इसलामाबाद/ कराची : पनामा पेपर्स लीक से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले पर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनके परिजनों की विदेशों में संपत्तियों के मामले की जांच के लिए संयुक्त जांच टीम (जेआइटी) के गठन का आदेश दिया है. जेआइटी को 60 दिनों में अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी. शरीफ भी जेआइटी के सामने पेश होंगे. जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के बाद मामले की कोर्ट में फिर से सुनवाई होगी. जांच कोर्ट की निगरानी में होगी. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शरीफ को भ्रष्टाचार के आरोप में अयोग्य घोषित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं.
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पांच जजों की बेंच ने 3-2 के बहुमत से नवाज के पक्ष में फैसला सुनाया. दो जज जस्टिस खोसा और जस्टिस गुलजार जेआइटी जांच के पक्ष में नहीं थे, बल्कि वे शरीफ को पीएम पद के लिए अयोग्य घोषित करना चाहते थे. उधर, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने शरीफ से तत्काल इस्तीफा देने की मांग की. कोर्ट ने सात दिनों के भीतर जेआइटी के गठन का आदेश दिया है.
शरीफ पर क्या हैं आरोप
भ्रष्टाचार का यह मामला शरीफ की ओर से 1990 के दशक में किये गये कथित धनशोधन से जुड़ा है, जब उन्होंने लंदन में संपत्ति खरीदी. यह संपत्ति उस वक्त सामने आयी, जब पिछले साल अप्रैल में हुए पनामा पेपर लीक्स में विदेशों में काला धन रखने वालों की सूची सार्वजनिक हुई थी. इन पेपर्स में शरीफ, बेटी मरियम, पुत्र हसन नवाज व हुसैन नवाज, दामाद मुहम्मद सफदर के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. विदेशों में लाखों डॉलर की संपत्ति बनाने का आरोप है. भारत में 450 को कानूनी नोटिस : पनामा पेपर्स लीक से भारत में हलचल मची थी. भारतीय नागरिकों के नाम सामने आने पर सरकार के इनकम टैक्स विभाग ने इसकी जांच शुरू की है. जिन लोगों के नाम सामने आये उनमें से 450 को कानूनी नोटिस भेजा जा चुका है और जवाब -तलब किये गये हैं.
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क्या कहा विशेषज्ञों ने
मामले को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि फौरी तौर पर तो शरीफ़ को राहत मिल गयी है लेकिन केस अभी खत्म नहीं हुआ है. सुप्रीम कोर्ट से पाक पीएम को अस्थायी राहत मिलने के बाद शरीफ की पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) खुश है और पार्टी अपना कार्यकाल (2018 तक) पूरा कर पाएगी. आपको बता दें कि इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी इस केस में नवाज शरीफ के खिलाफ़ मुख्य याचिकाकर्ता थी. पार्टी नेता असद उमर ने कहा है कि नवाज़ शरीफ़ को क्लीन चिट कहां मिली ? तीन जजों ने उनके बचाव को खारिज कर दिया और जेआईटी के गठन का आदेश दिया.