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ब्रेग्जिट पर टेरीजा मे को संसद का ‘निर्णायक” समर्थन मिला

लंदन : ब्रिटेन की संसद के दोनों सदनों से ब्रेग्जिट के लिए समर्थन मिलने के बाद प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने आज कहा कि उनका देश ‘निर्णायक क्षण’ के निकट पहुंच गया है. ‘ब्रेग्जिट विधेयक’ पारित होने से प्रधानमंत्री मे के लिए यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने पर बातचीत शुरू करने का मार्ग प्रशस्त […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 14, 2017 10:39 PM

लंदन : ब्रिटेन की संसद के दोनों सदनों से ब्रेग्जिट के लिए समर्थन मिलने के बाद प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने आज कहा कि उनका देश ‘निर्णायक क्षण’ के निकट पहुंच गया है. ‘ब्रेग्जिट विधेयक’ पारित होने से प्रधानमंत्री मे के लिए यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने पर बातचीत शुरू करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. अब महारानी की ओर से इसे आखिरी अनुमोदन दिया जाना है.

मे ने हाउस ऑफ कॉमंस से कहा, ‘हम ब्रेग्जिट की समयसारिणी को लेकर सही मार्ग पर हैं. जब हम यूरोप के साथ नया सबंध बनाएंगे और विश्व में अपने लिए नयी भूमिका तैयार करेंगे तो यह हमारे पूरे देश के लिए निर्णायक क्षण होगा. हम मजबूत, स्वशासित ब्रिटेन होंगे.’

उन्होंने पिछले सप्ताह यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में अपनी मौजूदगी का हवाला देते हुए कहा, ‘हम यह दिखाने में सफल रहे कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर होने के बाद कैसे यूरोप में अग्रणी भूमिका निभायेगा.’ हाउस ऑफ कॉमन्स ने कल हाउस ऑफ लॉर्ड्स के संशोधनों को 335-287 मतों के अंतर से खारिज कर दिया था.

इन संशोधनों में सरकार से कहा गया था कि वह ब्रेग्जिट वार्ताओं की शुरुआत के तीन माह के भीतर यूरोपीय संघ के नागरिकों की स्थिति की सुरक्षा करे. उन्होंने ब्रेग्जिट के समझौते पर संसद में अर्थपूर्ण मतदान कराए जाने के आह्वान को भी 331-286 मतों के अंतर से खारिज कर दिया. इस तरह यूरोपीय संघ (निकासी की अधिसूचना) विधेयक बिना किसी बदलाव के हाउस ऑफ कॉमन्स में पारित हो गया.

इसके बाद यह हाउस ऑफ लॉर्ड्स में बिना किसी संशोधन के पारित हो गया. वहां इसके पक्ष में 274 और विरोध में 118 मत पड़े. इससे निकासी की शर्तों पर संसद के पास वीटो का अधिकार के मुद्दे पर अब इसे कॉमन्स में दोबारा चुनौती नहीं दी जा सकती.

हाउस ऑफ लॉर्ड्स पहले ही इस बात पर सहमत हो गया था कि यूरोपीय संघ के नागरिकों के दर्जे के मुद्दे को विधेयक में दोबारा शामिल नहीं किया जाएगा। इन्हें सांसदों ने खारिज कर दिया था. ऐसी उम्मीद है कि विधेयक को कानून बनाने के लिए अब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से शाही मंजूरी मिल जाएगी.

इसके बाद एलिजाबेथ लिस्बन संधि के अनुच्छेद 50 को इस सप्ताह किसी भी समय सैद्धांतिक तौर पर शुरू कर सकती हैं. हालांकि इस बात के संकेत कम हैं कि वह इस माह के अंत तक बातचीत शुरू कर पाएं. विपक्षी लेबर पार्टी ने पहले मे से अपील की थी कि वह ‘वाकई अहम’ लॉर्ड्स संशोधनों को बरकरार रखने पर विचार करें.

ब्रेग्जिट को लेकर यह परिणाम उस वक्त आया है जब स्कॉटलैंड की प्रथम मंत्री (फर्स्ट मिनिस्टर) निकोला स्टर्जन ने ऐलान किया कि वह स्कॉटलैंड की आजादी के लिए दूसरा जनमत संग्रह कराने के लिए संसद से अनुमति मांगेंगी.

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