वाशिंगटन/बीजिंग: विश्व की दो महाशक्तियां चीन और अमेरिका जल्द ही बातचीत करने की तैयारी में हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अगले सप्ताह अपने अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप के साथ पहली शिखर स्तरीय वार्ता करेंगे. मुलाकात के दौरान दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों की दशा और दिशा के लिए एक आधार तैयार कर सकते हैं.
दोनों नेताओं के इस वार्ता पर भारत की भी नजर रहेगी, क्योंकि इससे ट्रंप एशिया को लेकर अपने रुख को भी साफ कर सकते हैं. दरअसल, पीएम मोदी भी इस साल अमेरिका के दौरे पर जा सकते हैं. खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष के आखिर में वाशिंगटन का दौरा करेंगे जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उनकी मेजबानी करेंगे. नए अमेरिकी प्रशासन के तहत दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ होते संबंधों के मद्देनजर व्हाइट हाउस ने पिछले दिनों ऐसे संकेत दिये हैं.
होगी पीएम मोदी और ट्रंप की भी मुलाकात
व्हाइट हाउस की ओर से पीएम मोदी और ट्रंप की मुलाकात की कोई तारीख नहीं बतायी गयी है लेकिन एक बयान में दोनों नेताओं के मुलाकात की बात कही गयी है. राष्ट्रपति ट्रंप ने भी कहा है कि वह साल के अंतिम दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी करने को उत्सुक हैं. आपको बता दें कि जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद से दोनों नेताओं के बीच फोन पर कई मौकों पर बातचीत हो चुकी है. गत सोमवार को ही डोनाल्ड ट्रंप ने फोन कर पीएम मोदी को विधानसभा चुनाव में मिली जीत पर बधाई दी है.
छह और सात अप्रैल को होगी शी और ट्रंप की मुलाकात
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने बताया कि शी छह और सात अप्रैल को फ्लोरिडा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे. उन्होंने कहा कि चीन-अमेरिका व्यापार और आर्थिक संपर्कों को साझा करते आ रहे हैं जो एक दूसरे के लिए पूरक हैं. प्रवक्ता ने कहा कि चीन अमेरिका के साथ व्यापार सहयोग को बढ़ाने, व्यापार संबंधी टकराव को बातचीत के माध्यम से दूर करने की कोशिश करेगा. चीन व्यापार एवं आर्थिक संबंधों के सतत विकास के लिए प्रयास करने की उम्मीद भी करता है.
चीन ने किया था अमेरिका को आगाह
पिछले दिनों चीन ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आगाह करते हुए कहा था कि दोनों देशों के बीच किसी भी तरह के व्यापार युद्ध से सिवाय नुकसान के कुछ हासिल नहीं होगा. चीन की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया जब आशंकाएं जतायी जा रही हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप चीनी उत्पादों पर शुल्क दर बढ़ाने के अपने चुनावी वादों को पूरा कर सकते हैं.