जानने की जिज्ञासा को प्रेरित करता राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
28 फरवरी को नेशनल साइंस (राष्ट्रीय विज्ञान दिवस) डे मनाया जाता है. साइंस या विज्ञान का मतलब सिर्फ फिजिक्स, केमेस्ट्री या बायोलॉजी नहीं होता. विज्ञान का तात्पर्य वैसे ज्ञान से है, जिसे जानने की जिज्ञासा हो. वह एक सूई से ले कर जहाज तक हो सकता है. विज्ञान में विषय ढ़ूंढ़ने की जरूरत नहीं होती, […]
28 फरवरी को नेशनल साइंस (राष्ट्रीय विज्ञान दिवस) डे मनाया जाता है. साइंस या विज्ञान का मतलब सिर्फ फिजिक्स, केमेस्ट्री या बायोलॉजी नहीं होता. विज्ञान का तात्पर्य वैसे ज्ञान से है, जिसे जानने की जिज्ञासा हो. वह एक सूई से ले कर जहाज तक हो सकता है. विज्ञान में विषय ढ़ूंढ़ने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि ज्यादातर विषय हमारे वातावरण, हमारे परिवेश में ही निहित होते हैं. जरूरत होती है उसे जानने और पहचानने की. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को इसी कारण मनाया जाता है. यह मुहिम देश के नौनिहालों के अंदर छिपी प्रतिभा को पहचान कर उन्हें तराशाने की है. इसी पर आधारित है हमारा आलेख.
बच्चों तुमने आमिर खान की फिल्में, तारे जमीन पर और 3 इडियट्स जरूर देखी होगीं. इन फिल्मों की चर्चा मैं इसलिए कर रहा हूं क्योंकि इन फिल्मों में इस बात पर जोर दिया गया कि बच्चों को उनकी चाहत और क्षमता के हिसाब से सही गाइडेंस मिले, तो वे अपना काम मन लगा कर करते हैं और सफलता उनके कदम चूमती है. विज्ञान, जिज्ञासा का ज्ञान है. वह हर चीज जिसमें तुम्हारी जिज्ञासा हो और जिसके बारे में तुम अंदर तक जानना चाहो, वह जिज्ञासा ही विज्ञान है. इसी जिज्ञासा को बनाये रखने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हर साल 28 फरवरी को मनाया जाता है.
रामन प्रभाव (Raman’s effect)
विज्ञान से होनेवाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रलय द्वारा ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ मनाया जाता है. 28 फरवरी, 1928 को कोलकाता में भारतीय वैज्ञानिक प्रोफेसर चंद्रशेखर वेंकट रामन ने इस दिन विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज की जिसे ‘रामन इफेक्ट’ के रूप में जाना जाता है. सीवी रामन ने कणों की आणविक और परमाणविक संरचना का पता लगाया. उनके इस खोज के कारण ही 1930 में नोबेल पुरस्कार मिला. उस समय तक एशिया के किसी व्यक्ति को भौतिकी का नोबल पुरस्कार नहीं मिला था.
वैज्ञानिकों की नीव बना रामन इफेक्ट
रामन इफेक्ट में एकल तरंग-दैध्र्य प्रकाश (मोनोक्रोमेटिक) किरणों जब किसी पारदर्शक माध्यम- ठोस, द्रव या गैस से गुजरती है, तो इसमें होनेवाले डेवियेशन का अध्ययन करने पर पता चला कि मूल प्रकाश की किरणों के अलावा स्थिर अंतर पर बहुत कमजोर तीव्रता की किरणों भी उपस्थित होती हैं. इन किरणों को रामन-किरणों भी कहते हैं. ये किरणों माध्यम के कणों के कंपन एवं घूर्णन की वजह से मूल प्रकाश की किरणों में ऊर्जा में लाभ या हानि के होने से उत्पन्न होती हैं. रामन इफेक्ट का फायदा बाद के वैज्ञानिकों को मिला. केमेस्ट्री, फीजिक्स, बॉटनी, जूलॉजी, जियोग्राफी और दूरसंचार जैसे विषयों के अध्ययन में इससे सहायता मिली.
विज्ञान प्रदर्शनी का केंद्र
विज्ञान में हो रहे नये प्रयोगों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए देश में ‘साइंस सिटी’ बनायी गयी है. फिलहाल चार सांइंस सिटी, कोलकाता, लखनऊ, अहमादाबाद और कपुरथला में है. इसके अलावा देश के गुआहाटी और कोट्टयाम में भी इसका निर्माण हो रहा है. साइंस सिटी विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे प्रगति और क्रियाकलापों की प्रदर्शनी का केंद्र है. यहां पोट्रेट, कैरिकेचर और लैब की प्रदर्शनी से विज्ञान के बारे में अवगत कराया जाता है. इसके अलावा यहां प्रतियोगिताएं और सेमिनार भी आयोजित किये जाते हैं. यहां विज्ञान से जुड़ी 3डी फिल्में भी दिखायी जाती हैं.
बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि जगाना है उद्देश्य
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित करना और विज्ञान के क्षेत्र में नये प्रयोगों के लिए प्रेरित करना है. साथ ही आम लोगों को भी देश की नयी वैज्ञानिक उपलब्धियों से अवगत कराना है. इस दिन सभी विज्ञान संस्थानों, जैसे- राष्ट्रीय एवं अन्य विज्ञान प्रयोगशालाएं, विज्ञान अकादमियों, स्कूल और कॉलेज तथा प्रशिक्षण संस्थानों में विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों से संबंधित प्रोग्राम आयोजित किये जाते हैं. इस अवसर पर बहुत से क्रियात्मक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इसमें बच्चे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और अपनी सोच को निबंध लेखन, पेंटिंग, विज्ञान प्रश्नोत्तरी और विज्ञान प्रदर्शनी आदि के माध्यम से अपनी क्षमता और क्रियात्मकता का उदाहरण पेश करते हैं. विज्ञान की लोकप्रियता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय पुरस्कारों की घोषणा भी की जाती है.
नन्हे वैज्ञानिकों का मंच
वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए नेशनल साइंस कांग्रेस का आयोजन होता है. 2014 में 101वां नेशनल साइंस कांग्रेस जम्मू में दो से सात फरवरी तक आयोजित किया गया. इसमें देश-विदेश के वैज्ञानिकों और शिक्षकों के अलावा पूरे भारत से चुने लगभग 500 से ज्यादा बच्चों ने भाग लिया. समारोह का मुख्य आकर्षण चिल्ड्रेन साइंस कांग्रेस रहा, जिसका उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति और बच्चों के चहेते वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने किया. इसमें देश के सभी गांव-शहर से विज्ञान के क्षेत्र में अनूठा कार्य करनेवाले बच्चों ने भाग लिया. कलाम ने इन नन्हे वैज्ञानिकों के कार्यो को सराहा और भविष्य में और तरक्की करने के लिए टिप्स भी दिये. साथ ही बच्चों ने कलाम से अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए बहुत से सवाल भी पूछे. कलाम ने उन्हें निराश नहीं किया और वे काफी वक्त तक बच्चों के साथ रहे और उनके प्रश्नों के जवाब भी दिये. चिल्ड्रेन साइंस कांग्रेस के विभिन्न प्रतियोगिताओं में अव्वल आये बच्चों को डॉ. कलाम ने पुरस्कार और प्रमाण पत्र भी बांटे.
प्रस्तुति : सौरभ चौबे