महिला होने के नाते भारत में मेरी मां को बतौर जज पीठ में नहीं दी गयी जगह : निक्की हेली

न्यू यॉर्क : संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने दावा किया है कि वकालत की पढ़ाई करने वाली उनकी मां को उस समय भारत में महिलाओं की स्थिति के कारण अदालत में न्यायाधीश के तौर पर पीठ में शामिल नहीं किया गया था. ‘काउंसिल ऑन फोरेन रिलेशंस’ में बुधवार को यहां […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 30, 2017 1:14 PM

न्यू यॉर्क : संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने दावा किया है कि वकालत की पढ़ाई करने वाली उनकी मां को उस समय भारत में महिलाओं की स्थिति के कारण अदालत में न्यायाधीश के तौर पर पीठ में शामिल नहीं किया गया था. ‘काउंसिल ऑन फोरेन रिलेशंस’ में बुधवार को यहां निक्की के भाषण के बाद उनसे महिलाओं की भूमिका के बारे में पूछा गया था. इसके जवाब में निक्की ने कहा कि मैं महिलाओं की बड़ी प्रशंसक हूं. मुझे लगता है कि ऐसा कुछ भी नहीं है, जो महिलाएं न कर सकें. मुझे लगता है कि जब भी किसी लोकतंत्र ने वाकई में महिलाओं का उत्थान चाहा है, तो उसे इसका लाभ भी मिला है. उन्होंने भारत में अपनी मां के जीवन की कहानी को संक्षिप्त रूप से बयान करते हुए कहा कि उनकी मां भारत की पहली महिला न्यायाधीशों में शामिल थीं, लेकिन महिला होने के कारण उन्हें कभी पीठ में जगह नहीं दी गयी.

निक्की ने कहा कि यह बात मेरे दिल के बहुत करीब है. आप जानते हैं कि जब भारत में ज्यादा लोग शिक्षित नहीं हुआ करते थे, तब मेरी मां लॉ स्कूल गयीं. उन्हें भारत की पहली महिला जजों में शामिल होने के लिए वास्तव में चुना गया था, लेकिन तब महिलाओं की स्थिति के कारण उन्हें पीठ में जगह नहीं दी गयी. उनके लिए यह देखना कितना शानदार रहा होगा कि उनकी बेटी दक्षिण कैरोलिना की गवर्नर और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत बनी.

बता दें कि निक्की के पिता का नाम अजीत सिंह रंधावा और मां का नाम राज कौर रंधावा है. जन्म के समय निक्की का नाम निम्रता रंधावा रखा गया था. निक्की के माता-पिता भारत से कनाडा आकर बस गये थे. फिर 1960 के दशक में वह अमेरिका आ गये थे.

निक्की ने कहा कि देशों का लक्ष्य हमेशा ही महिलाओं को सशक्त बनाना और यह दिखाना होना चाहिए कि वह कितनी शानदार नेता बन सकती हैं. उनका लक्ष्य उन्हें वहां पहुंचने में मदद करना और जब वे सफल हों, तो उन्हें समर्थन देना और प्रोत्साहित करना होना चाहिए. उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि वैध आव्रजन अमेरिका का ताना-बाना है. उन्होंने कहा कि उन्हें भारतीय प्रवासियों की बेटी होने पर गर्व है.

उन्होंने कहा कि अन्य देशों के लोगों पर उनके धर्म के कारण प्रतिबंध नहीं लगाये जाने चाहिए. निक्की ने प्रश्नों के उत्तर देते हुए कहा कि मुझे भारतीय प्रवासियों की बेटी होने का गर्व है, जिन्होंने मेरे भाइयों, मेरी बहन और मुझे हर रोज यह याद दिलाया कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हम इस देश में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि वैध आव्रजन अमेरिका का ताना-बाना है. इसलिए उस नजरिये से यह बात मेरे दिल के करीब है और मैं इसका बहुत समर्थन करती हूं.

ट्रंप के यात्रा प्रतिबंध संबंधी शासकीय आदेश से जुड़े प्रश्न के जवाब में निक्की ने कहा कि धर्म के आधार पर कभी प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए. यह यात्रा प्रतिबंध धर्म के आधार पर नहीं लगाया गया. यदि ऐसा होता, तो दर्जनों ऐसे अन्य मुस्लिम बहुल देश हैं, जो उन देशों की सूची में शामिल हो सकते थे, जिन पर प्रतिबंध लगाया गया है.

उन्होंने कहा कि हम अमेरिका के दरवाजे कभी बंद नहीं करेंगे, लेकिन हमने जो किया, वह कुछ देर रुककर सोचने और यह कहने के लिए किया कि हम हमारे लोगों को किस तरह सुरक्षित रखने वाले हैं. निक्की ने कहा कि ट्रंप के यात्रा प्रतिबंध का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि देश में किसी प्रकार का खतरा प्रवेश ना कर सके.

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