तिरस्कार ने डाली होटल की नींव

मुंबई का होटल ताजमहल सिर्फ मुंबई ही नहीं बल्कि भारत को गौरवान्वित करनेवाला रहा है. ‘ताजमहल होटल’ के निर्माण के पीछे एक रोचक कहानी छिपी है. सिनेमा के जनक लुमायर भाइयों ने अपनी खोज के छ: महीनों बाद अपनी पहली फिल्म का शो मुंबइ में प्रदर्शित किया था. इन शोज में सिर्फ ब्रिटिश लोगों को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 8, 2014 11:57 AM

मुंबई का होटल ताजमहल सिर्फ मुंबई ही नहीं बल्कि भारत को गौरवान्वित करनेवाला रहा है. ‘ताजमहल होटल’ के निर्माण के पीछे एक रोचक कहानी छिपी है. सिनेमा के जनक लुमायर भाइयों ने अपनी खोज के छ: महीनों बाद अपनी पहली फिल्म का शो मुंबइ में प्रदर्शित किया था.

इन शोज में सिर्फ ब्रिटिश लोगों को ही आमंत्रित किया गया था, क्योंकि होटल के बाहर लिखा होता था ‘भारतीय और कुत्ते होटल में नहीं आ सकते’.

जमशेदजी टाटा भी लुमायर भाईयों की फिल्में देखना चाहते थे, लेकिन उन्हें वॉटसन होटल में प्रवेश नहीं मिला. रंगभेद की इस घृणित नीति के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई. दो साल बाद ही वॉटसन होटल की सारी शोभा धूमिल करते हुए जमशेद जी ने ऐसे भव्य होटल का निर्माण करवाया, जो भारत की शोभा बढ़ा रहा है. 1903 ई. में यह सुंदर होटल बन कर तैयार हो गया. कुछ समय तक इस होटल के दरवाजे पर लिखा था, ‘ब्रिटिश और बिल्लियां अंदर नहीं आ सकतीं’.

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