पहली बार: महिला-पुरुष कर्मी के बीच वेतन अंतर दूर होगा, आइसलैंड बना रहा समान वेतन देने का कानून

स्टाकहोम: आइसलैंड की संसद में एक विधेयक पेश किया गया है, जिसके तहत सार्वजनिक एवं निजी उद्यमों को यह प्रमाणित करना होगा कि वे अपने कर्मचारियों को समान वेतन दे रहे हैं. दुनिया में यह अपनी तरह का पहला विधेयक है. सामाजिक मामले एवं समानता मंत्री थोर्स्टिन विगलुंडसन ने मंगलवार को बताया कि विधेयक के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 6, 2017 12:08 PM
स्टाकहोम: आइसलैंड की संसद में एक विधेयक पेश किया गया है, जिसके तहत सार्वजनिक एवं निजी उद्यमों को यह प्रमाणित करना होगा कि वे अपने कर्मचारियों को समान वेतन दे रहे हैं. दुनिया में यह अपनी तरह का पहला विधेयक है. सामाजिक मामले एवं समानता मंत्री थोर्स्टिन विगलुंडसन ने मंगलवार को बताया कि विधेयक के तहत 25 या इससे अधिक कर्मचारी रखनेवाली कंपनियों और संस्थानों को अब एक समान वेतन भुगतान का प्रमाणपत्र देना होगा.

इस विधेयक के पारित होने के बाद कंपनियों को महिला कर्मचारियों को पुरुषों के समान वेतन देना होगा. उल्लेखनीय है कि विश्व आर्थिक फोरम-2015 की वैश्विक लैंगिक अनुपात सूची में आइसलैंड पहले पायदान पर था, जबकि इसके बाद आइसलैंड का साथी राष्ट्र नार्वे, फिनलैंड और स्वीडन थे.

विगलुंडसन ने कहा कि 3,23,000 से अधिक की आबादी वाले राष्ट्र में इस नये कानून का लक्ष्य कंपनियों में पुरुषों और महिलाओं के वेतन में सात प्रतिशत के अंतर को पाटना है. उन्होंने बताया कि इस विधेयक को मध्य-दक्षिणपंथी गंठबंधन वाली सरकार, विपक्ष का समर्थन प्राप्त है और संसद में करीब 50 प्रतिशत सांसद महिलाएं हैं. इसलिए इस विधेयक का पास होना तय है. यह कानून जनवरी से प्रभावी हो जायेगा. विगलुंडसन ने बताया कि आइसलैंड के श्रम बाजार में लैंगिक आधार पर वेतन का अंतर एक दुर्भाग्यपूर्ण सत्य है और यह कड़े उपाय करने का समय है. हमारे पास इसे समाप्त करने की जानकारी और
प्रक्रिया है.

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