भारत को है अफसोस- संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद की परिभाषा गढ़ने में रहा विफल

नयी दिल्ली : भारत ने आज इस बात पर अफसोस प्रकट किया कि संयुक्त राष्ट्र ऐसे वक्त में आतंकवाद को परिभाषित करने में असमर्थ रहा है जब दाएश जैसी आतंकवादी फैक्ट्रियां और उसकी पनाह पाने वाले लश्कर जैसे आतंकवादी संगठन देशों को चुनौती दे रहे हैं. उसने देशों की सरकारों से कहा कि स्थायी शांति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 17, 2017 11:10 PM

नयी दिल्ली : भारत ने आज इस बात पर अफसोस प्रकट किया कि संयुक्त राष्ट्र ऐसे वक्त में आतंकवाद को परिभाषित करने में असमर्थ रहा है जब दाएश जैसी आतंकवादी फैक्ट्रियां और उसकी पनाह पाने वाले लश्कर जैसे आतंकवादी संगठन देशों को चुनौती दे रहे हैं. उसने देशों की सरकारों से कहा कि स्थायी शांति के लिये नीतियां बनायें. उसने कहा कि आतंकवाद में समाजों को अस्थिर करने की क्षमता होती है और यदि उस पर काबू नहीं पाया गया तो उसके दुष्परिणाम 21 वीं सदी पर काली छाया बनकर मंडरा सकते हैं.

बॉन में जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर ने कहा कि यह विश्वास करना कठिन होगा कि आतंकवादियों के राजनीतिक उद्देश्य नहीं होते हैं.

उन्होंने कहा कि दाएश और बोको हराम जैसी आतंकवादी फैक्ट्रियां और उनके द्वारा पल्लवित लश्करे तैयबा जैसे आतंकवादी संगठन देशों को चुनौती दे रहे हैं. अकबर की यह कड़ी टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति के जैश ए मोहम्मद के प्रमुख और पठानकोट के मास्टरमाइंड मसूद अजहर को आतंकवादी के तौर पर प्रतिबंधित करने में विफल रहने के आलोक में आयी है.

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