खतरनाक शिकारी होती है आर्मी एंट
आपने मिठाई थोड़ी देर के लिए खुली छोड़ी नहीं कि कोई और जीव उस पर अपना अधिकार जताना शुरू कर देती है. वह है चींटी. आपके टीचर भी मेहनती बनने के लिए चींटी का ही उदाहरण देते होंगे. क्या आपको पता है कि इन चींटियों का भी अपना एक अलग संसार होता है. ये भी […]
आपने मिठाई थोड़ी देर के लिए खुली छोड़ी नहीं कि कोई और जीव उस पर अपना अधिकार जताना शुरू कर देती है. वह है चींटी. आपके टीचर भी मेहनती बनने के लिए चींटी का ही उदाहरण देते होंगे. क्या आपको पता है कि इन चींटियों का भी अपना एक अलग संसार होता है. ये भी हम इनसानों की तरह समाज में रहती हैं. इनका भी एक लीडर होता है. इनकी अपनी एक सेना होती है, जो समय पड़ने पर अपने झुंड को बचाने के लिए जान देने के लिए तैयार रहती है. इनमें से ही एक आर्मी एंट भी है. प्रस्तुत है इनके बारे में विशेष जानकारी.
घर में जमीन पर कतार बना कर चलती चींटी को तुम रोज देखते होगे. ये इतनी छोटी होती हैं कि कई बार तुम्हारे पैरों के नीचे आकर ये दब भी जाती होंगी. ऐसे में चींटीयों से डरना तो बहुत दूर की बात हो जाती है, लेकिन आर्मी एंट के बारे में जान कर चींटियों के बारे में तुम्हारी सोच जरूर बदल जायेगी.
आर्मी एंट को दुनिया के सबसे खतरनाक इंसेक्ट्स में गिना जाता है. ये हमेशा झुंड में रहते हैं और मिल कर शिकार करते हैं. तुम्हें कभी भी कोई आर्मी एंट अकेला नहीं दिखाई देगी. चूंकि यह भी एक इन्सेक्ट है, इसलिए इसके शरीर के भी तीन हिस्से सिर, छाती और पेट होते हैं. इसके छह पैर होते हैं और सिर पर दो एंटीना होते हैं. इनके जबड़े किसी धारदार कैंची से कम नहीं होते हैं, जिनसे ये मोटी से मोटी चमड़ीवाले जीव को काट खाते हैं. आर्मी एंट बहुत एग्रेसिव और एक्टिव होती हैं. ये सीधे अपने शिकार के सिर पर सवार हो जाती हैं और उन्हें पूरी ताकत के साथ काटना शुरू कर देती हैं. खासतौर पर इनके शिकार दूसरे कीड़े मकोड़े, छोटे-छोटे सांप, छोटे जानवर और चिड़िया बनती हैं. ये अकसर दूसरी चींटियों और पक्षियों के घोंसले पर भी अटैक करती हैं और उनके अंडे चुरा लेती हैं.
घरेलू चींटियों और आर्मी एंट में है फर्क
आर्मी एंट और तुम्हारे घर में पायी जानेवाली साधारण चींटियों में सबसे बड़ा फर्क यह है कि घर में पायी जानेवाली चींटियां अपना घोंसला बनाती हैं और उसमें उनकी पूरी कॉलनी बसती है. इस जगह पर वे खाने का सामान इकठ्ठा करने और अंडे देने का काम करती हैं, लेकिन आर्मी एंट कभी भी एक जगह पर नहीं ठहरती है ये लगातार बंजारों की तरह अपना ठिकाना बदलती रहती हैं और खाना इकठ्ठा करने के बजाय इनके रास्ते में जो कुछ भी इन्हें मिल जाता है उसे खाती चली जाती हैं.
ये हमेशा विशाल झुंड में अपना सफर तय करती हैं. इनका झुंड इतना खतरनाक होता है कि कभी-कभी ये जिंदा जीवों पर भी अटैक कर देती हैं उन्हें जिंदा ही खा जाती हैं. अफ्रीका में पायी जानेवाली आर्मी एंट को सबसे खतरनाक माना जाता है. इनके एक झुंड में करीब 2 से 5 करोड़ चींटियां होती हैं. सूखे के समय ये और अधिक खतरनाक हो जाती हैं और एक साथ भोजन की तलाश में निकलती हैं. इनके झुंड सेना की टुकड़ियों की तरह कई हिस्सों में चलती है. सबसे मजेदार बात यह है कि ये अनुशासन में चलती हैं अर्थात् एक लाइन में चलती हैं.
जिस तरह हर देश की सेना में स्पेशल फोर्स के सोल्जर होते हैं, उसी प्रकार चींटियों में भी स्पेशल सोल्जर होते हैं. यही इन चींटियों के सबसे आगे चलते हैं. इन स्पेशल सोल्जर के सिर बड़े होते हैं. इनके जबड़े भी बहुत ही मजबूत होते हैं. इनके रास्ते में आनेवाले किसी भी जीव को ये नहीं छोड़ते हैं और उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं.
