Loading election data...

क्या कभी फ़लस्तीन एक देश बन पाएगा?

संजय मिश्रा बीबीसी हिंदी के लिए इजराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि अमरीका इसराइल-फ़ल्स्तीनी संघर्ष में दशकों पुरानी दो राष्ट्र समाधान की नीति से बंधा हुआ नहीं है. मध्य-पूर्व के लिए यह एक बहुत बड़ा फ़ैसला है. दो राष्ट्र समाधान इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच के दशकों पुराने संघर्ष को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2017 9:59 AM
an image
क्या कभी फ़लस्तीन एक देश बन पाएगा? 7

इजराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू

अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि अमरीका इसराइल-फ़ल्स्तीनी संघर्ष में दशकों पुरानी दो राष्ट्र समाधान की नीति से बंधा हुआ नहीं है. मध्य-पूर्व के लिए यह एक बहुत बड़ा फ़ैसला है. दो राष्ट्र समाधान इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच के दशकों पुराने संघर्ष को हल करने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय राजनयिकों और नेताओं के लिए घोषित लक्ष्य रहा है.

दो राष्ट्र समधान के तहत फ़लस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने की बात है. इस देश को वेस्ट बैंक में 1967 के पहले की संघर्ष विराम लाइन, गज़ा पट्टी और पूर्वी यरुशेलम में बनाने की बात कही गई है. जाहिर है यह इसराइल के बगल में होगा.

क्या कभी फ़लस्तीन एक देश बन पाएगा? 8

इसराइली पीएम और डोनल्ड ट्रंप

इससे पहले अमरीका इसराइल-फ़लस्तीनी संघर्ष में दो राष्ट्र समाधान नीति के प्रति प्रतिबद्धता जताता रहा है. ट्रंप के आने के बाद से ही इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि वह मध्य-पूर्व में इसराइल में समर्थन में खुलकर आएंगे.

अमरीका अब दो-राष्ट्र समाधान से बंधा नहीं हैं

ट्रंप के आते ही इसराइल ने दिखाई हरी झंडी

दो राष्ट्र समाधान शांति समझौते के पक्ष में संयुक्त राष्ट्र संघ, अरब लीग, यूरोपीय संघ, रूस और ओबामा प्रशासन के कार्यकाल तक अमरीका भी रहा है. फिलहाल अमरीका को छोड़कर दुनिया की ज़्यादातर शक्तियां दो राष्ट्र समाधान के पक्ष में हैं.

जब मिस्र के राष्ट्रपति के दामाद ने इसराइल के लिए जासूसी की

ऐसा नहीं है कि दो राष्ट्र समाधान को लेकर पहली बार आशंका के बादल मंडरा रहे हैं. कई विशेषज्ञों के साथ सामान्य इसराइली औऱ फ़लस्तीनियों को भी लगता है कि दो राष्ट्र समाधान नीति को छोड़ देना चाहिए या कम से कम इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए.

क्या कभी फ़लस्तीन एक देश बन पाएगा? 9

इसराइल का खुलकर समर्थन कर रहे हैं ट्रंप

हालांकि वेस्ट बैंक के चारों तरफ इसराइली घेराबंदी और कब्ज़े वाली ज़मीन पर बस्तियों के विस्तार से फ़लस्तीन के एक देश बनने की उम्मीद लगातार कम होती जा रही है. कई मसलों पर इसराइल की सोच बिल्कुल अलग है.

इसके साथ ही फ़लस्तीनी ऐक्टिविस्ट भी चाहते हैं कि बातचीत एक राष्ट्र समाधान की तरफ होनी चाहिए. फ़लस्तीनी इस्लामिक मूवमेंट हमास ने कभी भी आधिकारिक रूप से एक राष्ट्र के दावे को वापस नहीं लिया. कुछ आक्रामक इसराइली तो तीन स्टेट समाधान की बात करते हैं.

फ़लस्तीन की मुश्किल राह

2009 में अमरीका के भारी दबाव में इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने एक भाषण दिया था. उन्होंने इस भाषण में फ़लस्तीनी स्टेट में असैन्यीकरण की प्रतिबद्धता जताई थी. इसके एक साल बाद इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच शांति-वार्ता फिर से शुरू हुई लेकिन जल्द ही पटरी से उतर गई. इसका अंत यहूदी बस्तियों के निर्माण बंद होने के साथ हुआ था.

