भविष्य में आव्रजन प्रतिबंध सूची में डाला जा सकता है पाकिस्तान का नाम: अमेरिका

वाशिंगटन : ट्रंप के प्रशासन ने पहली बार संकेत दिए हैं कि पाकिस्तान को उन मुस्लिम बहुल देशों की सूची में डाला जा सकता है, जहां से अमेरिका में होने वाले आव्रजन को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रतिबंधित कर दिया है. व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ रींस प्राइबस ने कहा, ‘‘उन सात देशों को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 30, 2017 4:31 PM

वाशिंगटन : ट्रंप के प्रशासन ने पहली बार संकेत दिए हैं कि पाकिस्तान को उन मुस्लिम बहुल देशों की सूची में डाला जा सकता है, जहां से अमेरिका में होने वाले आव्रजन को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रतिबंधित कर दिया है. व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ रींस प्राइबस ने कहा, ‘‘उन सात देशों को चुनने की वजह यह है कि कांग्रेस और ओबामा प्रशासन दोनों ने ही इनकी पहचान ऐसे सात देशों के रुप में की थी, जहां खतरनाक आतंकवाद चल रहा है.” शुक्रवार को ट्रंप ने एक विवादित शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इस आदेश के जरिए अमेरिकी शरणार्थी कार्यक्रम को 120 दिनों के लिए रोक दिया गया है, सीरियाई शरणार्थियों पर अनिश्चितकाल तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है और सात मुस्लिम बहुल देशों- ईरान, इराक, लीबिया, सूडान, यमन, सीरिया और सोमालिया के सभी नागरिकों के अमेरिका आगमन को निलंबित कर दिया गया है.

प्राइबस ने सीबीएस न्यूज को बताया, ‘‘अब आप पाकिस्तान जैसे देशों और उन अन्य देशों की ओर भी इशारा दे सकते हैं, जिनमें ऐसी ही समस्याएं हैं. संभवत: हमें इसे आगे ले जाने की जरुरत है. लेकिन फिलहाल तत्कालिक कदम यह है कि उन देशों को जाने वाले और वहां से आने वाले लोगों की और अधिक जांच की जाए.” यह पहली बार है, जब ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को उस सूची में डालने पर विचार करने की बात सार्वजनिक तौर पर स्वीकार की है. फिलहाल शासकीय आदेश का कहना है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों से आने वाले लोगों की ‘‘सघन जांच” होनी चाहिए.

प्राइबस ने कहा कि शासकीय आदेशों पर पर्याप्त नियोजन के बाद हस्ताक्षर किए गए. उन्होंने कहा, ‘‘हम दुनिया भर में इस बात का प्रचार करने नहीं जा रहे कि हम इन सात स्थानों से आने या वहां जाने वालों पर रोक या यात्रा के दौरान अधिक जांच का प्रावधान लगाने वाले हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोगों ने ऐसा सुझाव दिया है. शायद हमें सभी को तीन दिन की चेतावनी देनी चाहिए. लेकिन इसका यह अर्थ होगा कि आतंकी अपनी यात्रा की योजनाओं में तीन दिन की तब्दीली ले आएंगे. इन देशों में इतने सारे लोगों की पहचान करना और इन देशों में उन्हें पहले से ही चेतावनी दे देने से यह शासकीय आदेश गलत आदेश बन जाएगा.” उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति को सउदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात और विश्व के अन्य देशों के नेतृत्व से मुलाकात करनी है और मुझे यकीन है कि यह मुद्दा उठाया जाएगा.”

प्राइबस ने जोर देकर कहा कि अमेरिकियों की सुरक्षा पहले की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘ये वे देश हैं, जो आतंकियों को शरण और प्रशिक्षण देते हैं. ये वे देश हैं, जिनके बारे में हम यह जानना चाहते हैं कि वहां से कौन आ रहा है या वहां कौन जा रहा है. इसके पीछे हमारा उद्देश्य उन घटनाओं को यहां होने से रोकना है, जो वहां घट रही हैं.” प्राइबस ने कहा, ‘‘इस मुद्दे पर हम गलती नहीं करना चाहते. राष्ट्रपति ट्रंप इस मुद्दे पर जोखिम नहीं लेना चाहते. उन्हें राष्ट्रपति चुना गया क्योंकि लोग जानते थे कि वह आतंकियों को शरण देने वाले देशों से होने वाले आव्रजन पर कडा रुख अपनाएंगे.” उन्होंने कहा, ‘‘मैं समझ नहीं सकता कि इस समय इसे देख रहे बहुत से लोगों का सोचना है कि लीबिया और यमन जा रहे या वहां से आ रहे व्यक्ति को अमेरिका में मुक्त छोडने से पहले कुछ अतिरिक्त सवाल करना अतार्किक है. बस इतना ही है.”

Next Article

Exit mobile version