इच्छाशक्ति से बने विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक

स्टीफ न हॉकिंग का जीवन वर्तमान में किसी परिचय का मोहताज नहीं है. उन्होंने अपनी उपलब्धियों से यह साबित किया है कि अगर सफलता की भूख हो तो अक्षमता राह का रोड़ा नहीं बन सकती. उम्र के शुरुआती दौर में ही उन्हें विज्ञान और अंतरिक्ष के ज्ञान में रुचि थी. उन्हें नाचना और नौकायान पसंद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 22, 2014 12:51 PM

स्टीफ न हॉकिंग का जीवन वर्तमान में किसी परिचय का मोहताज नहीं है. उन्होंने अपनी उपलब्धियों से यह साबित किया है कि अगर सफलता की भूख हो तो अक्षमता राह का रोड़ा नहीं बन सकती.

उम्र के शुरुआती दौर में ही उन्हें विज्ञान और अंतरिक्ष के ज्ञान में रुचि थी. उन्हें नाचना और नौकायान पसंद था. वे नौकायान दल के सदस्य भी रहे थे. अभी सब कुछ समान्य चल रहा था. ऐसे जैसे किसी भी आम बच्चे के साथ होता है. अचानक 21 साल के उम्र में यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज में पढ़ते समय उन्हें पता चला कि वे एम्योट्र लेटरल स्क्लेरोसिस नामक बीमारी से ग्रसित हैं. इसे मोटर न्यूरॉन डिजीज भी कहते है.

ऐसा माना जाता है कि इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति पांच साल के अंदर मर जाता है एवं केवल पांच फीसदी ही लोग ऐसे होते हैं, जो दस साल से ज्यादा जिंदा रह पाते हैं. अब यहीं से हालात और इच्छाशक्ति की लड़ाई शुरू होती है. स्टीफ न हॉकिंग ने हालात के आगे नतमस्तक होना स्वीकार नहीं किया और आज जिस मुकाम पर वे हैं इसकी वजह उनकी मजबूत इच्छाशक्ति ही है.

इस बीमारी के कारण शरीर धीरे-धीरे अपंग हो जाता है. वर्तमान में वे अपना काम व्हीलचेयर पर बैठ कर ही करते हैं. अपनी बात वह इशारों के माध्यम से ही समझा पाते हैं. इनका काम ब्लैक होल और भौतिकी के क्षेत्र में हैं. 1971 में स्टीफ न हॉकिंग ने पारंपरिक ब्लैक होल के सिद्धांत से अलग नये सिद्धांत का प्रतिपादन किया. उन्होंने कई किताबों की रचना भी की हैं. विश्व स्तर पर वे नामी वैज्ञानिकों की सूची में शामिल हैं. उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं. अपनी आत्मशक्ति से वे आज किसी भी आम और खास आदमी के लिए रोल मॉडल हो सकते हैं.

स्टीफ न विलियम हॉकिंग

जीवनकाल : 1942 से अबतक, इंग्लैंड

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