भारत की ”सेवा” से अफगानिस्तान में महिलाओं को मिल रहा लाभ : अकबरुद्दीन

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने जोर देकर कहा है कि अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया की सफलता के लिए लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण बेहद जरूरी है और यह एक अहम कारक है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने भारतीय एनजीओ ‘सेल्फ इंप्लाइड विमेंस एसोसिएशन’ (सेवा) का उदाहरण दिया. सेवा अफगानिस्तान में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 16, 2017 10:12 AM

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने जोर देकर कहा है कि अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया की सफलता के लिए लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण बेहद जरूरी है और यह एक अहम कारक है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने भारतीय एनजीओ ‘सेल्फ इंप्लाइड विमेंस एसोसिएशन’ (सेवा) का उदाहरण दिया. सेवा अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ काम कर रहा है और खाद्य प्रसंस्करण, सिलाई एवं कढ़ाई का व्यावसायिक प्रशिक्षण मुहैया करा रहा है.

अकबरुद्दीन ने अफगानिस्तान के असुरक्षित इलाकों में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के अवसरों पर यहां आयोजित एक सत्र में कहा कि महिला सशक्तिकरण एवं लैंगिक समानता शांति निर्माण के लिए अहम हैं. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से करीब 4000 गरीब महिलाओं को लाभ पहुंचा है और आगामी वर्ष में परियोजना के दूसरे चरण में हजारों और महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि इस अफगान परियोजना के तहत ‘सबा बाग-ए-खजाना’ नामक संघ अपनी कारोबारी योजनाएं बनाता है. इस संघ में 22 महिला समूह शामिल हैं, जो अपने उत्पादन केंद्र चलाते हैं और अपने उत्पाद स्थानीय बाजार में बेचते हैं.

अकबरुद्दीन ने बताया कि शुरुआत में भारत से आयी सेवा टीमों ने 45 स्थानीय मास्टर प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया था. वे व्यवसायिक प्रशिक्षण के लिए भारत भी आये थे और उन्होंने बाद में हजारों महिलाओं को प्रशिक्षित किया. इन महिलाओं में खास तौर पर वे महिलाएं शामिल हैं, जिनके पति युद्ध में मारे गये हैं.

इस परियोजना की कुल लागत करीब 20 लाख डॉलर है. अकबरुद्दीन ने कहा कि दूसरे चरण में परियोजना काबुल से आगे तक प्रसारित हो गयी है. इसने मजार-ए-शरीफ, बगलान एवं परवान प्रांतों से मास्टर प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डिवेल्पमेंट जैसे अन्य फंडों को भी आकर्षित किया है. उन्होंने कहा कि इस चरण में 3000 से अधिक महिलाओं को लाभ होगा. यह चरण वर्ष 2018 के मध्य तक चलेगा.

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