क्या कभी फ़लस्तीन एक देश बन पाएगा? 10

अलग फ़लस्तीन बनने की राह हुई मुश्किल

हमास ने ‘सुंदरियों’ के ज़रिए की जासूसी

इसके बाद नेतन्याहू सरकार ने हज़ारों नई बस्तियां बनाने की घोषणा कर डाली थी. उन्होंने संवेदनशील ‘ई1’ इलाक़े में भी इस निर्माण की बात कही थी जिसे पूर्वी यरुशलम के रूप में वेस्ट बैंक से अलग रखने की बात है. इसराइल की इस घोषणा के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने कहा था कि यह दो राष्ट्र समाधन नीति के लिए करारा झटका है.

पि त्ज़ा खाना बंद किए बिना बांटने की बात

जाने-माने ब्रिटिश-इसराइली इतिहासकार अवी शलाइम की एक यादगार टिप्पणी है जिसमें उन्होंने नेतन्याहू पर कहा था, ”नेतन्याहू एक ऐसे आदमी हैं जो एक पित्ज़ा बांटने के लिए बातचीत कर रहे होते हैं लेकिन उसे खाना बंद नहीं करते हैं.”

उन्होंने कहा, ”मैं हमेशा से दो राष्ट्र समाधान का पक्षधर रहा हूं लेकिन हमलोग उस बिंदु पर पहुंच गए हैं जहां यह व्यावहारिक समाधान नहीं रह गया है. अब मैं एक राष्ट्र समाधान का समर्थक हूं. यह मेरी पहली पसंद नहीं है लेकिन इसराइली कार्रवाई के बीच यह एक समाधान है.”

हाल के वर्षों में ज़्यादातर इसराइली वामपंथी और फ़लस्तीनी विचारकों ने एक ऐसी अवधारणा पेश की थी, जिसमें इसराइल और फ़लस्तीनी इलाक़ों के सभी निवासियों को समान नागरिकता और अधिकार देने की बात है. कई किताबों, लेखों और सम्मेलनों में इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच संघर्ष को ख़त्म करने के लिए कई विकल्पों पर विचार किया गया है.

क्या कभी फ़लस्तीन एक देश बन पाएगा? 11

स्वतंत्र फ़लस्तीन बनना एक सपना

इसमें उत्तरी आयरलैंड की तरह शक्ति की साझेदारी के मॉडल या बोस्निया-हर्जेगोविना की तरह फेडरेशन बनाने की बात कही गई है, जहां यहूदी और फ़लस्तीनियों को उच्चस्तरीय स्वायत्ता देने की बात है. 2012 में फ़लस्तीनी प्रशासन के पूर्व प्रधानमंत्री अहमद क़ुरेई ने कहा था कि फ़लस्तीनियों को अपनी बहस ख़ुद ही शुरू करनी चाहिए.

उन्होंने अल-क़ुद्स अल-अरबी अख़बार में लिखा था, ”सभी नकारात्मक पक्षों और मतभेदों के बावजूद हमें एक स्टेट समाधान से इनकार नहीं करना चाहिए. आतंरिक बातचीतों में इसे शामिल किया जाना चाहिए और फ़लस्तीनियों के बीच एक जनमत संग्रह होना चाहिए.”

क्या कभी फ़लस्तीन एक देश बन पाएगा? 12

ओबामा प्रशासन से नाराज़ रहता था इसराइल

एक राष्ट्र समाधान

इस बात से लोग अवगत हैं कि एक राष्ट्र समाधान से इसराइल में यहूदी पहचान की चमक फीकी पड़ेगी. हताश फ़लस्तीनी अधिकारियों ने भी चेतावनी दी थी कि एक स्वतंत्र देश की इच्छा को धक्का लग सकता है.

राष्ट्रपति मोहम्मद अब्बास ने भी कहा था कि इसमें एक रंगभेद शैली के राज्य बनने का जोखिम रहेगा. एक यह भी तर्क दिया गया कि मुस्लिम और ईसाई फ़लस्तीनियों की आबादी बढ़ रही है और यह जल्द ही यहूदियों पर भारी पड़ेगी. कई दक्षिणपंथी ग्रुपों का कहना है कि कोई भी नई राह इसराइल को मजबूत करने के लिए होनी चाहिए.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Exit mobile version