43 साल में घट जायेगी हिंदुओं की संख्या
वाशिंगटन : प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि भारत में घटती प्रजनन दर के चलते वर्ष 2055-60 के दौरान हिंदुओं की जनसंख्या में भारी गिरावट आयेगी. दुनिया के 94 फीसदी हिंदू इस समय भारत में रहते हैं. ‘बदलते वैश्विक धार्मिक परिदृश्य’ नामक यह स्टडी रिपोर्ट आगे कहती है कि,‘जन्म लेनेवाले शिशुओं […]
वाशिंगटन : प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि भारत में घटती प्रजनन दर के चलते वर्ष 2055-60 के दौरान हिंदुओं की जनसंख्या में भारी गिरावट आयेगी. दुनिया के 94 फीसदी हिंदू इस समय भारत में रहते हैं. ‘बदलते वैश्विक धार्मिक परिदृश्य’ नामक यह स्टडी रिपोर्ट आगे कहती है कि,‘जन्म लेनेवाले शिशुओं की संख्या में गिरावट खासकर हिंदुओं में नाटकीय होगा- काफी हद तक भारत में घटती प्रजनन दर के चलते वर्ष 2055-60 के दौरान इस पंथ में जन्म लेनेवालों शिशुओं की संख्या 2010-2015 के बीच जन्म लेनेवाले शिशुओं की संख्या से 3.3 करोड़ कम होगी.
अध्ययन यह भी कहता है कि दो दशक में दुनिया भर में मुसलिम महिलाओं से पैदा होनेवाले बच्चों की संख्या नवजात ईसाई शिशुओं से बढ़ने की संभावना है. 2075 तक इसलाम दुनिया का सबसे बड़ा धर्म बन जायेगा. मुसलिम शिशुओं की संख्या तेजी से बढ़ सकती है- इतनी तेजी से कि वर्ष 2035 तक उनकी संख्या ईसाई नवजात शिशुओं से आगे निकल जायेगी. इन दोनों पंथों के बीच शिशुओं की संख्या के बीच अंतर 60 लाख तक पहुंच सकती है (मुसलिमों के बीच 23.2 करोड़ शिशु बनाम ईसाइयों के बीच 22.6 करोड़ शिशु). लेकिन इसके विपरीत 2015-60 के दौरान सभी अन्य बड़े पंथों में जन्म लेनेवाले शिशुओं की कुल संख्या तेजी से गिरने की संभावना है. वर्ष 2010-2015 के बीच मुसलमानों की जनसंख्या में 15 करोड़ से अधिक की वृद्धि हुई. वर्ष 2015-60 के बीच वैश्विक मुसलमान जनसंख्या 70 फीसदी से अधिक बढ़ने की संभावना है जबकि ईसाई जनसंख्या 34 फीसदी बढ़ेगी. इस बिंदु पर दोनों धर्मों के अनुयायियों की संख्या करीब बराबर होगी.
अभी क्या: 22.3 करोड़ शिशुओं को जन्म दिया, वर्ष 2010-15 के दौरान ईसाई महिलाओं ने जो मुसलिम महिलाओं से जन्म लेनेवाले शिशुओं से एक करोड़ अधिक है.
तब क्या: 23.2 करोड़ मुसलिम शिशुओं के जन्म लेने की संभावना है जो ईसाई माताओं से जन्म लेनेवाले शिशुओं से 60 लाख अधिक है. वर्ष 2060 तक
बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी उम्र एवं प्रजनन दर में क्षेत्रीय रुझानों से संचालित होती है.
एलन कूपरमैन,निदेशक,न्यू में धर्म शोध