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‘भाजपा को भगवा एजेंडा लागू करने में अभी वक्त लगेगा’

दिलनवाज़ पाशा बीबीसी संवाददाता पांच राज्यों में चुनाव के बाद राज्यसभा में बदलाव तो आएगा लेकिन ये तुरंत नहीं होगा. उत्तर प्रदेश के दस और उत्तराखंड के एक राज्यसभा सांसद अगले साल रिटायर होंगे. चार नामित राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल भी 2018 में ख़त्म हो रहा है. इस साल के अंत में गुजरात और हिमाचल […]

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पांच राज्यों में चुनाव के बाद राज्यसभा में बदलाव तो आएगा लेकिन ये तुरंत नहीं होगा.

उत्तर प्रदेश के दस और उत्तराखंड के एक राज्यसभा सांसद अगले साल रिटायर होंगे. चार नामित राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल भी 2018 में ख़त्म हो रहा है.

इस साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. यदि वहां भी भाजपा का प्रदर्शन ठीक रहे तो वहां के भी पांच राज्यसभा सांसद अगले साल बदले जाएंगे.

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जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव होते जाएंगे ऐसा माना जा सकता है कि भाजपा की स्थिति बेहतर होती जाएगी.

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चुनाव नतीजों से ये 5 बातें साफ़ हो जाती हैं

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मुझे लगता है कि जो संख्या दिखाई पड़ रही है उसे पूरा होने में समय लगेगा. भाजपा को राज्यसभा में बहुमत में आने में 2018 के अंत तक का समय लग सकता है.

लेकिन ये संख्या बढ़ने से जो नैतिक बल बढ़ रहा है उससे यदि विपक्ष थोड़ा सहम गया तो संसद के दोनों सदनों में भाजपा का जोर चल सकता है.

इसका मतलब ये है कि सामान्य विधेयक जैसे कि अर्थव्यवस्था से जुड़े हुए या अन्य विधेयक उन्हें तो पार्टी आसानी से पारित करा पाएगी.

विवादित विधेयकों को पारित कराने में या संविधान संसोधन लाने की स्थिति में आने में अभी और वक्त लगेगा.

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लेकिन लोगों को आशंका है कि जब भाजपा को दोनों सदनों में बहुत मिल जाएगा तब वो आरएसएस का अपना जो एक एजेंडा है उसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन भी कर सकती है.

आर्थिक विधेयक बीजेपी अभी भी संसद की स्टैंडिंग समिति के समक्ष लाकर आसानी से पारित करा पा रही है.

लेकिन पार्टी अभी संविधान में बदलाव कर अपने भगवा एजेंडे को लागू नहीं कर पाएगी, ऐसा करने की स्थिति में आने में अभी और वक्त लगेगा.

इन चुनाव नतीजों के बाद संसद में बदले समीकरणों के मद्देनज़र भाजपा सरकार की कोशिश रहेगी कि वह अपने आर्थिक एजेंडे को लागू करे और उससे जुड़े विधेयकों को पारित कराए, अब तक कई विधेयक फंसे हुए थे.

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यही नहीं यूपी में पूर्ण बहुमत से सरकार आने के बाद अब ये माना जाने लगा है राम मंदिर बन जाएगा. भाजपा अब तक कहती रही थी कि वह अदालत के ज़रिए मंदिर निर्माण करवाएगी लेकिन अब ऐसा भी हो सकता है कि संसद में क़ानून लाकर मंदिर बनाया जाए.

लेकिन ऐसा करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक लाना होगा जिसे पारित कराने के लिए सरकार को दोनों सदनों में बहुमत हासिल करना होगा.

सरकार कॉमन सिविल कोड विधेयक लाने की कोशिश भी कर सकती है लेकिन इसे पारित कराना भी बहुत आसान नहीं होगा.

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पाँच राज्यों के चुनावों के नतीजों का असर राष्ट्रपति चुनावों पर भी होगा. उपराष्ट्रपति चुनने के लिए भाजपा के पास अब निर्वाचक मंडल में स्पष्ट बहुमत है.

राष्ट्रपति चुनाव में ‘अपना’ राष्ट्रपति लाने का रास्ता भी भाजपा के लिए बहुत आसान हो गया है.

भाजपा के पास पूरा बहुमत तो नहीं है लेकिन वो आसानी से अपना राष्ट्रपति चुनने की स्थिति में हैं.

(बीबीसी संवाददाता वात्सल्य राय से बातचीत पर आधारित)

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