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दक्षिण कोरिया में नये राष्ट्रपति पद के लिए ऐतिहासिक मतदान शुरू, रात आठ बजे से आने लगेंगे एक्जिट पोल के नतीजे

सोल : दक्षिण कोरिया की पूर्व राष्ट्रपति को हटाये जाने, हिरासत में लिए जाने और भ्रष्टाचार का मामला चलाये जाने के बाद मंगलवार को यहां नये राष्ट्रपति के लिए मतदान शुरू हो गये हैं. दक्षिण कोरिया के परमाणु संपन्न उत्तर कोरिया के साथ मौजूदा तनाव की पृष्ठभूमि पर यह चुनाव हो रहे हैं. देशभर में […]

सोल : दक्षिण कोरिया की पूर्व राष्ट्रपति को हटाये जाने, हिरासत में लिए जाने और भ्रष्टाचार का मामला चलाये जाने के बाद मंगलवार को यहां नये राष्ट्रपति के लिए मतदान शुरू हो गये हैं. दक्षिण कोरिया के परमाणु संपन्न उत्तर कोरिया के साथ मौजूदा तनाव की पृष्ठभूमि पर यह चुनाव हो रहे हैं. देशभर में स्थानीय समयानुसार छह बजे करीब 1,39,000 मतदान केंद्र वोटिंग के लिए खोल दिये गये. इसबार यहां भारी मतदान होने की उम्मीद है.

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एक्जिट पोल के नतीजे रात आठ बजे मतदान खत्म होने के बाद आने शुरू हो जायेंगे. मतदाता पार्क के सत्ता के दुरुपयोग एवं कथित रिश्वत लेने के मामले से क्रोधित है, जिससे रोजगार में कमी आयी एवं विकास भी धीमा हुआ है. पूर्व मानवाधिकार अधिवक्ता एवं वाम की ओर झुकाव रखने वाले मून जी-इन कई माह से हो रहे ओपिनियन पोल में जीत हासिल कर रहे हैं.

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‘गैल्लप कोरिया सर्वे’ ने अंतिम सर्वेक्षण में उन्हें 38 फीसदी समर्थन मिला और पूर्व टेक मुगल अहं शियोल-सू को 20 प्रतिशत समर्थन हासिल हुआ. पार्क की लिबर्टी कोरिया पार्टी के होंग जून-प्यू 13 मजबूत पार्टियों की सूची में 16 प्रतिशत समर्थन के साथ तीसरे स्थान पर रहे. पश्चिम सोल स्थित मतदान केंद्र पर मून ने अपनी पत्नी के साथ मत डालने के बाद कहा कि मैं लोगों की सरकार बदलने की प्रबल इच्छा महसूस कर सकता हूं…हम इसे वास्तविक रूप मत डाल कर ही दें सकते हैं.

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यूंग ताई-वान (74) ने वोट डालने के बाद एएफपी से कहा कि मैंने होंग के लिए वोट डाला है, क्योंकि सुरक्षा (उत्तर कोरिया के खिलाफ) सबसे महत्वपूर्ण है. उत्तर कोरिया, अमेरिका पर हमला करने के लिए पिछले साल की शुरुआत से अभी तक दो परमाणु परीक्षण और कई मिसाइलों का प्रक्षेपण कर चुका है. वाशिंगटन भी इसके जवाब में सैन्य कार्रवाई की बात कह चुका है, जिससे तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है.

पिछले सप्ताह ही अपना वोट डाल चुकी किम क्यूंग-मिन ने कहा कि मैं पार्क और उनके प्रशासन से काफी निराश थी. अभियान इस बार मुख्य तौर पर अर्थव्यवस्था पर केंद्रित रहा, जिसमें उत्तर कोरिया पर कम ध्यान दिया गया. फिर भी दशकों बाद मून की जीत से सोल के प्योंगयांग एवं वाशिंगटन में उसके मुख्य सहयोगियों के प्रति दृष्टिकोण में अहम बदलाव आ सकता है.

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