चीन की दादागिरी, अरुणाचल के छह स्थानों को दिया नया नाम, बताया वैध कार्रवाई
बीजिंग : चीन ने बुधवार को अरुणाचल प्रदेश की छह जगहों के लिए ‘‘मानकीकृत’ आधिकारिक नामों का ऐलान किया. साथ ही उकसावे वाले इस कदम को ‘‘वैध कार्रवाई’ भी बताया. चीन ने अरुणाचल में दलाई लामा के दौरे का भारत से कड़ा विरोध जताने के कुछ दिनों बाद यह कदम उठाया है. सरकारी मीडिया ने […]
बीजिंग : चीन ने बुधवार को अरुणाचल प्रदेश की छह जगहों के लिए ‘‘मानकीकृत’ आधिकारिक नामों का ऐलान किया. साथ ही उकसावे वाले इस कदम को ‘‘वैध कार्रवाई’ भी बताया. चीन ने अरुणाचल में दलाई लामा के दौरे का भारत से कड़ा विरोध जताने के कुछ दिनों बाद यह कदम उठाया है. सरकारी मीडिया ने कहा है कि इस कदम का उद्देश्य अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे की पुष्टि करना है. चीन अरुणाचल प्रदेश को ‘दक्षिणी तिब्बत’ बताता है.
सरकारी ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, ‘‘चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने घोषणा की कि उसने केंद्रीय सरकार के नियमों के अनुरूप 14 अप्रैल को ‘दक्षिण तिब्बत’ की छह जगहों के नाम चीनी, तिब्बती और रोमन वर्णों में मानकीकृत कर दिये हैं, जिन्हें भारत ‘अरुणाचल प्रदेश’ कहता है.’
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कंग ने कहा, ‘‘यह नाम दक्षिण तिब्बत (अरुणाचल प्रदेश) पर चीन की क्षेत्रीय दावे का समर्थन करते हैं और इतिहास, संस्कृति और प्रशासन के संदर्भ में स्पष्ट साक्ष्यों से इसे बल भी मिलता है. इन नामों को जारी करने का काम मुहल्लों के नामों को लेकर नियमों के अनुरूप हुआ है और यह चीनी सरकार द्वारा की गयी वैध कार्रवाई है.’
चीन ने रखा नया आधिकारिक नाम : वोग्यैनलिंग, मिला री, क्वाइदेनगार्बो री, मेनक्यूका, बूमो ला और नामाकापुब री.
क्या-क्या कहा लू कंग ने
- मैं जोर देकर यह कह रहा हूं कि भारत-चीन सीमा के विवादित पूर्वी हिस्से में दलाई लामा की गतिविधियों और उनके चीन विरोधी कार्यक्रमों में भारत सरकार की संलिप्तता का हम सख्ती से विरोध करते हैं. यह गतिविधियां चीन को लेकर जतायी गयीं भारतीय प्रतिबद्धता के भी विरुद्ध है.
- अगले चरण में हम तिब्बत की मूल भाषाओं में उन नामों के अपने अध्ययन को और आगे बढ़ायेंगे और इसके अगले चरण में हम इन नामों के और मानकीकृत की घोषणा करेंगे.
- यह नाम यहां पीढ़ी दर पीढ़ी रहनेवाले तिब्बती और मोनपा जातीय समूहों के लोगों द्वारा पीढ़ियों से आगे बढ़ाये जा रहे हैं.
- यह इस बात का भी उदाहरण है कि चीन का इन इलाकों में स्पष्ट प्रशासन है और चीनी लोगों द्वारा इस इलाके में काफी गतिविधियां चलाई जा रही हैं.
चीन ने दी थी चेतावनी
दलाई लामा के अरुणाचल दौरे के दौरान चीन ने भारत को चेतावनी दी थी कि वह अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता और हितों की रक्षा के लिए ‘‘आवश्यक कदम’ उठायेगा. भारत और चीन की सीमा पर 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा विवाद का विषय है. चीन जहां अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत बताता है, वहीं भारत का कहना है कि विवादित क्षेत्र अक्साई चिन इलाके तक है, जिस पर 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने कब्जा कर लिया था. दोनों पक्षों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों की 19 दौर की वार्ता हो चुकी है. अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, छह जगहों के नाम के मानकीकरण के टिप्पणी करते हुए चीनी विशेषज्ञ ने कहा कि यह ‘‘विवादित क्षेत्र में देश की क्षेत्रीय संप्रभुता की पुष्टि’ के लिए उठाया गया कदम है.