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‘दंगाइयों से ज्यादा उस दोस्त से शिकायत है’

मलका बेगम भागलपुर के चंदेरी गांव की रहने वाली हैं. अक्तूबर 1989 में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर यहां दंगे शुरु हुए थे. मलका उस समय सिर्फ़ 16-17 साल की थीं. मलका बेगम का पूरा परिवार उनकी आंखों के सामने मार दिया गया था. उनके गांव के 66 लोग दंगे में मारे गए और उन्हें […]

मलका बेगम भागलपुर के चंदेरी गांव की रहने वाली हैं. अक्तूबर 1989 में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर यहां दंगे शुरु हुए थे. मलका उस समय सिर्फ़ 16-17 साल की थीं.

मलका बेगम का पूरा परिवार उनकी आंखों के सामने मार दिया गया था. उनके गांव के 66 लोग दंगे में मारे गए और उन्हें मारकर एक तालाब में उनके शवों को फेंक दिया गया था. यहां तक की बच्चों को भी दंगाइयों ने नहीं बख़्शा था. तेज़ हथियार से उनके टुकड़े कर दिए गए थे.

मलका कहती हैं कि दंगाइयों ने तलवार से उनपर हमला जिसमें उनकी एक टांग कट गई. दंगाइयों ने उन्हें मरा हुआ समझकर तालाब में फेंक दिया.

मलका कहती हैं कि वो दर्द से इस क़दर तड़प रहीं थीं कि वो दुआ कर रहीं थीं कि तालाब में कोई सांप उन्हें काट ले और वो मर जाएं ताकि इस दर्द से उन्हें निजात मिले. लेकिन क़ुदरत को शायद कुछ और ही मंज़रू था. वो किसी तरह बच गईं.

लेकिन दंगाइयों से ज़्यादा उन्हें अपने उन दोस्तों से शिकायत है जिन्होंने उनको दंगाइयों के हवाले कर दिया.

वो कहती हैं कि दंगे शुरु होने के बाद वो बचपन की अपनी एक दोस्त के पास मदद मांगने गईं.

मलका की हिंदू दोस्त ने न सिर्फ़ भगा दिया बल्कि दंगाइयों को बता दिया कि मलका यहां हैं.

मलका के अनुसार उनकी दोस्त ने चिल्लाकर कहा, ‘’यहां जल्दी आओ, यहां पर भी एक मुसलमनिया छुपी है.’’

उनकी जान तो बच गई लेकिन उसके बाद शुरु हुई एक लंबी क़ानूनी लड़ाई.

वो कहती हैं कि उन्होंने जिन लोगों के नाम लिए थे वो सभी उन्हें डराने धमकाने लगे और जब उनसे भी बात नहीं बनी तो उन्होंने मलका को लालच देना शुरु किया.

मलका कहती हैं कि उन्हें 10 लाख रुपए तक देने की पेशकश की गई लेकिन वो पीछे नहीं हटीं, हालांकि मलका ख़ुद एक बहुत ही ग़रीब परिवार से थीं.

एक तरफ़ जब क़ानूनी लड़ाई चल रही थी मलका ने भारत प्रशासित कश्मीर के एक सैनिक से शादी कर ली.

उनसे दो बच्चे भी हुए. एक बेटी फ़ातिमा और एक बेटा इम्तियाज़. लेकिन यहां भी शायद उन्हें धोका ही मिला. शादी के केवल तीन साल बाद उनके पति ने उन्हें छोड़ दिया और उनके अनुसार वो मुआवज़े के तौर पर सरकार से मिली रक़म भी लेकर भाग गए.

लेकिन इन सारी परेशानियों के बीच भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लड़ाई जारी रखी.

अदालत ने आख़िरकार 16 लोगों को चंदेरी हत्याकांड मामले में सज़ा सुनाई जिसे पटना उच्च न्यायालय ने भी बरक़रार रखा.

अदालत के इस फ़ैसले में मलका बेगम की गवाही का बहुत अहम रोल था.

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