नयी दिल्ली : हाल ही में ट्रेनों के पटरी से उतरने के कई भीषण हादसों का सामना करने वाली रेलवे के लिए 20,000 करोड़ रुपये का सुरक्षा कोष, नयी पटरियां बिछाना, स्टेशनों के पुनर्विकास के साथ-साथ रेल विकास प्राधिकरण और उच्च गति रेल प्राधिकरण का गठन इस साल रेल बजट का हिस्सा हो सकता है. पहली बार वित्त मंत्री अरुण जेटली रेल बजट बुधवार को पेश करेंगे. गौरतलब है कि इस साल रेल बजट का आम बजट में विलय कर दिया गया है.
सरकार के सुधार एजेंडा को आगे बढ़ाते हुए जेटली इस बार रेल बजट को अलग से पेश की जाने वाली 92 साल पुरानी परंपरा को खत्म करेंगे. इस साल यह आम बजट का ही हिस्सा होगा, जिसमें अगले वित्त वर्ष के लिए आम बजट में रेलवे के लिए वित्त, परियोजनाओं और प्रारूप को लेकर कुछ पैराग्राफ होंगे. रेल बजट में जेटली बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दे सकते हैं, जिसमें नयी रेल लाइनों का विकास, लाइनों का दोहरीकरण, स्टेशनों का पुनर्विकास और सुरक्षा उन्नयन शामिल है.
सूत्रों के अनुसार, हाल में ट्रेनों के पटरियों से उतरने की कई घटनाओं के बाद एक लाख करोड़ रुपये के सुरक्षा कोष का अलग से प्रावधान इस बार के बजट में किया जा सकता है. यह अगले पांच साल के लिए होगा, जिसमें 20,000 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2017-18 के लिए होंगे. रेलवे अपने 92 फीसदी के परिचालन अनुपात लक्ष्य से भी चूक जायेगा, जिसके 94 से 95 फीसदी के बीच रहने की संभावना है.
रेलवे विकास प्राधिकरण के गठन की हो सकती है घोषणा
बजट 2017-18 में रेल विकास प्राधिकरण के गठन की घोषणा की जा सकती है, जो इसके लिए विनियामक का काम करेगा. इसके अलावा, उच्च गति रेल प्राधिकरण के प्रबंध निदेशक एवं अन्य निदेशकों के चयन के साथ इस प्राधिकरण के गठन की भी घोषणा किये जाने की संभावना है. बजट में गैर-किराया राजस्व बढ़ाने के उपायों पर भी ध्यान दिया जा सकता है, जिसमें खाली पड़ी भूमि का उपयोग और निजी भागीदारी के साथ स्टेशनों का पुनर्विकास शामिल है.
दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई मार्ग की बाड़बंदी
देश के प्रमुख रेलमार्गों पर ट्रेनों की गति बढाकर 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक करने की महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा भी की जा सकती है, जिसमें 21,000 करोड़ रुपये की लागत से दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई मार्ग की बाड़बंदी शामिल है. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने जेटली को 1.19 लाख करोड़ रुपये का विशेष सुरक्षा कोष बनाने के लिए पत्र लिखा था, जिसके लिए वित्त मंत्रालय से इस प्रकार के अलग सुरक्षा कोष के गठन को मंजूरी मिल चुकी है.
रेलवे को आंतरिक स्रोतों से जुटानी होगी राशि
20,000 करोड़ रुपये के वार्षिक कोष के लिए जहां रेल मंत्रालय को 15,000 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन मिलेगा. वहीं, 5,000 करोड़ रुपये रेलवे को अपने आंतरिक स्रोतों से जुटाने होंगे. इसके लिए वह सुरक्षा उपकर या आंतरिक अधिशेष से रकम का प्रावधान कर सकता है. रेलवे का परिचालन अनुपात लक्ष्य 92 फीसदी है. अप्रैल-दिसंबर, 2016 में उसके यात्रियों की संख्या और माल परिवहन दोनों में ही कमी आयी है. यह 1.34 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 1.19 लाख करोड़ रुपये पर रहा है. यह 11 फीसदी की नकारात्मक वृद्धि है.
योजनागत व्यय में हो सकती है वृद्धि
सरकार द्वारा मांग के अनुसार, किराये में वृद्धि की योजना को पेश किये जाने के बावजूद यात्री किराये से आय में पिछले साल के मुकाबले नौ फीसदी से अधिक की कमी आयी है. योजनागत व्यय अगले वित्त वर्ष में बढ़ाकर 1.36 लाख करोड रपये किए जाने की संभावना है. इसके अलावा, रेलवे ने पिछले नौ महीनों में बुनियादी परियोजनाओं पर खर्च पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले प्रतिशत से अधिक बढ़ाया है. इसमें नयी लाइनें बिछाना, देशभर में लाइनों का दोहरीकरण और विद्युतीकरण करना इत्यादि शामिल है.