वाशिंगटन/लंदन : अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) से चोरी किये गये ‘साइबर हथियारों’ का इस्तेमाल कर भारत सहित करीब 100 देशों पर व्यापक स्तर पर साइबर हमले किये गये. यह अब तक रिकार्डेड सबसे बड़ा साइबरअटैक माना जा रहा है. अमेरिका के मीडिया संस्थानों ने कहा कि सबसे पहले स्वीडन, ब्रिटेन और फ्रांस से साइबर हमले की खबर मिली.
सुरक्षा सॉफ्टवेयर कंपनी ‘अवास्ट’ के अनुसार इस गतिविधि में शुक्रवार को बढ़ोतरी देखी गयी. कंपनी ने कहा कि कुछ घंटों के भीतर वैश्विक स्तर पर 75,000 से अधिक हमलों का पता चला. इस बीच, मालवेरयरटेक ट्रैकर ने बीते 24 घंटों में 100,000 से अधिक प्रभावित सिस्टम का पता लगाया है. ‘कैसपरस्काई लैब’ से संबंधित सुरक्षा शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन, यूक्रेन, भारत, चीन, चीन, इटली और मिस्र सहित 99 देशों में 45,000 से अधिक साइबर हमलों को रिकॉर्ड किया है. इससे पहले, गृह सुरक्षा विभाग के तहत अमेरिका कम्प्यूटर इमरजेंसी रेडीनेस टीम (यूएससीइआरटी) ने कहा कि उसे विश्व भर के कई देशों में ‘वॉनाक्राई रैन्समवेयर इन्फेक्शन’ की कई खबरें मिली हैं.
रैन्समवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जिससे एक कम्प्यूटर में वायरस घुस जाता है और यूजर तब तक इसे खोल नहीं पाता जब तक कि वह इसे ‘अनलॉक’ करने के लिए रैन्सम (फिरौती) नहीं देता. यूएससीइआरटी ने कहा कि व्यक्ति और संगठनों से फिरौती नहीं देने की अपील की जाती है क्योंकि इसके बाद भी यह गारंटी नहीं है कि वह अपने कम्प्यूटर को खोल पायेंगे. इसके अनुसार, जब कोई सॉफ्टवेयर पुराना होता है या फिर ‘अनपैच्ड’ (सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण ताजा कम्प्यूटर प्रोग्राम से विहीन) होता है तो रैन्समवेयर उस पर आसानी से हमला कर सकता है.
सीईआरटी-इन ने वैश्विक साइबर हमले के मद्देनजर प्रमुख संस्थानों को सतर्क किया नई दिल्ली, 13 मई :भाषा: इस बीच, सरकार की साइबर सुरक्षा एजेंसी सीइआरटी-इन ने दुनिया के कई देशों में ताजा साइबर हमलों के मद्देनजर रिजर्व बैंक, शेयर बाजार और एनपीसीआइ सहित व्यापक महत्व के संस्थानों को सतर्क किया है. एजेंसी ने इन संस्थानों को साइबर हमलों के मद्देनजर क्या करना है और क्या नहीं करना है इसकी सूची जारी की है और उन्हें आंकड़ों में किसी भी तरह की खामियों के प्रति सतर्क किया है.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए जरूरी व्यवस्था की है. सूत्रों के अनुसार, ‘भारतीय कंप्यूटर आपात-प्रतिक्रिया दल (सीइआरटी-इन) के समक्ष किसी बड़े साइबर हमले की घटना के बारे में अब तक कोई सूचना नहीं है.’