जापान में बुजुर्गों को क्यों पसंद है जेल

तोक्यो : हर दिन की एक ही दिनचर्या. रोज सुबह पौने सात बजे उठना, 20 मिनट बाद नाश्ता करना और फिर ठीक आठ बजे काम के लिए रिपोर्ट करना. लेकिन यह किसी आम वेतनभोगी जापानी व्यक्ति की नहीं बल्कि एक बुजुर्ग कैदी की दिनचर्या है. तोक्यो की फुचु जेल में कैद 80 साल के इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2017 12:21 PM

तोक्यो : हर दिन की एक ही दिनचर्या. रोज सुबह पौने सात बजे उठना, 20 मिनट बाद नाश्ता करना और फिर ठीक आठ बजे काम के लिए रिपोर्ट करना. लेकिन यह किसी आम वेतनभोगी जापानी व्यक्ति की नहीं बल्कि एक बुजुर्ग कैदी की दिनचर्या है. तोक्यो की फुचु जेल में कैद 80 साल के इस बुजुर्ग कैदी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि भले ही ये जेल है लेकिन यहां एक निश्चितता है. वह कभी यहां से जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे.

चोरी के आरोप में जेल की सजा काट रहे बुजुर्ग कैदी ने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता कि यहां से जाने के बाद मेरा जीवन कैसा होगा. यहां से निकलने के बाद मैं अपनी सेहत और आर्थिक स्थिति को लेकर चिंतित हूं.’ उनका मामला कोई विशिष्ट नहीं है. जापान में बुजुर्ग अपराधियों की बढती संख्या के चलते यहां की जेलें तेजी से किसी नर्सिंग होम में तब्दील होती जा रही हैं.
अधिकतर बुजुर्ग कैदियों को चोरी जैसे छोटे मोटे अपराध के लिए जेल की सजा सुनाई जाती है.जापान के जस्टिस मिनिस्टरी के अधिकारी शिनसुके निशिओका ने कहा, ‘‘यह समस्या है कि जेल अधिकारियों का कार्य नर्सिंग केयर के समान बन गया है.’ जापान के सबसे बडे पुरुष सुधार गृह फुचु जेल के अधिकारी को कुछ कैदियों के डायपर तक बदलने पडते हैं और नहाने में उनकी मदद करनी पडती है. निशिओका ने कहा, ‘‘बुजुर्ग कैदियों को कभी कभी सुनने में दिक्कत आती है. वे निर्देशों को समझ नहीं पाते और उन्हें अक्सर शौचालय जाना होता है. यह मुश्किल है. हमें अधिक अधिकारियों की आवश्यकता होगी.’

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