो टीवी से बात करते हुए स्वीकार किया कि इस संबंध में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 7, 2017 6:25 PM

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में हाल में सेवानिवृत्त हुए सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ आतंकवाद से निपटने के लिए सऊदी अरब के नेतृत्व में गठित 39 राष्ट्रों के इस्लामी सैन्य गठबंधन के प्रमुख होंगे. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने आज यह जानकारी दी. आसिफ ने जियो टीवी से बात करते हुए स्वीकार किया कि इस संबंध में एक समझौते को कुछ दिन पहले ही अंतिम रूप दिया गया है. आसिफ ने कहा कि सरकार को विश्वास में लेने के बाद यह निर्णय किया गया और फिर इसे अंतिम रूप दिया गया.सउदी अरब के नेतृत्व में गठित 39 राष्ट्रों के इस्लामी सैन्य गठबंधन का मुख्यालय रियाद में होगा.

हालांकि उन्होंने उस समझौते का ब्यौरा नहीं दिया जिसके तहत राहील को सऊदी नीत गठबंधन का प्रमुख नियुक्त किया गया है.आसिफ के हवाले से कहा गया है ‘‘आपको पता ही है कि कुछ समय से यह चल रहा था और प्रधानमंत्री ने भी विचार विमर्श में हिस्सा लिया.” राहील नवंबर में सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं और उनकी जगह जनरल कमर जावेद बाजवा पाक सेना के नए प्रमुख बने हैं

सऊदी अरब के नेतृत्व में बना है 39 इस्लामिक देशों का संगठन

आतंकवाद से त्रस्त इस्लामिक देशों के समूह का नेतृत्व सऊदी अरब कर रहा है. इस संगठन में 39 सदस्य देश है. 15 दिसंबर 2015 को स्थापित इस संगठन के जन्म के साथ ही विवाद पैदा हो गया. कई लोगों ने सऊदी अरब के नेतृृत्व को लेकर सवाल उठाया. ज्ञात हो कि पूर्व में सऊदी अरब पर इस्लामिक स्टेट को फंडिग करने का आरोप लग चुका है. वहीं इस संगठन में इराक, ईरान और अफगानिस्तान जैसे देश शामिल नहीं हुए.

पिछले कुछ सालों से ईरान और सऊदी अरब के संबंध बिगड़ चुके हैं. ऐसे में यह सवाल उठता है कि इस्लामिक स्टेट से बुरी तरह प्रभावित देश शामिल नहीं होते हैं तो लड़ाई कितनी सही मानी जायेगी. रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक यह संगठन का निर्माण पश्चिमी देशों के उस आलोचना का जवाब है जिसमें यह कहा जाता है कि मुसलिम देश आतंकवाद से लड़ने के लिए कुछ नहीं करते.

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