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SCS पर चीन ने अमेरिका को दे डाली धमकी, अमेरिका ने कहा – शांतिपूर्ण समाधान निकालेंगे

वाशिंगटन : चीन की आधिकारिक मीडिया ने शुक्रवार को चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका दक्षिण चीन सागर में बीजिंग द्वारा बनाये गये कृत्रिम द्वीपों तक पहुंचने से उसे रोकता है तो ‘बड़ा युद्ध’ हो सकता है. एक दिन पहले ही अमेरिका में विदेश मंत्री पद के लिए नामित रेक्स टिलरसन ने कहा था कि […]

वाशिंगटन : चीन की आधिकारिक मीडिया ने शुक्रवार को चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका दक्षिण चीन सागर में बीजिंग द्वारा बनाये गये कृत्रिम द्वीपों तक पहुंचने से उसे रोकता है तो ‘बड़ा युद्ध’ हो सकता है. एक दिन पहले ही अमेरिका में विदेश मंत्री पद के लिए नामित रेक्स टिलरसन ने कहा था कि वाशिंगटन को चाहिए कि वह बीजिंग को द्वीपों तक पहुंचने से रोके. जबकि आज अमेरिका के ओबामा प्रशासन ने दक्षिण चीन सागर क्षेत्र के भूभागीय विवादों के शांतिपूर्ण एवं राजनयिक समाधान का आह्वान किया है.

व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ओबामा प्रशासन में यह नीति रही है कि दक्षिण चीन सागर में दावा करने वाले किसी भी पक्ष की तरफदारी नहीं करनी है. निश्चित तौर पर अमेरिका विश्व के उस हिस्से के किसी भी क्षेत्र पर कोई दावा नहीं करता है.’ अर्नेस्ट ने कहा, ‘हमारा सुझाव यह है कि इस पर जिनके दावे हैं, उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वी दावों का समाधान निर्दयतापूर्वक, धमकी से या दबाव से नहीं बल्कि कूटनीति और बातचीत के जरिए करना चाहिए.’

दक्षिण चीन सागर पर टिलरसन के बयान से भड़का है चीन

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दक्षिण चीन सागर पर दिये बयान के बाद चीन भड़क गया है. ट्रंप ने कहा था कि वे इस मामले को सुलझा देंगे. ट्रंप की ओर ये विदेश मंत्री के पद पर नियुक्ति की मंजूरी के लिए सुनवायी के दौरान रेक्स टिलरसन ने सीनेट से कहा था कि दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा द्वीपों का निर्माण ‘रूस का क्रीमिया पर नियंत्रण करने के समान है.’ उन्होंने कहा था कि अमेरिका की नयी सरकार चीन को स्पष्ट संदेश भेजेगी कि ‘पहली बात द्वीपों का निर्माण बंद होगा और दूसरा उन द्वीपों तक आपको पहुंचने की अनुमति नहीं होगी.’

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने ‘क्या टिलरसन की धमकी सिर्फ सीनेट के लिए धोखा है?’ शीर्षक के तहत लिखे गये अपने तीखे संपादकीय में कहा है कि उनकी टिप्पणियों का लक्ष्य ‘सीनेट सदस्यों का समर्थन जुटाना और जानबूझकर चीन की ओर कठोर रुख दिखाकर नियुक्ति की मंजूरी पाने की संभावनाएं बढ़ाना था.’ संपादकीय में कहा गया है, ‘यह स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने जितने बिन्दू उठाये हैं उनमें से किसे प्रमुखता देंगे. लेकिन उनकी टिप्पणियों पर ध्यान देना जरुरी है कि चीन को इन द्वीपों तक पहुंच नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि अमेरिका की ओर से अभी तक यह सबसे कट्टर प्रतिक्रिया है.’

एक अन्य सरकारी अखबार ‘चाइना डेली’ का कहना है, ‘यह सवाल अभी बना हुआ है कि क्या एक्सॉन मोबिल कार्प के पूर्व चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी टिलरसन को विदेश मंत्री के रूप में सीनेट की मंजूरी मिलेगी.’ उसने लिखा है, ‘यदि उनकी नियुक्ति होती है, तो यह देखने लायक होगा कि चीन के विरुद्ध उनके विचार किस हद तक अमेरिकी विदेशी नीतियों का रूप लेते हैं. आखिरकार, अमेरिकी सीनेट के विदेश मामलों की समिति के समक्ष बुधवार को नियुक्ति सुनवायी के दौरान हमने जो कुछ भी सुना वह मुख्य रूप से उनकी व्यक्तिगत नीतिगत झुकाव हैं.’

ओबामा प्रशासन चाहता है शांतिपूर्ण समाधान

व्हाइट हाउस के निवर्तमान प्रेस सचिव जोश अर्नेस्‍ट ने चीन के सरकारी मीडिया की ओर से दी गयी चेतावनी से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हमें शातिपूर्ण समाधान पर जोर देना चाहिए. अर्नेस्ट ने कहा, ‘मैं नहीं जानता कि यह आगामी प्रशासन की नीति होगी या नहीं. मुझे लगता है कि मेरे अनुवर्ती के साथ आपके पहले संवाददाता सम्मेलन में शामिल मुद्दों में यह भी एक मुद्दा होगा. लेकिन यह नीति मौजूदा प्रशासन में तो रही ही है.’ व्हाइट हाउस के साथ-साथ पेंटागन ने भी दक्षिण चीन सागर में चल रहे विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की अपील की.

पेंटागन के प्रेस सचिव पीटर कुक ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम दशकों से दक्षिण चीन सागर और एशिया प्रशांत में काम करते आये हैं. हमारा लगातार यह मानना है कि दक्षिण चीन सागर के विवादों को वार्ता और कूटनीति के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘इस संदर्भ में अदालत की ओर से फैसले आ चुके हैं. निश्चित तौर पर हम इन्हें अहम मानते हैं और दावेदारों को इनका पालन करना चाहिए.’ कुक ने कहा कि अमेरिका इन विवादों में किसी भी पक्ष की तरफदारी नहीं करता.

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