नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगे. बजट सत्र से ठीक पहले विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी में हैं. कांग्रेस आज शाम चार बजे पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी. कांग्रेस की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह औरपूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम प्रेस ब्रीफ करेंगे. माना जा रहा है कि कांग्रेस ने खास रणनीति के तहत देश के दो पूर्व वित्त मंत्रियोंव अर्थशास्त्रियों को बजट सत्र से पहले केंद्र सरकार की नीतियों पर हमला बोलने के लिए उतारने की योजना बनायी है.
Former PM Manmohan Singh and P. Chidambaram to hold special Congress briefing at 4.15 pm at party HQ
— ANI (@ANI) January 30, 2017
ज्ञात हो कि नोटबंदी के फैसले को लेकर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला था. बजट सत्र से ठीक पहले तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष व बंगाल की सीएम ममता बनर्जी अपने सांसदों के साथ बैठक कर रही हैं. बताया जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस आज लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में हिस्सा नहीं लेंगी.
संसद में बजट से एक दिन पहले कल आर्थिक समीक्षा पेश की जायेगी. नोटबंदी के बाद पहले आम बजट के जरिये सरकार अर्थव्यवस्था में आयी ठहराव को गति देने की कोशिश में है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2016-17 में आर्थिक विकास दर 7.1 प्रतिशत रहने वाली है पिछले साल यह आंकड़ा 7.6 प्रतिशत था.
यूनिवर्सल बेसिक इनकम
बजट से पहले यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लेकर चर्चा जोरों पर है. ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि इकोनॉमिक सर्वे में बेसिक इनकम को लेकर एक चैप्टर दिया जायेगा. देश के अत्यंत गरीब नागरिकों को एक निश्चित रकम हर महीने दिये जाने की संभावना है. कई अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि सरकार के इस फैसले से लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा. यूनिवर्सल पेमेंट की यह अवधारणा तब और जोर पकड़ने लगी जब ताजा सर्वे में यह बात सामने आयी है कि दुनियाभर में रूस के बाद भारत में सबसे ज्यादा असमानता है. ऑक्सफैम के ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 57 अमीरों के पास देश की 70 प्रतिशत संपत्ति है.
इनकम टैक्स में छूट की हो सकती है घोषणा
सरकार आयकर को लेकर बड़ी छूट की घोषणा कर सकती है. नोटबंदी के बाद आम आदमी को राहत देने के लिहाज से सरकार का यह बहुत बड़ा फैसला साबित हो सकता है. माना जा रहा है कि आयकर की सीमा बढ़ाकर तीन लाख रुपये तक कर दी जायेगी. हाल ही में सर्वे के दौरान 60 प्रतिशत लोगों ने बताया कि निजी आयकर की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये प्रति वर्ष करना चाहिए. कई अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे आम आदमी के हाथ में ज्यादा पैसा पहुंचेगा और इससे उपभोग एवं मांग में वृद्धि होगी.