कहां पायी जाती हैं
अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, मध्य अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका में आर्मी एंट की कई प्रजातियां पायी जाती हैं. ये चींटियां गरम इलाके में रहना पसंद करती हैं. इनकी कई प्रजातियां ऐसी भी हैं, जो भयानक घने जंगलों में रहना पसंद करती हैं. ये हमेशा भारी मात्रा में खाने की तलाश करती रहती हैं और ऐसी जगहों पर इनकी ये जरूरतें आसानी से पूरी भी हो जाती हैं.
जीवन चक्र
आर्मी एंट के जीवन काल के चार चरण होते हैं. सबसे पहले यह अंडे के रूप में रहती है, जिससे लार्वा निकलता है. लार्वा प्यूपा में परिवर्तित होता है और बाद में यह एक वयस्क चींटी बनती है. अंडे से जब लार्वा बनता है तब इसके आंख और पैर नहीं होते हैं. यह बड़ों द्वारा लाये गये खाने से ही अपना पोषण करता है. साथ ही जब झुंड सफर पर रहता है तब इन लार्वा को झुंड के बाकी सदस्य उठा कर अपने साथ लेकर चलते हैं. इसके अंडे दो तरह के होते हैं. एक से मादा आर्मी एंट का जन्म होता है और दूसरे से नर का. सामान्य आर्मी एंट के अंडे का साइज एक मिलीमीटर तक होता है लेकिन क्वीन के अंडे इससे कई गुणा ज्यादा बड़े होते हैं. मादा आर्मी एंट ही आगे चल कर क्वीन, वर्कर या सोल्जर बनती है.
कॉलोनी सिस्टम
आर्मी एंट्स आपसी सहयोग के साथ मिल कर सारे काम करने के लिए जानी जाती हैं. ये कभी भी अकेली शिकार नहीं करती हैं इसलिए इनकी कॉलोनी का सिस्टम भी कुछ अलग होता है. इनके लगातार एक जगह से दूसरी जगह सफर करते रहने के कारण इनके झुंड द्वारा लगातार नयी-नयी कॉलोनी बनायी जाती रहती है और पुरानी कॉलोनी टूटती रहती है. ऐसे में इनकी केवल एक ही रानी नहीं रहती है. नयी कॉलोनी बनने के साथ ही नयी रानी का भी चुनाव हो जाता है. इस स्थिति में पुरानी रानी अपने वर्कर्स और सोल्जर्स के साथ पुरानी कॉलोनी को संभालती है और नयी रानी अपनी नयी कॉलोनी को. इनके बीच टकराव जैसी कोई स्थिती नहीं होती है. चींटियों की कई प्रजातियों में क्वीन के पंख होते हैं और वह उड़ सकती है, लेकिन आर्मी एंट्स में ऐसा नहीं होता है. आर्मी एंट्स की क्वीन में पंख नहीं होते हैं.
रोचक बातें…
-आर्मी एंट को और भी कई नामों से जाना जाता है जैसे ड्राइवर एंट, लीजनरी एंट, विजिटिंग एंट आदि.
-आर्मी एंट का रंग भूरा या काला होता है.
-इनका जीवन काल 3-13 महीने तक होता है.
-आर्मी एंट के एक झुंड में तकरीबन सात लाख चींटियां होती हैं.
-इनके शिकार करने की क्षमता के कारण इन्हें चीता और भेड़िया जैसे शिकारी जानवरों की श्रेणी में रखा जाता है.
-ये एक घंटे में 65 फीट की दूरी तय कर लेती हैं.
-अत्यधिक गरमी में भी ये जीवित रह सकती हैं.
-इनकी पाचन शक्ति कमाल की होती हैं. दुनिया में पाये जानेवाले किसी भी जीव को पचाने की क्षमता इनके अंदर होती है.
-क्वीन एक बार में एक लाख से लेकर तीन लाख तक अंडे देती है.
-आर्मी एंट सोल्जर का नीचे का जबड़ा काफी बड़ा होता है जिसका इस्तेमाल वे शिकार के लिए करने के साथ ही गड्ढा खोदने और सामान ढोने के लिए भी करती हैं.
-वर्षा वन में रहनेवाले लोग इनके जबड़ों की सहायता से अपने जख्मों को सिलते हैं. इसके लिए वे लोग जख्म के पास आर्मी एंट को रखते हैं और जैसे ही वो उस जगह पर काटता है वो उसके शरीर का पिछला हिस्सा काट देते हैं. इससे उनका सर उसी तरह चमड़े को लगातार बंद अवस्था में बनाये रखता है.