तो क्या दक्षिण चीन सागर का विवाद सुलझा देंगे डोनाल्ड ट्रंप?
वॉशिंगटन : दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे वाले विवाद में अमेरिका भी कूद पड़ा है. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन इस विवाद को सुलझाने का दावा कर रही है. डोनाल्ड ट्रंप की ओर से विदेश मंत्री पद के नामित रेक्स टिलरसन ने इस विवादित जलक्षेत्र पर चीन की गतिविधियों को बेहद चिंताजनक बताया है. इस […]
वॉशिंगटन : दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे वाले विवाद में अमेरिका भी कूद पड़ा है. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन इस विवाद को सुलझाने का दावा कर रही है. डोनाल्ड ट्रंप की ओर से विदेश मंत्री पद के नामित रेक्स टिलरसन ने इस विवादित जलक्षेत्र पर चीन की गतिविधियों को बेहद चिंताजनक बताया है. इस सागर क्षेत्र पर चीन के दावे का फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताईवान कड़ा विरोध किया हैं. प्राकृतिक संपदाओं से भरे पूरे दक्षिण चीन सागर के पूरे हिस्से पर चीन अपना कब्जा चाहता है. और वह अभी भी वहां से प्राकृतिक संपदाओं का दोहन अपने तरीके से कर रहा है. टिलरसन ने कहा है कि अमेरिका दक्षिण कोरिया और जापान के हितों की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है. इस विवादित सागर पर चीन कहां तक आगे जा सकता है इसकी सीमा तय करनी आवश्यक है.
अपने नामांकन की पुष्टि संबंधी सुनवाई के लिए सीनेट की विदेशी मामलों की समिति के समक्ष पेश हुए एक्सॅन मोबिल के पूर्व सीईओ 64 वर्षीय रेक्स ने कहा, ‘पहले हम चीन को स्पष्ट संकेत भेजेंगे कि वह द्वीप निर्माण बंद कर दे और दूसरा यह कि उन द्वीपों में आपके दखल की इजाजत नहीं है.’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘इस क्षेत्र में चीन की गतिविधियां चिंता पैदा करती हैं और मुझे फिर यही लगता है कि इस पर प्रतिक्रिया नहीं दिये जाने से वह इस दिशा में आगे बढ़ता रहा है.’
उन्होंने कहा कि विवादित जलक्षेत्र में चीन की द्वीप निर्माण की गतिविधियां और पूर्वी चीन सागर में जापान नियंत्रित सेनकाकू द्वीपों के उपर चीन द्वारा हवाई रक्षा पहचान क्षेत्र की घोषणा ‘गैरकानूनी गतिविधियां’ हैं. उन्होंने कहा कि चीन उस क्षेत्र को अपने अधिकार में ले रहा है, नियंत्रण में ले रहा है या नियंत्रण में लेने की घोषणा कर रहा है जो कायदे से उसका नहीं है. उन्होंने द्वीप निर्माण और उन पर सैन्य संसाधनों को स्थापित करने की तुलना रूस द्वारा क्रीमिया पर अधिकार जमाने से की.
चीन के कदम से पूरे वैश्विक अर्थव्यवस्था को खतरा
टिलरसन ने कहा कि अगर चीन को इस जलक्षेत्र से आवागमन के नियम कायदों का किसी भी रुप में निर्धारण करने दिया जाएगा तो इससे ‘पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था’ को खतरा है. यह वैश्विक मुद्दा कई देशों के लिए, हमारे महत्वपूर्ण सहयोगियों के लिए बेहद अहम है. टिलरसन ने पर्याप्त संकेत दिए कि ट्रंप प्रशासन के दौरान चीन के प्रति अमेरिका का रुख कड़ा होगा. उन्होंने कहा कि चीन को अंतरराष्ट्रीय प्रक्रियाओं का सम्मान करना चाहिए.
पूरे दक्षिण चीन सागर पर चीन करता है अपना दावा
टिलरसन ने कहा, ‘चीन की कुछ गतिविधियों को हेग की अदालतों में पहले ही चुनौती दी जा चुकी है और उनमें उल्लंघन पाया गया है.’ प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता वाले दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे हिस्से पर चीन अपना दावा जताता है. हालांकि उसके दावों का फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताईवान कड़ा विरोध करते हैं.
गत वर्ष एक अंतरराष्ट्रीय प्राधिकरण ने व्यवस्था दी थी कि चीन के दावों का कोई कानूनी आधार नहीं है. हालांकि इस आदेश को बीजिंग ने अस्वीकार कर दिया था. सांसदों के सवालों के जवाब में टिलरसन ने कहा कि चीन के प्रति ‘नया रुख’ अपनाने की जरुरत है. उन्होंने कहा, ‘आज जो भी परेशानियां हैं उसकी वजह यह है कि हम जो कुछ भी कहते हैं उसे कड़ाई से लागू नहीं करते. इससे मिलाजुला संदेश जाता है जैसा कि उत्तर कोरिया के मामले में हुआ और चीन के प्रति हमारी उम्मीदों में भी देखा गया.’
टिलरसन ने कहा, ‘हमें यह स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए कि चीन कितना आगे बढ सकता है. चीन के प्रति हमारी उम्मीदें क्या हैं उसे यह समझाने के लिए हमें नया रुख अपनाना होगा.’ उन्होंने सांसदों को भरोसा दिलाया कि दक्षिण कोरिया और जापान की सुरक्षा को लेकर अमेरिका प्रतिबद्ध है. टिलरसन ने मानवाधिकार के गंभीर उल्लंघनों को लेकर भी चीन को आड़े हाथों लिया.