इस्लामाबाद : भारत में चार बड़े आतंकी हमले का मास्टर माइंड हाफिज मोहम्मद सईद पर एक कराेड़ का इनाम है. यह इनाम उसके उन काले कारनामों के लिए है, जो उसने पिछले 30 सालों से भारत के खिलाफ बारूदी साजिश के जरिये किये. संसद पर हमला, मुंबई ट्रेन ब्लास्ट और मुंबई बम ब्लास्ट जैसे आतंकी हमले उनके नाम हैं. यह बात दरगर है कि हर कारनामे के बाद पाकिस्तान की सरकार ने उसे गिरफ्तार किया. वह वहां चार बार गिरफ्तार हुअा, मगर पाकिस्तान सरकार की यह कार्रवाईविश्व बिरादरी को दिखाने भर रही. कोर्ट में उसकी गिरफ्तारी की ठोस वजह और सबूत रखने में न तो उसे कामयाब होना था, न हुई. लिहाजा हर बार वह कुछ दिन जेल में रह कर बाहर आ गया और हर बार उसने भारत में बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम दिया.
इंटरपोल ने भले हाफिज मोहम्मद सईद के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर रखा हो, मगर पिछले आठ सालों से वह उसे पकड़ नहीं पाया है. अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है, मगर इस एलान के पांच साल बाद भी वह पकड़ में नहीं आया. अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, रूस और ऑस्ट्रेलिया ने उसके संगठन लश्कर-ए-तैयबा को प्रतिबंधित कर रखा है, मगर उसके बारूदी और नापाक कारनामे अब भी जारी है और यह सब इसलिए है कि पाकिस्तान ने उसे पनाह दे रखी है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी मदद चीन कर रहा है.
कौन है हाफिज सईद
हाफिज मोहम्मद सईद अकेला नहीं है, जिसे पाकिस्तान ने पनाह दी है. और भी आतंकी सरगना हैं. उनमें हाफिज सईद का इतिहास ज्यादा काला और घिनौना है. हाफिज सईद 1948 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सरगोधा में पैदा हुआ था. इस लिहाज से उसकी उम्र 69 साल है. 30 साल पहले 1987 में उसने अब्दुल्लाह आजम और जफर इकबाल के साथ मिल कर लश्कर-ए-तैयबा नाम से आतंकी संगठन बनाया था. वह तभी से भारत के खिलाफ साजिश रच रहा है और आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहा है.
मौलाना मसूद अजहर ने साल 2000 में हरकत-उल मुजाहिद्दीन से अलग होकर जैश ए-मोहम्मद बनाया. उसमें हरकत-उल-मुजाहिद्दीन के भी कई आतंकी शामिल हुए थे. इसी जैश ए-मोहम्मद ने भारतीय संसद पर हमला किया था और इसका मास्टर माइंड हाफिज सईद था.
काला इतिहास
हाफिज सईद का काला इतिहास आज पूरी दुनिया जानना चाहती है, जिसे पाकिस्तान पनाह दे रहा है और चीन जिसकी हिफाजत कर रहा है. इसने 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हमला कराया था. तब पाकिस्तान ने उसे 21 दिसंबर 2001 को हिरासत में लिया, मगर महज चार माह बाद ही 31 मार्च 2002 को उसे रिहा कर दिया गया. करीब चार साल बाद 2006 में उसने मुंबई ट्रेन में धमाका कराया. पाकिस्तान ने उसे फिर 9 अगस्त 2006 को गिरफ्तार किया, मगर इस बार भी ज्यादा दिन उसे जेल में नहीं रख सका. लाहौर हाइकोर्ट में पाकिस्तान उसकी गिरफतारी की ठोस वजह नहीं बता सका और महज 19 दिन बाद 28 अगस्त 2006 को उसे रिहा कर दिया गया.
2008 में हाफिज सईद ने मुंबई में आतंकी हमला कराया. तब भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से हाफिज सईद को आतंकी सूची में डालने का आग्रह किया. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उसके संगठन जमात-उद-दावा को लश्कर-ए-तैयबा का साझेदार मान लिया. वैश्विक दबाव में पाकिस्तान ने सईद को तीसरी बार 11 दिसंबर 2008 को गिरफ्तार किया गया, मगर इस बार भी वही हुआ. सईद ने लाहौर हाइकोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी. पाकिस्तान की सरकार उसकी चुनौती के आगे टिक नहीं सकी और 2009 में वह फिर आजाद कर दिया गया.
कहने को तां इंटरपोल को भी सईद की तलाश
इंटरपोल ने भारत के आग्रह पर 25 अगस्त 2009 को उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया. तब पाकिस्तान ने उसे चौथी बार सितंबर 2009 में फिर गिरफ्तार और अगले ही माह 12 अक्टूबर 2009 को लाहौर हाइकोर्ट ने उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया.
2012 से इनामी है सईद
अमेरिका ने 2008 के मुंबई हमले की साजिश के आरोप में अप्रैल 2012 में उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम का ऐलान किया. अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, रूस और ऑस्ट्रेलिया ने उसके संगठन लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबंध लगा दिया.
संगठन का बदलता रहा है नाम
2001 में भारतीय संसद पर जैश-ए-मोहम्मद ने ही हमला कराया था. 2002 में इस संगठन के 4 आतंकी पकड़े गये थे. इनमें अफजल गुरु भी शामिल था, जो 9 फरवरी 2014 को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी चढ़ा. पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने जनवरी 2002 में जैश-ए-मोहम्मद पर प्रतिबंध लगाया. उसके बाद भी सईद संगठन का नाम बदल लिया और खदम-उल-इस्लाम के नाम से अपनी हरकतें जारी रखे हुए है.
पाकिस्तान की कार्रवाई का सच
सईद बार-बार अपने संगठन का नाम बदल कर पाकिस्तान की सरकार को कार्रवाई न करने का कानूनी मौका देता रहा है. पिछले दिनों सईद ने अपने संगठन जमात-उद-दावा का नाम बदल कर तहरीक-ए-आजादी कर लिया. भारतीय खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, जमात-उद-दावा का नाम हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से जारी आतंकी संगठनों की सूची में फिर से जारी किया गया है. उसने अपने संगठन के खिलाफ कार्रवाई से बचने के लिए एेसा किया है. इस बात को पूरी दुनिया जानती है. पाकिस्तान की सरकार और वहां के खुफिया तंत्र को भी यह पता है. वहां की सेना भी जानती है कि संगठन का केवल नाम बदल रहा है. उसके अंदर की बाकी चीजें वहीं है. फिर भी उनमें से कोई किसी तरह की कार्रवाई नहीं करता, क्योंकि वे उसे पनाह दे रहे हैं और उसके जरिये भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं.